रांची। झारखंड में इ-पास का कोई मतलब नहीं है। जिस तरह से इसे कुछ लोगों ने मजाक बना दिया है, उसे देखकर आप भी हैरत में पड़ जायेंगे। यह व्यवस्था कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए की गयी है, लेकिन कुछ लोगों ने इस व्यवस्था को खेल बना दिया है। इ-पास जारी करने के लिए अब कुछ क्वैरी जरूरी है। ऐसी व्यवस्था हो कि जब कोई व्यक्ति अपना पहचान दे, तभी वह जारी हो।
राज्य में 27 मई की सुबह 6 बजे तक स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू है। यह नियम 16 मई से चल रहा है। इस दौरान बिना पास के घर से निकलने पर सड़क पर पुलिस धर-पकड़ कर रही है। पहले तो वेबसाइट के डाउन होने की वजह से लोगों को पास बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अब पोर्टल से पास बन तो रहे हैं, लेकिन इसमें कई कमियां हैं।
सरकार द्वारा जारी की गयी वेबसाइट की खामियों पर झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने भी सवाल उठाये हैं। खूंटी से विधायक और पूर्व मंत्री ने ट्वीट कर बताया है कि राज्य में इ-पास फोन नंबर के बिना भी बन जा रहा है, क्योंकि इसमें ओटीपी सिस्टम नहीं है। ओटीपी सिस्टम नहीं होने के कारण कोई भी किसी का नंबर उपयोग कर सकता है। ऐसे-ऐसे एप्लिकेशन को मान्यता कैसे मिल जा रही है।
यहां-वहां से जहां-तहां के लिए बन रहा पास
यहां-वहां, जहां-तहां से देहरादून तक के लिए पास बन रहा है। फोन नंबर के नाम पर कुछ भी लिख दिया जा रहा है। जैसे- 1234567890। वाहन संख्या में एबी 27290 लिखा हुआ है। स्थान की वैधता में ‘कभी खुशी कभी गम, गिरिडीह झारखंड से बाबा का ढाबा, नयी दिल्ली लिखा हुआ है। यात्रा के प्रयोजन में शादी और पहचान पत्र संख्या में **3784 लिख दिया गया है। सबसे बड़ी चौंकानेवाली बात तो यह है कि इन सब तथ्यों के साथ इ-पास तैयार भी हो गया।
विधायक ने पास के दो फोटो पोस्ट किये हैं। एक में जग्गू नाम के व्यक्ति ने कभी खुशी कभी गम गिरिडीह झारखंड से बाबा का ढाबा नयी दिल्ली के लिए पास बनाया है। इसमें उन्होंने मोबाइल नंबर के नाम पर 1234567899 लिखा है। वाहन संख्या की जगह एबी 27290 लिखा है। इस पर पास तैयार भी हो गया है। एक अन्य व्यक्ति पटेल बाबू ने पास बनाया। इसमें उन्होंने मोबाइल नंबर में 1234567890 लिखा है। स्थान की वैधता में यहां-वहां जहां-तहां रांची झारखंड से बाबा देहरादून लिखा है।