रामगढ़: गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा रामगढ़ में गुरूवार को सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा, भक्ति एवं उत्साह से मनाया गया। गुरूद्वारा साहिब में गुरूवार को प्रात: साहिबे कमाल, संत सिपाही, बादशाह दरवेश एवं अमृत के दाते आदि अनेक विशेषणों से अलंकृत सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह के इतिहास पर प्रकाश डाला गया। महासचिव जगजीत सिंह सोनी ने बताया कि गुरू जी का पुरा जीवन 42 वर्ष का रहा। उसमें भी सक्रिय जीवन केवल 33 वर्षों का ही रहा। इस अल्पकाल में गुरू जी ने अनेक महान कार्यों को अंजाम दिया। एक योजना के तहत जोर जूल्म से टक्कर लेने हेतू खालसा रूपी फौज का निर्माण किया।
पंज प्यारों का चुनाव विभिन्न जातियों व विभिन्न दिशाओं से किया गया। फिर उन्हीं पंज प्यारों से स्व अमृत पान कर सिंह सजना और गुरू और चेले के भेद को समाप्त करना उनकी मनोवैज्ञानिक सूझ को रेखांकित करता है। उन्होंने अपने पिता की कुर्बानी के बाद अपने जीगर के चार टुकड़ों(पुत्रों) को कुर्बान कर सर्वशदानी कहलाये बताया गया कि 17-18 जनवरी को रामगढ़ में एक भव्य कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम में हुजूरी रागी जत्थे तीरथ सिंह जी द्वारा गुरवाणी में तहीं प्रकाश हमारा भयो पटना शहर बिखे भव लयौ, दूध पीओ मेरे गोविंद राय से संगत को निहाल किया।
बाबा गुरजीत सिंह ने गुरू गोंविंद सिंह जी के इतिहास की जानकारी दी। इस मौके पर जगजीत सिंह सोनी, रघुवीर सिंह छाबड़ा, पप्पु जस्सल, मनवीर सिंह गुजराल, डा. रश्मीत सिंह चंडोक, देवेंद्र सिंह अरोड़ा, जोगेंदर सिंह जग्गी, अवतार सिंह सैनी, रघुवीर सिंह सलूजा, भुपेंदर सिंह चंडोक, तेजिंदर सिंह सोनी, मनिंदर सिंह सोनी, प्रीतपाल सिंह कालरा, इंद्रजीत सिंह होरा, महिलाओं में कनिका कौर सोनी, विमला मेहरा, नीलम अरोड़ा, गुरूशरण कौर कालरा, डा. मनवीर कौर, सतपाल कौर सोनी, जसमीत कौर, बबली सोनी, नरेश कौर सैनी, जसवीर कौर होरा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।