दयानंद राय
रांची। चूड़ियां बेच कर आइएएस अधिकारी बननेवाले कोडरमा डीसी रमेश घोलप फिर चर्चा में हैं। द बेटर इंडिया ने उन्हें वर्ष 2020 के आइएएस हीरो की सूची में छठा रैंक दिया है। बेटर इंडिया ने उन्हें इस सूची में इसलिए जगह दी है, क्योंकि उन्होंने 35 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करा कर न सिर्फ स्कूलों में भर्ती कराया, बल्कि उनकी पहल से वे अच्छी शिक्षा भी पा रहे हैं।
बेरमो में एसडीएम रहते हुए रमेश घोलप ने वर्ष 2015 में पहली बार सुमित को रेस्क्यू कराया। इसके बाद वे 35 बच्चों की जिंदगी बदल चुके हैं। कोडरमा डीसी के तौर पर उन्होंने पांच बच्चों का सरकारी आवासीय विद्यालयों में दाखिला कराया।
यही नहीं इन बच्चों को आधार और राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराये, जिससे उन्हें सरकारी सुविधाएं मिल सके। 11 साल की अनाथ बच्ची सपना कुमारी के वे अभिभावक बने और उसे इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट और सिक्यूरिटी स्कीम से भी जोड़ा। इस योजना के तहत बच्ची को 2000 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। रमेश कहते हैं कि मैंने और कुछ अधिकारियों ने मिल कर पैसे जमा किये, जिससे बच्ची के लिए बैग, जूते और यूनिफार्म और दूसरी चीजेें खरीदी गयीं। बेटर इंडिया की आइएएस हीरो की सूची में जिन आइएएस अफसरों को जगह मिली हैं, उनमें दुर्गा शक्ति नागपाल, भूपेश चौधरी, अंशुल गुप्ता, ओम कसेरा, हर्षिका सिंह, देवांश यादव, विक्रांत राजा, आदित्य रंजन और दिव्या देवराजन के नाम भी शामिल हैं।
संघर्षपूर्ण रही है जिंदगी
कोडरमा डीसी रमेश घोलप की जिंदगी संघर्ष पूर्ण रही है। घर में गरीबी इतनी थी कि जब उनके पिता का निधन हुआ तो उनके पास अपने पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए भी पैसे नहीं थे। पड़ोसियों से मिले पैसे से वह अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हो पाये थे। इसी दौरान उनकी 12वीं की परीक्षा थी। इतने बड़े इमोशनल लॉस के बाद भी उन्होंने 12वीं की परीक्षा में 88.50 फीसदी अंक हासिल किये। पेट पालने के लिए मां विमल के साथ चूड़ियां बेचीं और पहले शिक्षक फिर वर्ष 2012 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आइएएस बन गये।