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    Home»Top Story»गीता कोड़ा और अन्नपूर्णा बनीं महिला नेत्रियों की प्रेरणा
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    गीता कोड़ा और अन्नपूर्णा बनीं महिला नेत्रियों की प्रेरणा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskSeptember 10, 2019No Comments5 Mins Read
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    झारखंड की राजनीति में दमखम दिखाने को तैयार हैं महिलाएं

    हालांकि देखा जाये, तो झारखंड महिला राजनीति का इतिहास बहुत बेहतर नहीं है। संसदीय चुनावों की तारीखों में एकीकृत बिहार से लेकर अलग राज्य बनने के बाद तक झारखंड के इलाके सिर्फ नौ महिलाएं सांसद बन सकीं हैं। इनमें किसी की यादें शेष हैं, तो कोई चुनावी राजनीति के हाशिए पर है। वैसे महिलाओं को उम्मीदवार बनाने में पार्टियां भी डंडी मार जाती हैं। 2009 के आमचुनाव में झारखंड से कुल 249 उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या 14 थीं। इनमें सभी चुनाव हार गयीं। इस बार भी सभी राजनीतिक दलों में एक बात साफ दिख रही है कि वह महिला उम्मीदवारों को उतारने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। पर कई महिलाएं दावेदारी में आगे दिख रही हैं। यह हाल तब है जब पिछले चुनाव में झारखंड की 14 लोकसभा सीटों के लिए 40 लाख 33 हजार 59 महिलाओं ने वोट दिये थे। यह कुल वोट का यह 47.33 फीसदी था। इससे पहले 2004 में झारखंड से 13 महिलाएं चुनाव लड़ीं, लेकिन जीती सिर्फ एक। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में दो महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं गीता कोड़ा और अन्नपूर्णा देवी, दोनों ही जीतीं।
    ये महिलाएं दिखा चुकी हैं दमखम
    2007 में सुमन महतो जमशेदपुर लोकसभा उपचुनाव में विजयी हुई थीं। उनके सांसद पति सुनील महतो की हत्या के बाद झामुमो ने उन्हें चुनाव लड़ाया था। 2009 में वह चुनाव हार गयीं। इसके बाद 2010 के उपचुनाव में झामुमो ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वह तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ीं, पर हार गयीं।
    जमशेदपुर से दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं आभा महतो 2004 में चुनाव हारने के बाद फिर सक्रिया राजनीति में नहीं दिखीं। 2009 में पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
    धनबाद से लगातार चार बार भाजपा से चुनाव जीतने वालीं भाजपा की रीता वर्मा 2004 में हार गयीं और 2009 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि धनबाद से भाजपा ही जीती। रीता वर्मा का कहना है कि वे भाजपा की राजनीति में लगातार सक्रिय रही हैं। दरअसल मौजूदा राजनीति में पार्टियां हर हाल में सीट जीतना चाहती हैं। वह पहले सीट फ्रेम करती हैं और जब कोई विकल्प नहीं मिलता या सहानुभूति वोट हासिल करना होता है, तो महिलाओं को टिकट दिया जाता है।
    पलामू से कांग्रेस की कमला कुमारी का चार बार चुनाव जीतना अब तक का रिकॉर्ड रहा है। लोग उनके स्वभाव की चर्चा आज भी करते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण किशोर बताते हैं कि 1980 में पहली बार छतरपुर से उन्हें विधायक बनाने में कमला जी की अहम भूमिका थी। वह कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान रखती थीं और जनता के बीच एकदम साधारण व्यक्ति के तौर पर पेश आती थीं।
    खूंटी से सांसद बनीं सुशीला केरकेट्टा बिहार सरकार में मंत्री (1985-89) भी रहीं। आदिवासी नेता कार्तिक उरांव की पत्नी सुमति उरांव कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 1984 और 1989 में चुनाव जीतीं और उन्हें दोनों बार केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया। गुमला के वयोवृद्ध जोखन उरांव बताते हैं कि आदिवासियों के बीच कार्तिक बाबू के नाम पर सुमति का प्रभाव भी खूब रहा।
    रामगढ़ राजघराने की ललिता राज लक्ष्मी हजारीबाग के अलावा धनबाद और औरंगाबाद से भी चुनाव जीती थीं. इसी राजपरिवार की विजयाराजे तीन बार लगातार चतरा से चुनाव जीतीं।
    इसके अलावा कांग्रेस की गीताश्री उरांव झारखंड सरकार में मंत्री रहीं। जोबा मांझी कई सरकारों में मंत्री रहीं। फिलहाल झारखंड सरकार में दो महिलाएं मंत्री हैं नीरा यादव और लुइस मरांडी। इसके अलावा विपक्ष की ओर से जोबा मांझी, निर्मला देवी, सीता सोरेन, सीमा महतो, बबिता महतो और भाजपा की विमला प्रधान, मेनका सरदार विधायक हैं।
    आगामी विधानसभा चुनाव में इन देवियों पर रहेगी नजर
    अब बात करें आगामी विधानसभा चुनाव की, तो इसमें भी महिलाओं के लिए चुनौती बड़ी रहनेवाली है। मौजूद दस विधायकों की दावेदारी तो अपने-अपने दलों में रहेगी ही। साथ ही कई दलों में महिला दावेदारों की संख्या भी बढ़ हुई दिखेगी, क्योंकि पंचायत, जिला परिषद और नगर निकायों में जोर आजमा चुकी और जीत हासिल करनेवाली महिलाएं भी दावेदारी ठोंक रही हंैं। इसके अलावा कई ऐसे नेता जो चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है और कुछ दिवंगत नेताओं की पत्नियां भी आगामी चुनाव में दमखम दिखाना चाहती है। खास तौर पर रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तीन देवियों की जंग होने की भरपूर संभावना है। यहां पूर्व मंत्री और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी, निशि पांडेय और ममता देवी की दावेदारी अभी से ही देखी जा रही है। वहीं धनबाद के झरिया विधानसभा क्षेत्र में भी दो बाहुबली सिंह मेंशन और रामायण की दो बहुओं की जंग देखने को मिल सकती है। मौजूद विधायक संजीव सिंह जेल में हैं और उनकी पत्नी रागिनी सिंह जनता के बीच पहुंच रही हैं। वहीं दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी भी अब सक्रिय दिख रही हैं। इसी प्रकार कोडरमा में मौजूदा विधायक नीरा यादव, शालिनी गुप्ता टिकट की दावेदारी में हैं। इसी प्रकार कोलेबिरा में एनोस एक्का की पत्नी फिर से झारखंड पार्टी की उम्मीदवार के रूप में सामने आ सकती हैं। इसके अलावा हटिया से भाजपा की सीमा शर्मा, संथाल परगना में मिसफिका, निरसा से अपर्णा देवी, कांग्रेस की रमा खलखो, गुंजन सिंह टिकट की दावेदारी को लेकर दमखम दिखा रही हैं।

    Geeta Koda and Annapurna became the inspiration of female eyes
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