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    Home»Top Story»विधायक ताला मरांडी ढूंढ़ रहे हैं नया आशियाना
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    विधायक ताला मरांडी ढूंढ़ रहे हैं नया आशियाना

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMarch 30, 2019No Comments6 Mins Read
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    रांची। संथाल में भारतीय जनता पार्टी में सब ठीकठाक नहीं चल रहा है। लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे के बाद से ही संथाल की तीनों सीटों का विवाद सामने आ रहा है। हालांकि दुमका और गोड्डा में खुलकर विरोध नहीं हुआ, लेकिन राजमहल सीट को लेकर विवाद बहुत आगे बढ़ गया है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक ताला मरांडी ने राजमहल प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया है। वह झामुमो में ताक-झांक कर रहे हैं। भाजपा के अंदर राजमहल सीट को लेकर बवाल मचा हुआ है। हेमलाल मुर्मू को भाजपा ने जैसे ही टिकट दिया, वैसे ही भाजपा की टिकट से रेस में चल रहे ताला मरांडी के सुर बगावती हो गये हैं। ताला मरांडी ने साफ तौर पर कहा कि अगर झामुमो से उन्हें टिकट मिलता है, तो भाजपा का झंडा गाड़ने वाले इलाके में भी कोई नहीं रहेगा। बोरियो के भाजपा विधायक ताला मरांडी ने गुरुवार सुबह साढ़े 11 बजे झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मुलाकात की। दोनों के बीच बंद कमरे में लगभग एक घंटे तक गुफ्तगू हुई। जिस समय यह मुलाकात चल रही थी, उस समय झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव भी हेमंत सोरेन के आवास पर थे। बता दें कि झामुमो के अभी दो सांसद हैं। दुमका से पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन और राजमहल से विजय हांसदा झामुमो का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। महागठबंधन में शामिल झामुमो को इस बार दुमका, राजमहल, गिरिडीह और जमशेदपुर सीट मिली है। पार्टी ने अभी अपनी सीटों की औपचारिक घोषणा नहीं की है। विजय हांसदा से क्षेत्र के अल्पसंख्यकों में खासी नाराजगी है।
    इसके बारे में पार्टी में बातें भी उठती रही हैं। गुरुवार को ताला के मिलने के बाद भाजपा और झामुमो, दोनों खेमे में बेचैनियां बढ़ गयी हैं। ताला मरांडी ने स्वीकार किया कि उन्होंने गुरुवार को हेमंत सोरेन से मुलाकात की। ताला ने यह भी कहा कि वह राजमहल सीट से संसदीय चुनाव लड़ना चाहते थे, पर भाजपा ने उन्हें उपयुक्त उम्मीदवार नहीं समझा। हमें जानकारी थी कि हम टिकट के दौड़ में नंबर वन हैं, लेकिन फिर नंबर वन से कैसे और कहां गायब हो गये, इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला। लगता है कि पार्टी के लोग हमें नहीं चाहते होंगे, तभी हमें टिकट नहीं मिला। पब्लिक में भी हमारा अच्छा ही है। उनका कहना है कि भाजपा की नियत, नीति, सिद्धांत जो अटल जी के समय थी, उस वक्त लोगों को जोड़ने का काम किया जाता था। अब नियत लोगों को तोड़ने की है। जब देश टूटेगा तो परिणाम क्या होगा, इसका पता तो कोई भी व्यक्ति लगा सकता है। प्रजातंत्र है राजतंत्र नहीं, भाजपा की पांच आस्थाओं में प्रजातंत्र भी एक आस्था के रूप में है।
    ताला मरांडी के इस कदम से पार्टी हलकान है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि झारखंड में जब से रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है, संथाल को विशेष फोकस किया गया है। साहेबगंज का गंगा पुल हो, देवघर में एम्स और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा या पहाड़िया आदिम जनजाति के लिए अलग बटालियन। सरकार ने महत्वपूर्ण योजनाओं का जाल बिछा दिया है संथाल में। अगर प्रमुख लोगों के दौरे की बात की जाये, तो खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो संथाल में ठेहा ही गाड़ दिया है।
    इसके बाद भी विधायक और वैसे विधायक जो पार्टी का प्रदेश में नेतृत्व कर चुके हों, उनका बगावत करना कहीं न कहीं भाजपा के लिए शुभ नहीं है। यहां यह बता देना उचित है कि सरकार ने संथाल को फोकस कर विकास योजनाओं को देने का काम जरूर किया, लेकिन पार्टी के विस्तार के लिए एक बड़ा नेता तैयार नहीं किया गया। भाजपा के संथाल में एक सांसद और आठ विधायक हैं। इन आठ विधायकों में से तीन सरकार में मंत्री हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सभी अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित हैं। एक तो किसी भी विधायक या मंत्री ने पूरे संथाल में अपने को स्थापित नहीं किया और दूसरा प्रदेश नेतृत्व ने भी संथाल के संगठन को प्रदेश मुख्यालय से हांकने का काम किया। जाहिर है ऐसे में पार्टी संथाल में एक सर्वमान्य नेता तैयार नहीं कर सकी। ताला मरांडी को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया। चंद महीने में ही इन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इनको अध्यक्ष बनाने के पीछे एक मकसद था पार्टी को संथाल में मजबूत करना और एक सर्वमान्य नेता को तैयार करना। मगर भाजपा यहां से गड़बड़ा गयी। अब ताला ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि झामुमो में जो सीन है उस हिसाब से यदि ताला मरांडी झामुमो ज्वाइन करेंगे तो न ही तीन में रहेंगे और न ही तेरह में। राजमहल से झामुमो इस स्थिति में नहीं है कि अपने सीटिंग सांसद को हटाकर ताला मरांडी को टिकट दे। ताला मरांडी बोरियो विधानसभा से आते हैं। यहां झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेम्ब्रम हैं। कुछ मतों के अंतर से ताला ने सीट जीती है। लोबिन हेम्ब्रम की इस क्षेत्र में अपनी पहचान है।
    ऐसे में झामुमो इस स्थिति में नहीं है कि वह ताला को लाकर पार्टी के दो बड़े नेता विजय हांसदा और लोबिन को नाराज कर सके। लेकिन राजनीति है यहां तो कभी भी कुछ हो सकता है। इधर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ताला मरांडी समेत भाजपा के चार और आजसू के विकास मुंडा समेत दो विधायक उनके संपर्क में हैं। सुप्रियो ने कहा कि इंतजार करें, कुछ ही दिनों में सारी तस्वीरें स्पष्ट हो जायेंगी।
    ताला मरांडी के इस कदम से भाजपा के रणनीतिकार हलकान है। अभी वे राजद को तोड़ कर झारखंड में ताकतवर होने की बात कह ही रहे थे कि ताला मरांडी के कदम ने उनके जोश को ठंडा कर दिया। जाहिर है, अगर ताला मरांडी भाजपा को बाय-बाय कह देते हैं, तो संथाल का भाजपाई गढ़ और कमजोर हो जायेगा। अब देखना यह है कि ताला मरांडी के डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा कौन सा कदम उठाती है।
    इधर जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार ताला मरांडी के इस कदम से उनके समर्थक भी नाखुश हैं। कई ने तो उनका साथ भी छोड़ दिया है। कंहा है ताला मरांडी पछतायेंगे।

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