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    Home»Top Story»संघर्ष और चुनौतियों की डगर पर बेखौफ बढ़ते हेमंत
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    संघर्ष और चुनौतियों की डगर पर बेखौफ बढ़ते हेमंत

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskFebruary 6, 2020No Comments6 Mins Read
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    पहले झारखंड की उपराजधानी दुमका और फिर कोयलानगरी धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो भाषण दिया, उसमें धरतीपुत्र के सपनों का झारखंड तो प्रतिध्वनित हुआ ही, उन चुनौतियों की तस्वीर भी उभरी, जो बतौर मुख्यमंत्री उनके सामने हैं। इन भाषणों में हेमंत कभी झारखंड के साथ होती आयी नाइंसाफी के खिलाफ गरजते दिखे, तो कभी एक जिम्मेदार नेतृत्वकर्ता के रूप में चुनौतियों पर खरा उतरने का वादा भी दोहराया। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस के बहाने पार्टी के संघर्षपूर्ण इतिहास के पन्ने पलटे, तो झारखंडी अस्मिता और हक से जुÞड़ी आकांक्षाओं को स्वर भी दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाषणों का निहितार्थ तलाशती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    धनबाद के रणधीर वर्मा इनडोर स्टेडियम में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस समारोह के दौरान मंगलवार शाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो भाषण दिया, वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनके सबसे अर्थपूर्ण भाषणों में एक था। उन्होंने झारखंडी अवाम के साथ होती आयी नाइंसाफी के खिलाफ सिंह गर्जना की। झारखंड में उद्योगों-खदानों के लिए रैयतों की जमीन अधिग्रहण का मुद्दा अत्यंत अहम रहा है, लिहाजा हेमंत सोरेन ने कंपनियों को चेताया कि अगर किसी की एक डिसमिल जमीन भी लेते हैं तो उस परिवार के एक व्यक्ति को हर हाल में नौकरी देनी होगी। झारखंड में हाल में संपन्न हुए चुनाव में आरक्षण का सवाल हर पार्टी के घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल था और झामुमो ने भी आरक्षण को लेकर अपना दृष्टिकोण सामने रखा था। उन्होंने केंद्र पर आरक्षण खत्म करने की साजिश का आरोप लगाते हुए झारखंड से लोहा-कोयला भेजे जाना रोकने की चेतावनी दी, तो प्रकारांतर से उन्होंने झारखंडी जनमानस की भावना को छूने का प्रयास किया। जमीन की दलाली में लगे झारखंड के अफसरों को दी गयी उनकी चेतावनी का संदेश यह है कि ऐसे अफसर हमेशा सरकार के राडार पर रहेंगे।

    प्राथमिकताएं गिनायीं तो चेतावनी भी दी
    हेमंत ने न सिर्फ अपनी सरकार की प्राथमिकताएं गिनायीं, बल्कि झारखंड से जुड़े सवालों पर मुखर भी हुए। हेमंत ने कहा कि जब दुनिया झारखंड को नहीं जानती थी तब भी धनबाद का नाम पूरी दुनिया में था। धनबाद के कोयले से पूरा देश रौशन हो रहा है, पर यह धनबाद के लोगों का दुर्भाग्य है कि उन्हें बदले में भूख और बेरोजगारी मिली। उन्होंने केंद्र सरकार के नये भूमि अधिग्रहण कानून को गरीब और किसान विरोधी करार दिया। हेमंत सोरेन को बखूबी एहसास है कि उनपर झारखंड की जनता की उम्मीदों का कितना बड़ा बोझ है, लिहाजा उन्होंने जनाकांक्षाओं से जुड़े मुद्दों पर अपनी साफ राय रखी। कहा कि झारखंड के लोगों को यहीं काम मिलेगा। किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर दाम मिलेगा। गेहूं के अलावा अब सब्जी का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होगा। हर प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज खुलेगा। दलालों से किसानों को मुक्ति दिलायेंगे।

    पिछली सरकार ने खाली खजाना सौंपा है
    झारखंड की खराब वित्तीय स्थिति का जिक्र करते हुए हेमंत ने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्य का खजाना खाली कर दिया। इस वजह से राज्य का खजाना खाली हो गया है। इसे सरकार ने चुनौती के रूप में लिया है और अगले पांच साल में जनता के सहयोग से समृद्ध झारखंड बनायेंगे। उन्होंने कहा कि धनबाद में जमीन घोटाला करनेवाले अधिकारियों को जेल भेजा जायेगा। उनसे घोटाले की राशि वसूली जायेगी वहीं जमीन दलालों को भी जेल भेजेंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में एक बार भी जेपीएससी की परीक्षा नहीं हुई। अब ऐसा नहीं होगा। साल में चार-पांच बार परीक्षाएं आयोजित कर लोगों को रोजगार दिया जायेगा। इससे पहले दुमका में दो जनवरी को आयोजित पार्टी के 41वें स्थापना दिवस समारोह में भी हेमंत सोरेन अपनी प्राथमिकताएं बताने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि बीते 20 सालों में कई सरकारें आयीं और गयीं पर लोगों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुर्इं। उन्होंने कहा कि राज्य को गलत तरीके से लूटनेवाले लोगों पर कार्रवाई शुरू हो गयी है। हम बात कम और काम ज्यादा करेंगे। राज्य को लूटनेवालों के खिलाफ संघर्ष करना है। सरकार बन जरूर गयी है लेकिन सरकार न चले इसके लिए षडयंत्र रचा जा रहा है। केंद्र सरकार कानून बनाकर डरा-धमकाकर उसे मनवाने पर बाध्य कर रही है, लेकिन यह नहीं चलेगा।

    चुनौतियों पर खरे उतरेंगे मुख्यमंत्री
    पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय कहते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य की समस्याओं से भली-भांति अवगत हैं। उन्हें खाली खजानेवाला जो राज्य मिला है उसकी भी उन्हें जानकारी है और झारखंड के 11वेें मुख्यमंत्री के तौर उनके समक्ष जो चुनौतियां हैं उससे भी वे परिचित हैं। इन समस्याओं के समाधान का ब्लू प्रिंट वे बना चुके हैं। किसी समस्या के समाधान के लिए उसकी बेहतर समझ होनी आवश्यक है। साथ ही उसका समाधान कैसे हो, इसकी भी जानकारी होनी आवश्यक है। मुख्यमंत्री को इन बातों का पूरा एहसास है। पूर्व में 14 महीने तक एक यादगार सरकार का संचालन कर चुके हैं। इसलिए पहले दुमका और बाद में धनबाद मेें उन्होंने अपने भाषण में जो कुछ कहा, उसमें उनके अनुभवों के निचोड़ के साथ जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की प्रतिबद्धता साफ दिखी।

    जनपक्षधर और मानवीय तरीके से सरकार चलायेंगे हेमंत
    झारखंड की राजनीति के जानकार मानते हैं कि छात्र नेता से लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में लंबी राजनीतिक पारी खेल चुके हेमंत इस दफा जनपक्षधर और मानवीय तरीके से सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पीपुल कनेक्ट तो है ही, गलत करनेवालों को सुधर जाने की चेतावनी भी है। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उन्होंने अपने आवास में जो प्रेस वार्ता की थी उसमें उन्होंने इसके संकेत दे दिये थे और अब वे खुलकर अपनी प्राथमिकताएं जाहिर कर रहे हैं। उनके दुमका और धनबाद में दिये गये भाषणों में जहां झारखंडी अस्मिता का गौरव बोध है वहीं राज्य के युवाओं की तकदीर बदलने के साथ राज्य की भी तस्वीर बदलने की आकांक्षा है। वे बतौर शासक नहीं बल्कि महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप राज्य के ट्रस्टी के रूप में झारखंड में शासन चलाना चाहते हैं। अपने पूर्व के 14 महीने के मुख्यमंत्री के कार्यकाल की उपलब्धियां उनके जेहन में हैं और यह भी उन्हें मालूम हैं कि कुछ नकारात्मक शक्तियां राज्य को अस्थिर करने के प्रयासों में लगी हुई हैं। हेमंत ने अपने भाषण में यह साफ जाहिर कर दिया है कि ऐसी शक्तियों को वे नहीं बख्शेंगे, साथ ही वैसे अफसरों और कंपनियों को भी नहीं बख्शेंगे जो जनता के हक में सेंधमारी कर रही हैं। राज्य के युवाओं को नौकरी देने के वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने त्वरित गति से काम पूरा करना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर हेमंत के भाषणों में उनके शब्द कम और प्राथमिकताएं अधिक जाहिर हुई हैं। उनके भाषणों में झारखंड और झारखंडी जनता की बेहतरी का संकल्प गूंजता दिखायी देता है।

    Hemant growing fearlessly on the path of struggle and challenges
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