रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र के कृषि से संबंधित बिल पर करारा प्रहार किया है। सीएम ने कहा कि इस बिल में किसानों के हितों की अनदेखी की गयी है। यह कानून राज्यों और किसानों पर जबरन थोपा गया है। अध्यादेश या बिल बनाने से पहले राज्य सरकारों से कोई रायशुमारी भी नहीं की गयी। आजादी के बाद संघीय ढांचा पर यह सबसे बड़ा प्रहार है। किसान विरोधी बिल का हर स्तर पर विरोध होगा। उलगुलान हो सकता है, लोग सड़कों पर उतर सकते हैं। केंद्र पूरी तरह से तानाशाही और गुंडागर्दी पर उतर गया है। इसे लोगों को समझना होगा। इस बिल के जरिए महाजनी प्रथा को बढ़ावा मिल सकता है। कभी महाजनों के खिलाफ इस राज्य में उलगुलान हुआ था। अब इस बिल के जरिए महाजन किसानों का शोषण कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट भवन में शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि नया कृषि बिल 2020 येन केन प्रकारेण पारित कर दिया गया। इस बिल के पारित होने से यह साफ हो गया है कि केंद्र संविधान को भी नहीं मानता। संविधान में राज्य और केंद्र सरकारों के क्या अधिकार हैं, यह स्पष्ट है। केंद्र कौन सा कानून बना सकता है। किसके लिए राज्य सरकार अधिकृत है और किसमें केंद्र और राज्य दोनों की सहमति चाहिए, सब साफ है। यह बिल किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। पीएम किस दिशा में भारत को ले जाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी पर जम कर विवाद हुआ। हजारों-करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ। कोल ब्लॉक आवंटन, नयी शिक्षा नीति यह सब कुछ केंद्र जबरिया ढंग से थोप रहा है। किसानों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। अगर किसान आत्महत्या करेंगे, तो इसकी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी। सीएम ने सवाल किया कि व्यापारियों के साथ किसानों का अनुबंध होगा, अनुबंध का मतलब झारखंड के लोग अच्छे से जानते हैं, मोरहाबादी और बिरसा चौक पर अनुबंधकर्मियों की स्थिति देखी जा सकती है।
सीएम ने उदाहरण दिया कि अगर मंगरा मुंडा के साथ बड़े व्यापारी खेती के लिए अनुबंध करते हैं और अनुबंध बीच में टूट जाता है, तो वह न्याय के लिए कहां जायेगा। उसकी बात कौन सुनेगा। इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। अब तो जमाखोरी और कालाबाजारी जैसे शब्द भी मान्य होंगे। कृषि उत्पाद की कीमत अब किसान तय नहीं करेंगे। दिल्ली में बैठे व्यापारी तय करेंगे। अभी तक तो प्याज और आलू की कीमत बढ़ती थी। अब सब कुछ की बढ़ेगी। सीएम ने कहा कि अच्छा होता कि अनुबंध किसानों के साथ प्रखंड या पंचायत स्तर की कोई संस्था करती। उन्होंने कहा कि केंद्र कहता है कि एमएसपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है। अनुबंध का सबसे डरावना रूप झारखंड में दिखेगा।
सीएम ने कहा कि हमने जो घोषणा की है, उस दिशा में काम कर रहे हैं। एमएसपी पर खरीदारी का वादा किया था, उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जिला स्तर पर गठित बाजार समिति से आगे बढ़ते हुए पंचायत स्तर पर जा रहे हैंं। नाबार्ड और राज्य सरकार की राशि को मिलाते हुए पैक्स को मजबूत किया जायेगा। इसके लिए ढाई सौ करोड़ की योजना स्वीकृत की गयी है।