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    Home»Top Story»चुनाव में किसे मिला विदेशी फंड, जांच रही पुलिस
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    चुनाव में किसे मिला विदेशी फंड, जांच रही पुलिस

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 15, 2019No Comments7 Mins Read
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    झारखंड में प्रभावी पार्टी-पॉलिटिक्स के लिए बदनाम इसाई मिशनरियों ने एक खास राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाने के लिए विदेशी फंड तक खर्च कर डाले। लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता अवधि में एक विशेष पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए इसाई मिशनरियों द्वारा विदेशी फंड का इस्तेमाल किया गया है। इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने रांची के सीनियर एसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है और जांच रिपोर्ट शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा गया है।
    पुलिस मुख्यालय से आइजी अभियान सह चुनाव कोषांग में झारखंड पुलिस के नोडल अधिकारी आशीष बत्रा ने पत्र में लिखा है कि तीन अप्रैल को भी इसी विषय पर पत्राचार किया गया था, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है। सूचना है कि इसाई मिशनरी संगठनों के माध्यम से फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत विदेशी फंड आता रहा है, जिसका दुरुपयोग चुनाव में किया गया है। यह दुरुपयोग एक विशेष पार्टी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है। इसकी जांच जरूरी है, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। आइजी आशीष बत्रा ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय के चुनाव कोषांग को मिलने के बाद उसे गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को भी उपलब्ध कराया जायेगा।
    आदर्श चुनाव आचार संहिता का भी उल्लंघन
    झारखंड लोकसभा चुनाव में इसाई मिशनियों द्वारा एक खास पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए विदेशी फंड जुटाने की सूचना पुलिस मुख्यालय को खुफिया विभाग ने भेजी है। इसमें कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लागू आचार संहिता के बावजूद मिशनरियों द्वारा विदेशी फंड का इस्तेमाल खास पार्टी के लिए किया गया। इस प्रकार मामले में आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी किया गया है। मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस मुख्यालय ने कई ठोस कदम उठाये हैं। सबसे पहले रांची के एसएसपी को पत्र लिख कर पूरे मामले की जांच कराने का निर्देश दिया गया है। पूरे मामले की रिपोर्ट जल्द मांगी गयी है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भी मामले से अवगत कराया है। झारखंड पुलिस के नोडल अधिकारी आशीष बत्रा ने पुलिस मुख्यालय से लिखे अपने पत्र में कहा है कि सूचना है कि विदेशी फंडों के इस्तेमाल से चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की गयी, जबकि ये पैसे जन कल्याण के लिए एफसीआरए के तहत मंगवाये गये थे। मामले की जांच जरूरी है, ताकि दोषियों पर कानूनोचित कार्रवाई की जा सके।
    तीन साल में 572 करोड़ मिले हैं झारखंड के 88 मिशनरी एनजीओ को
    झारखंड के 88 एनजीओ के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय को शिकायत मिली थी। बताया गया था कि एनजीओ द्वारा प्राप्त विदेशी फंड का दुरुपयोग आदिवासियों के धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है। इसलिए ऐसी संस्थाओं का एफसीआरए रद्द करने और उनपर कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। 88 एनजीओ को वर्ष 2012-13 में 67 करोड़, वर्ष 2013-14 में 1.13 अरब और वर्ष 2014-15 में 3.92 अरब का विदेशी फंड मिला था। इस प्रकार तीन साल में उन्हें 572 करोड़ रुपये विदेश फंड के रूप में मिल चुके हैं।
    रांची की 44 संस्थाओं को छह माह में मिले 19 करोड़
    रांची जिला की 44 इसाई मिशनरी संस्थाओं को छह माह में करीब 19 करोड़ रुपये का विदेशी फंड मिला। इसी अवधि में गैर इसाई संस्थानों को सिर्फ एक करोड़ 40 लाख 64 हजार रुपये मिले। यह जानकारी स्पेशल ब्रांच ने राज्य सरकार के पास भेजी है। इसमें कहा गया है कि अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच रांची की 44 संस्थाओं के विदेशी फंड की जानकारी ली गई। इसके मुताबिक राजधानी में कार्यरत मिशनरी संस्थाओं को 18 करोड़ 94 लाख का विदेशी फंड प्राप्त हुआ। यह पैसा रोम, इटली, बेल्जियम, यूएसए, जर्मनी आदि देशों से भेजा गया। अब सरकार यह पता लगा रही है कि इस पैसे का कहां-कहां उपयोग किया गया। सीआइडी और पुलिस द्वारा झारखंड में मिशनरी द्वारा संचालित एनजीओ पर हुई छापेमारी से कई खुलासे हुए हैं। सीआइडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन सारे एनजीओ को साल 2013 और 2016 के बीच में 250 करोड़ रुपये विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत प्राप्त हुए हैं। इनमें शीर्ष 11 एनजीओ को साढ़े सात करोड़ रुपये से लेकर 39 करोड़ रुपये तक मिलते हैं।
    एनजीओ के विदेशी फंड को धर्मांतरण और राजनीति में लगाती रही हैं मिशनरियां
    झारखंड में क्रिश्चियन मिशनरीज बड़े पैमाने पर हिंदुओं को इसाई बनाने के खेल में सक्रिय है। राज्य भर में मिशनरियों द्वारा संचालित 88 एनजीओ पर हुई छापेमारी से यह खुलासा हुआ है। सीआइडी द्वारा की गयी छापेमारी की कार्रवाई से यह भी खुलासा हुआ है कि मिशनरियां 250 करोड़ रुपये धर्मांतरण के साथ सत्ता बदलने पर खर्च कर रही हैं। सीआइडी के एडीजी अजय कुमार सिंह के आदेश पर अलग-अलग 38 टीम ने प्रत्येक एनजीओ की तलाशी ली और जांच की।
    बच्चा बेचने के मामले से खुला सारा मामला
    झारखंड में जब से निर्मल हृदय आश्रम से बच्चों को बेचने के मामले सामने आये हैं, तभी से क्रिश्चियन मिशनरीज के एनजीओ की जांच की मांग हो रही थी। यहां सीआइडी एनजीओ की गतिविधियों पर काफी पहले से नजर रख रही थी, लेकिन इसके खिलाफ कार्रवाई अब हो रही है। सीआइडी के कई सबूत हाथ लगे हैं। बता दें कि इसाई मिशनरियों द्वारा संचालित एनजीओ को हर साल दान के रूप में अस्सी लाख से लेकर करोड़ रुपये तक का अनुदान मिलता है। अमेरिका जैसे देश भी इन एनजीओ को फंडिंग करते हंै। ये सारे पैसे इसाई मिशनरियां आदिवासियों के धर्मांतरण तथा सरकार बनाने-बिगाड़ने और चुनावों से जुड़ी की साजिश पर खर्च करती हंै। यह गंभीर आरोप छापेमारी करने वाली राज्य एजेंसी सीआइडी और पुलिस ने लगाये हैं। सूत्रों का साफ-साफ कहना है कि इसाई मिशनरी अब प्रदेश में सत्ता बदलने के खेल में जुट गयी है। वैसे भी झारखंड का पुराना इतिहास रहा है कि जो भी सरकार इसाई मिशनरियों के कारनामों को उजागर करने लगती है, ये उस सरकार को ही नहीं रहने देती हैं।
    स्कूल, अस्पताल और आश्रय घर चलाने के नाम पर होता है खेल
    सीआइडी की रिपोर्ट के अनुसार कि इनमें से अधिकांश एनजीओ स्कूल, अस्पताल और आश्रय घर चलाते हैं। ये इसाई मिशनरियां काफी चालाकी से स्कूलों, अस्पतालों और आश्रय गृहों में आदिवासी महिलाओं को नौकरी पर रखती है। उन्हें ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर विदेश भेज देती हंै, जहां दबाव डालकर उन्हें इसाई बना दिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लोग अपना अधिकांश एनजीओ दूर-दराज इलाकों में चलाते हैं, ताकि पुलिस और प्रशासन की नजर में आने से बचे रहें।
    राज्य विरोधी गतिविधियां चलानेवालों को भी संरक्षण
    सीआइडी और पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये संस्थाएं सिर्फ धर्मांतरण के लिए ही सक्रिय नहीं रहतीं, बल्कि राज्य विरोधी गतिविधि चलाने वाले राजनीतिक संगठनों को भी संरक्षण देती है। कई बार तो बड़ी-बड़ी पार्टियों को भी पैसे के लालच में फांस लेती हैं। प्रदेश में एक विशेष राजनीतिक दल और इसाई मिशनरियों का चोली-दामन का साथ रहा है। जब-जब इसाई मिशनरियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है, तो यह विशेष राजनीतिक दल सक्रिय हो जाता है। जब यह दल सत्ता में रहा, तब तो कोई बात ही नहीं, अगर सत्ता में नहीं रहती है, तो उसे संरक्षण देने के लिए सरकार तक को गिराने पर आमादा हो जाता है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक ने कहा कि विदेशी फंड का उपयोग सरकार के खिलाफ आयोजित रैली और विरोध-प्रदर्शन के लिए भी किया जाता रहा है। इसके अलावा खूंटी में तथाकथित समानांतर पत्थलगड़ी में भी मिशनरियों की विदशी फंडिंग का उपयोग किये जाने की सूचना है।
    इन संस्थाओं की हो रही जांच
    फिलहाल जांच एजेंसियां जिन एनजीओ की जांच कर रही हैं, उनमें रांची कैथोलिक आर्चडायसिस रांची, कॉलवैरी गौस्पल मिनिस्ट्रीज ट्रस्ट रांची, रांची जेसुइट्स रांची, जेसुइट्स आॅफ संथाल सोसाइटी दुमका, हजारीबाग जेसुइट्स एजुकेशन सोसाइटी हजारीबाग, द कांगरेगेशन आॅफ द डॉटर्स आॅफ संत एंस रांची, जमशेदपुर जेसुइट्स सोसाइटी साकची, जमशेदपुर डायसियन कॉरपोरेशन जमशेदपुर, नॉर्दन इवंजेलिकल लूथेरन चर्च दुमका, गोस्सनर इवंजेलिकल लूथेरन चर्च इन छोटानागपुर एंड असम रांची, इंस्टीट्यूट आॅफ क्रिश्चियन डॉक्टरिन फादर्स सोसाइटी रांची, होली क्रॉस इंस्टीट्यूट हजारीबाग, कापूचीन फ्रायर्स माइनर सोसाइटी नामकुम, सिमडेगा कैथोलिक डायसिस गुमला, रांची फ्रांसिसियन सोसाइटी रांची, गुमला कैथोलिक डायसिस गुमला, पेंटिकॉस्टल होलिनेस चर्च देवघर, सिस्टर्स आॅफ जोसेफ ट्रेनिंग स्कूल रांची, संत अलबर्ट कॉलेज रांची, रांची कारमेलाइट सोसाइटी रांची, रांची होली क्रॅस सिस्टर्स सोसाइटी रांची, डायसिस आॅफ छोटानागपुर रांची शामिल हैं।

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