Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, June 16
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»कांग्रेस की महत्वाकांक्षा उबाल पर
    Top Story

    कांग्रेस की महत्वाकांक्षा उबाल पर

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 17, 2020No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    हेमंत और कांग्रेस नेताओं के बीच मंत्री पद को लेकर माथापच्ची
    29 दिसंबर को जब हेमंत सोरेन झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री बने तो उनके साथ कांग्रेस के दो विधायकों डॉ रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम और राजद के सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली। उम्मीद की जा रही थी कि खरमास खत्म होते ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और सरकार मुकम्मल आकार ले लेगी। लेकिन, सरकार बनने के18 दिन बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार न हो पाने के पीछे जो परिस्थितियां हैं, वह कांग्रेस की महत्वाकांक्षा की वजह से उपजी हैं। कांग्रेस की सरकार में हिस्सेदारी की बढ़ती हुई मांगों के कारण हेमंत सोरेन के लिए स्थितियां बहुत सहज नहीं हैं। हेमंत सोरेन दिल्ली दरबार होकर आ गये, पर अब तक मंत्रियों की संख्या और उनके बीच विभागों को लेकर तसवीर पूरी तरह साफ नहीं हो पायी है।
    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा विधायक डॉ रामेश्वर उरांव गृह विभाग कांग्रेस के पाले मेें चाहते हैं। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण विभाग कांग्रेस अपने हिस्से में चाहती है। जाहिर है 16 विधायकों वाली कांग्रेस 30 विधायकों वाली झामुमो पर दबाव डाल रही है और इस स्थिति ने हेमंत सोरेन को थोड़ा असहज तो कर ही दिया है। हालांकि हेमंत सोरेन इस मामले में उदारता दिखाते हुए सोनिया गांधी, आरपीएन सिंह और उमंग सिंघार के साथ मिलकर मंत्रियों के बीच बंटवारे को लेकर आम सहमति बनाने में लगे हुए हैं, पर यह आसान काम नहीं है।
    शपथ ग्रहण के दिन ही दिख गयी थी कांग्रेस की महत्वाकांक्षा
    29 दिसंबर को जब हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उस दिन हेमंत के अलावा कांग्रेस के कोटे से एक तथा राजद के कोटे से एक ही मंत्री को शपथ दिलाने की खबर सामने आयी थी, पर 28 दिसंबर की रात को समीकरण बदला और 29 को कांग्रेस के कोटे से दो मंत्रियों को मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। उसके बाद से ही कांग्रेस लगातार हेमंत पर महत्वपूर्ण विभाग उसके मंत्रियों को देने को लेकर दबाव बनाये हुए है। हेमंत सोरेन के लिए मुश्किल यह है कि महागठबंधन का घटक दल होने के कारण कांग्रेस की मांग को पूरी तरह नकारना उनके लिए संभव नहीं हो रहा है। वहीं, 30 विधायकों वाली पार्टी का मुखिया होने के कारण वह अपनी पार्टी का मान-सम्मान भी बचाये रखना चाहते हैं। पार्टी विधायकों में से किसे मंत्री पद देना है, यह तो हेमंत तय कर चुके हैं पर दिक्कत उन्हें कांग्रेस की मांगों से आ रही है।
    17 को बैठक और 19 को हो सकता है विस्तार
    17 जनवरी को झारखंड में जीत कर आये कांग्रेस के 16 विधायक दिल्ली में सोनिया गांधी से मिलेंगे और संभवत: वहीं कांग्रेस के बाकी बचे अन्य मंत्रियों के नाम फाइनल होंगे। महागठबंधन में हुई डील के मुताबिक चार विधायकों पर एक मंत्री पद फाइनल हुआ था। पर जब एक विधायक पर राजद ने एक मंत्री पद ले लिया तो कांग्रेस भी अपने लिए पांच मंत्री पद चाहती है। इनमेंं से दो शपथ ले चुके हैं। कांग्रेस स्कूली शिक्षा, उच्च और तकनीकी शिक्षा, ऊर्जा और स्वास्थ्य विभाग के अलावा ग्रामीण विकास या नगर विकास विभाग चाहती है। कांग्रेस गृह और वित्त विभाग की भी मांग कर रही है, पर हेमंत सोरेन इसे अपने पास रखना चाहते हैं। जबकि गृह, कार्मिक और वित्त विभाग झामुमो अपने पास रखना चाहता है। अंदरखाने से मिल रही सूचना के मुताबिक इस मामले में गतिरोध समाप्त करने के लिए हेमंत ने मंगलवार रात दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं से बातचीत की और बुधवार को रांची लौट आये। मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर हेमंत ने कांग्रेस के राष्टÑीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से बातचीत की और सहमति बनाने की कोशिश की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर मामला सुलझ गया है। 17 जनवरी को सोनिया गांधी संग पार्टी विधायकों की बैठक के बाद हेमंत सोरेन को मंत्रियों के नाम बता दिये जायेंगे। और 19 जनवरी को हेमंत सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।
    अपनी शर्तों पर सरकार चलाना चाहिए हेमंत को
    जमशेदपुर पूर्वी सीट पर रघुवर दास को हराकर चर्चित हुए सरयू राय ने बातचीत के दौरान कहा कि हेमंत सोरेन को अपनी शर्तों पर सरकार चलाना चाहिए। कांग्रेस चूंकि महागठबंधन का घटक दल है, तो उसकी मांग को पूरी तरह नकारना तो नहीं चाहिए पर एक सीमा रेखा अवश्य खींचनी चाहिए। जाहिर है, अगर हेमंत सोरेन एक लकीर खींचकर चल पाये तो यह उनकी सफलता मानी जायेगी। पर ऐसा नहीं हुआ, तो उन्हें बार-बार मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी। झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस हेमंत सोरेन पर दबाव बनाकर अधिक से अधिक हासिल करना चाहती है और इस फार्मूले पर वह काम भी कर रही है। ऐसे में हेमंत सोरेन को एक लकीर खींचकर उस पर टिके रहना चाहिए। कांग्रेस यह अच्छी तरह से जानती है कि महागठबंधन में रहना उसकी मजबूरी है, क्योंकि महागठबंधन में रहकर ही वह बेहतरीन प्रदर्शन कर पायी है। यदि वह अधिक दबाव बनाती है और महागठबंधन से अलग कुछ सोचती है तो किरकिरी उसी की होगी। झामुमो तो अकेले भी कांग्रेस पर भारी है। हेमंत सोरेन को कांग्रेस की अनुचित मांगों पर दो टूक रुख अपनाना चाहिए।
    यदि झामुमो कांग्रेस को अधिक मंत्री पद दे देता है, तो फिर अपने विधायकों को उचित अनुपात में मंत्री पद देना उसके लिए मुश्किल होता जायेगा। झामुमो के कोटे से मंत्री पद के दावेदारों में स्टीफन मरांडी, चंपई सोरेन, नलिन सोरेन और मिथिलेश ठाकुर के अलावा जोबा मांझी और दीपक बिरुआ के नाम भी हैं। ऐसे में अपने विधायकों की कीमत पर हेमंत को कांग्रेस की मांग पूरी करना आसान नहीं है। जाहिर है कि हेमंत सोरेन के लिए बतौर मुख्यमंत्री इन चुनौतियों से निबटना आसान नहीं है, पर राजनीति की शतरंज खेलते-खेलते मैच्योर हो चुके हेमंत सोरेन इस गतिरोध को दूर करने में सफल रहेंगे, इसकी संभावना ज्यादा है।

    Congress's ambition boils
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleबच्चों को हथियार की बजाय कलम पकड़वाया : चंद्रवंशी
    Next Article हेमंत को चैंपियन आफ चेंज का अवार्ड
    azad sipahi desk

      Related Posts

      डीजीपी अनुराग गुप्ता अब न अखिल भारतीय सेवा में हैं, ना सस्पेंड हो सकते हैं : बाबूलाल मरांडी

      June 16, 2025

      भाजपा के टॉर्चर से बांग्ला बोलना सीख गया : इरफान

      June 16, 2025

      राजभवन के समक्ष 108 एंबुलेंस के कर्मी 28 को देंगे धरना

      June 16, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
      • डीजीपी अनुराग गुप्ता अब न अखिल भारतीय सेवा में हैं, ना सस्पेंड हो सकते हैं : बाबूलाल मरांडी
      • भाजपा के टॉर्चर से बांग्ला बोलना सीख गया : इरफान
      • राजभवन के समक्ष 108 एंबुलेंस के कर्मी 28 को देंगे धरना
      • झारखंड में 19 तक मानसून के पहुंचने की उम्मीद, 21 तक होगी बारिश
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version