Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, May 14
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»झारखंड के महागठबंधन में नया पेंच, झामुमो के स्टैंड से कांग्रेस के माथे पर शिकन
    Breaking News

    झारखंड के महागठबंधन में नया पेंच, झामुमो के स्टैंड से कांग्रेस के माथे पर शिकन

    azad sipahiBy azad sipahiMarch 16, 2019No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    झारखंड में संसदीय चुनाव की गहमा-गहमी के बीच शुक्रवार को अचानक एक धमाका सा हुआ। इस राजनीतिक धमाके का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था, लेकिन इसके असर पर किसी का भी ध्यान नहीं था। यह धमाका था वामपंथी दलों द्वारा राज्य की पांच संसदीय सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा। इस धमाके ने महागठबंधन में एक और पेंच पैदा कर दिया। अब तक यह माना जा रहा था कि झारखंड की 14 संसदीय सीटों पर मुकाबला सीधा होगा, जिसके एक छोर पर भाजपा-आजसू गठबंधन होगा और दूसरे छोर पर कांग्रेस, झामुमो, झाविमो और राजद का महागठबंधन। राज्य में लगभग तय हो चुके इस चुनावी सीन को वामदलों ने अचानक बदल दिया है। उन्होंने घोषणा कर दी है कि वे हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद, राजमहल और पलामू से अपना उम्मीदवार उतारेंगे। वामदलों की इस संयुक्त बैठक में भाकपा माले, माकपा, भाकपा और मासस के नेता शामिल थे।

    बैठक में तय किया गया कि अगर महागठबंधन में जगह नहीं मिलती है, तो सभी वामदल एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। बैठक में केवल माकपा ने ही राजमहल से गोपी सोरेन को उतारने का ऐलान किया, जबकि तीन अन्य दलों ने अपने प्रत्याशियों को घोषणा 25 मार्च के आसपास करने की घोषणा की। वैसे यह लगभग तय है कि हजारीबाग में पूर्व सांसद और भाकपा नेता भुवनेश्वर मेहता ताल ठोकेंगे, तो धनबाद में मासस से आनंद महतो मुकाबले को तिकोना बनायेंगे। कोडरमा से माले के राजकुमार यादव को उतारने का फैसला हो चुका है, जबकि पलामू सीट भी भाकपा माले के पाले में गयी है। वहां से प्रत्याशी कौन होगा, यह अभी तय नहीं है।

    वामदलों के फैसले के बाद महागठबंधन के अगुआ कांग्रेस के लिए नयी परेशानी पैदा हो गयी है। अब तक महागठबंधन से अलग रखे गये वामदलों के प्रति झामुमो की सहानुभूति ने कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। रांची में वामदलों की बैठक के बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, जो दिल्ली में महागठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए डेरा जमाये हुए हैं, ने साफ कहा कि विपक्षी खेमे में वामदलों को शामिल करना चाहिए। इससे भी आगे जाकर उन्होंने कहा कि हजारीबाग सीट भाकपा को दी जानी चाहिए। हेमंत ने कहा कि वह इस बारे में कांग्रेस नेताओं से बात करेंगे।

    बकौल हेमंत, वामदलों के बिना महागठबंधन का आकार पूरा नहीं हो सकता है। वामपंथी दलों को हजारीबाग दे दिया जाये, जबकि कोडरमा सीट से बाबूलाल मरांडी को महागठबंधन की ओर से उतारा जाये। हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर वामदल के नेताओं से भी बातचीत की और दावा किया है कि इस पेंच को सुलझा लिया गया है।

    वामदलों कड़े तेवर के बारे में भुवनेश्वर मेहता कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल नहीं किये जाने से वामदलों में खासी नाराजगी है, जबकि भाजपा को किसी भी हाल में हराना वामपंथियों का भी मकसद है। वामदल महागठबंधन के तहत 14 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा किये जाने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही अंतिम फैसला होगा।

    भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन पासवान कहते हैं कि पलामू और कोडरमा में प्रत्याशी उतारने से पूर्व पार्टी महागठबंधन द्वारा प्रत्याशियों का नाम घोषित करने का इंतजार करेगी। महागठबंधन के लिए अब भी भाकपा माले का दरवाजा खुला हुआ है। मासस नेता आनंद महतो के अनुसार, हाल के दिनों में हुए कई जनांदोलनों में मासस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। चाहे पारा शिक्षकों का मामला हो या फिर महिला संगठनों का, मासस ने आगे बढ़ कर आंदोलनकारियों का साथ दिया है। इन आंदोलनों को गति देने के लिए धनबाद में मासस अपना प्रतिनिधित्व चाहती है।

    झारखंड में हमेशा उपेक्षित रहे वामपंथी
    वास्तव में झारखंड में भाजपा के खिलाफ बनाये गये महागठबंधन में वामदलों को कभी समुचित भागीदारी नहीं दी गयी। संसदीय चुनाव में विपक्षी खेमे की कमान संभाल रही कांग्रेस ने सूबे में वामपंथी दलों के अस्तित्व को ही नकार दिया। विपक्षी खेमे में मिली इस उपेक्षा से तिलमिलाये वामपंथी दल अब एकजुट हो चुके हैं। हालांकि वे कहते हैं कि उनका उद्देश्य भाजपा को सत्ता से हटाना ही है।

    झारखंड में घटी है लाल झंडे की ताकत
    दरअसल, विपक्षी खेमे में अपनी उपेक्षा के लिए कुछ हद तक वामपंथी दल खुद जिम्मेदार हैं। पिछले संसदीय चुनाव में वामपंथी दलों के प्रदर्शन से साफ हो गया कि झारखंड में लाल झंडे की ताकत लगातार कम हो रही है। पिछले चुनाव में भाकपा ने तीन, माले ने छह, माकपा एवं मासस ने दो-दो तथा फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक सीट पर उम्मीदवार दिया था, लेकिन एक पर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। वामदलों को कुल पांच लाख छह हजार 693 वोट मिले।

    इनमें भाकपा को एक लाख छह हजार 51, माले को दो लाख 54 हजार 455, माकपा को 49 हजार 407, मासस को 91 हजार 489 तथा फॉरवर्ड ब्लॉक को पांच हजार 291 वोट मिले थे। इससे पहले 2004 के चुनाव में इन दलों को कुल पांच लाख 96 हजार 089 वोट मिले थे, जो 2009 की तुलना में 89 हजार 396 वोट कम हैं। उस चुनाव में भाकपा को तीन लाख 56 हजार 58, माकपा को 37 हजार 688 तथा माले को दो लाख दो हजार 343 वोट मिले थे। इन दो चुनावों में मिले वोटों से वाम दलों के जनाधार में आयी कमी का पता चलता है।

    वर्ष 2004 में भाकपा के भुवनेश्वर मेहता हजारीबाग सीट से चुनाव जीते थे। वह यूपीए के साझा उम्मीदवार थे। 2009 में उन्हें यूपीए का साथ नहीं मिला और वह चुनाव हार गये। माले के राजकुमार यादव कोडरमा से दो चुनावों में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन जीत सेहरा नहीं बांध पाये। हालांकि 2014 में उन्होंने दो लाख 66 हजार 756 वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था। झाविमो के बाबूलाल मरांडी उनसे पीछे रह गये थे।

    जीटी रोड से गुजरती है लाल ताकत
    झारखंड में वामपंथी दलों की ताकत का एहसास मुख्य रूप से जीटी रोड पर होता है। झारखंड के लेनिनग्राद कहे जानेवाले धनबाद से लेकर हजारीबाग के चौपारण तक इन दलों का अच्छा-खासा प्रभाव है। धनबाद का निरसा विधानसभा क्षेत्र तो हमेशा से मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गढ़ रहा है, जबकि गिरिडीह की पहचान लालखंड की राजधानी के रूप में होती है। हजारीबाग के कोयला क्षेत्रों के साथ उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के खेतिहरों के बीच भाकपा ने काफी गहरी पैठ बना रखी है, जबकि जीटी रोड के उस पार कोडरमा में भाकपा माले लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। इसके अलावा बंगाल से सटे राज्य के पंचपरगना इलाके में भी माकपा की जड़े काफी गहरी हैं।

    झारखंड के वामपंथी दिग्गज
    राज्य में वामपंथियों का सबसे बड़ा चेहरा महेंद्र सिंह थे। गिरिडीह के बगोदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे भाकपा माले के इस कद्दावर नेता के अलावा धनबाद से मासस के एके राय, हजारीबाग के भुवनेश्वर मेहता और सिल्ली के राजेंद्र सिंह मुंडा की गिनती भी पहली पंक्ति के वामपंथियों में होती है। नक्सलियों के हाथों महेंद्र सिंह की हत्या के बाद उनके पुत्र विनोद सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में वह भाजपा से हार गये।

    हालांकि उनकी पार्टी के ही राजकुमार यादव धनवार सीट पर जीत हासिल कर विधायक बन गये। अब, जबकि सीटों के तालमेल के मुद्दे पर महागठबंधन में माथापच्ची जारी है, वामपंथी दलों का यह तेवर निश्चित तौर पर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के लिए परेशानी पैदा करनेवाला है, क्योंकि सभी जानते हैं कि भाजपा विरोधी मतों का बड़ा हिस्सा वामपंथियों का भी है। इसमें बिखराव का सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। ऐसे में महागठबंधन में शामिल दल इस बिखराव को कैसे रोकेंगे और वामदलों को कैसे एडजस्ट करेंगे, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleएनडीए में सीटों का बंटवारा तय
    Next Article जमेशेदपुर: आइसक्रीम फैक्ट्री में ब्लास्ट, एक की मौत
    azad sipahi

      Related Posts

      शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास में यूनिसेफ को पूरा सहयोग करेगी सरकार: मुख्यमंत्री

      May 14, 2025

      सैनिकों के सम्मान में भाजपा ने निकाली तिरंगा यात्रा

      May 14, 2025

      सीएम और बाबूलाल ने जस्टिस बीआर गवई को बधाई दी

      May 14, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास में यूनिसेफ को पूरा सहयोग करेगी सरकार: मुख्यमंत्री
      • सैनिकों के सम्मान में भाजपा ने निकाली तिरंगा यात्रा
      • सेना प्रमुखों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर ऑपरेशन सिंदूर की दी जानकारी
      • सीएम और बाबूलाल ने जस्टिस बीआर गवई को बधाई दी
      • पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार यूपीएससी के नए अध्यक्ष नियुक्त
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version