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    Home»Breaking News»परिवार के लिए खतरा बन रहे बुजुर्ग, नहीं ले रहे टीका
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    परिवार के लिए खतरा बन रहे बुजुर्ग, नहीं ले रहे टीका

    azad sipahiBy azad sipahiJune 9, 2021No Comments5 Mins Read
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    कोरोना से बचाव के लिए अभी फिलहाल केवल टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। इस बात को सभी को समझना होगा। सरकार धीरे-धीरे टीकाकरण के अभियान को बढ़ा रही है। संभावित तीसरी लहर से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया है और इस दिशा में काम चल रहा है। हमें भी समझना होगा कि यह हमारे हित के लिए है और हमें आगे आना होगा। राज्य में टीकाकरण की जो स्थिति दिख रही हैं, वह अभी संतोषजनक नहीं है। राज्य में 3.25 करोड़ आबादी मानी जा रही है। इनमें से अभी तक केवल 38 लाख 13 हजार लोगों ने टीका लिया है, जबकि टीकाकरण का अभियान जनवरी में शुरू हुआ था। शुरू के कुछ दिन हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को टीका दिया जा रहा था। जैसे-जैसे टीका का उत्पादन बढ़ा, आम लोगों तक यह पहुंचने लगा। पहले बुजुर्ग, फिर मध्य आयु और इसके बाद युवाओं के लिए टीकाकरण शुरू किया गया। कहते हैं कि बारिश में जिस तरह छाता हमारी रक्षा करता है, वैसे ही बुजुर्ग ‘छाता’ बन कर परिवार की रक्षा करते हैं। कोरोना से बचाव में बुजुर्ग अपनी इस भूमिका को भूल रहे हैं। उनकी टीकाकरण में कम दिलचस्पी परिवार के लिए एक खतरनाक संकेत है। बुजुर्गों का टीका नहीं लेना उनके खुद और परिवार दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कोरोना संक्रमित होने पर परिवार साथ छोड़ने को मजबूर हो जायेगा या फिर पूरे परिवार पर संकट गहरायेगा। इसी तरह की स्थिति मध्यम आयु (45 प्लस) वाले लोगों की है। इस श्रेणी के लोग युवाओं के मार्गदर्शक बन सकते हैं, लेकिन वे भी टीकाकरण में दिलचस्पी नहीं ले रहे। राज्य में बुजुर्गों और मध्य आयु वर्ग के टीकाकरण की स्थिति पर आजाद सिपाही के राजनीतिक संपादक प्रशांत झा की विस्तृत रिपोर्ट।

    राज्य में टीके की फिलहाल कमी नहीं है। खास कर 45 प्लसवालों को टीका लेने में किसी तरह की समस्या नहीं हो रही है। यहां तक कि उन्हें पहले से कोविन एप पर स्लॉट भी बुक करने की अनिवार्यता नहीं है। टीकाकरण केंद्र पर आधार कार्ड लेकर जाने से आॅन स्पॉट रजिस्ट्रेशन हो रहा और उन्हें टीका दिया जा रहा है। रजिस्ट्रेशन में भी कई जगहों पर बुजुर्गों की मदद के लिए कोई न कोई मौजूद रहता है। इसके बाद भी 45 से 60 या इससे ऊपर के लोग टीका लेने में कोताही कर रहे हैं। सेंटर पर बहुत ही कम लोग पहुंच रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में इन दोनों श्रेणी में अभी तक पहला डोज 50 फीसदी लोगों ने भी नहीं लिया है। वहीं इसका उल्टा युवाओं यानी 18 प्लसवालों में टीका लेने की होड़ लगी हुई है। उनके लिए अभी फिलहाल टीका भी कम उपलब्ध है। कई-कई दिन इंतजार कर युवा टीका लेने के लिए स्लॉट बुक कर रहे और टीका लेने के लिए उत्साहित हैं।

    राज्य में बुजुर्गों, यानी 60 प्लसवालों की आबादी का आकलन 32 लाख 31 हजार 564 किया गया है। इनमें से 38 फीसदी यानी 12 लाख 36 हजार 684 ने ही टीके का पहला डोज लिया है। इस श्रेणी में दूसरा डोज लेने के लिए तीन लाख 14 हजार 58 बुजुर्गों का समय आ गया है। इनमें से 77 फीसदी, यानी दो लाख 43 हजार 79 ने दूसरा डोज भी ले लिया। यानी अभी तक राज्य के 32.31 लाख बुजुर्गों में दोनों डोज टीका लेने वाले केवल 2.43 लाख हैं। क्या यह संतोषजनक स्थिति है? क्या घर के वैसे बुजुर्ग, जिन्होंने अब तक टीका नहीं लिया है, उन्हें इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है? आखिर वे परिवार को कहां ले जाना चाहते हैं? बुजुर्गों को तो चाहिए कि वे खुद टीका लें और मध्य आयु के लोगों को प्रेरित करें, क्योंकि उनकी छाया में रहनेवाले 45 से 60 साल के लोगों की भी टीका में दिलचस्पी बहुत अधिक नहीं दिख रही है।

    राज्य के 45 से 60 साल के बीच के लोग भी बुजुर्गों की राह पर ही हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस श्रेणी में 51 लाख 55 हजार 155 लोगों के होने का आनुमान लगाया है। इनमें से 25 फीसदी यानी 13 लाख पांच हजार 739 लोगों ने पहला डोज लगाया है। वहीं अब तक दो लाख तीन हजार 845 को दूसरा डोज भी लग जाना था, जबकि केवल 79 फीसदी यानी एक लाख 60 हजार 942 लोगों को लगा है। यानी इस श्रेणी में भी अब तक दोनों डोज टीका लगानेवाले 1.60 लाख लोग ही हैं। ऐसे में सितंबर-अक्तूबर में कोरोना की जिस तीसरी लहर के आने की आशंका जतायी जा रही है, उससे कैसे बचाव कर पायेंगे। राज्य के यही दो वर्ग हैं, जिन पर पूरा दारोमदार टिका है। बुजुर्गों की छत्रछाया और मध्य आयु वर्ग का लालन-पालन और मार्गदर्शन की बदौलत ही परिवार और समाज आगे बढ़ता है।

    सरकार को टीकाकरण को लेकर थोड़ा नरम और थोड़ा गरम दोनों रुख अपनाने की जरूरत है। सरकार नरम रुख अपनाते हुए जागरूकता अभियान बढ़ाये। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च आदि के प्रमुख, ग्रामीण क्षेत्र में पाहन, पुरोहित, मुखिया आदि लोगों की मदद लेनी चाहिए। उनसे टीकाकरण को लेकर घोषणा करवानी चाहिए। राज्य सरकार को अब टीका पर राशि खर्च नहीं करनी होगी। इसके बदले सरकार टीका लेने वालों को कुछ सहूलियत दे सकती है। टीकाकरण केंद्र पर ही खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सकता है। टीका के लिए प्रेरित करनेवालों और टीकाकरण केंद्र तक लानेवालों को प्रोत्साहन राशि भी दी जा सकती है। लोगों को घर के नजदीक ही टीका केंद्र उपलब्ध हो, हाट-बाजार में मोबाइल वैन पहुंचे, यह सुनिश्चित करना चाहिए। जब सरकार सारी सहूलियत कर दे, तो फिर थोड़ी सख्ती भी बरतनी चाहिए। टीका नहीं लेने वालों को बाजार-हाट में सामान बेचने नहीं दिया जाना चाहिए। सरकारी सुविधा लेनेवालों के लिए टीका लेना अनिवार्य कर देना चाहिए। अफवाह फैलानेवालों पर सख्ती करनी चाहिए। जब सरकार दोनों तरह का कदम उठायेगी, तभी टीकाकरण अभियान पूरी तरह सफल होने की उम्मीद है।

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