सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में पुरी के इलवाह दूसरी स्थानों पर भी रथ यात्रा निकलने की मांग वाली अर्ज़ी पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा के मामले में ओडिसा सरकार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
याचिका खारिज करते हुए CJI की टिप्पणी करते हुए कहा कि “मुझे भी बुरा लगता है लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते। हम आशा करते हैं कि भगवान जगन्नाथ कम से कम अगली बार रथयात्रा की अनुमति देंगे। लोग अपने घर से भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं।”
ओडिशा सरकार की तरफ से कहा गया कि पूरी में शर्तों के साथ रथ यात्रा निकालने के लिए की इजाज़त दी गई है, पूरे राज्य में रथ यात्रा निकालने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। रथ को 500 लोगों के लिए खींचा गया है, जिनके पास आरटी पीसीआरटेस्ट है। ओडिसा सरकार ने कहा रथ यात्रा की अनुमति न दें, ओडिशा के अन्य शहरों और गांवों (पुरी को छोड़कर) में रथ यात्रा की अनुमति नहीं देने से लोगों की आस्था प्रभावित नहीं होगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ओडिशा में सभी स्थानों पर रथ यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर पूर्ण रूप से रोक लगाई थी, उड़ीसा सरकार ने अब केवल पुरी को ही यात्रा की इजाज़त दी है, लेकिन ऐसे और भी स्थान हैं जहां यात्रा सदियों से चल रही है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अपने पुराने फैसले में थोड़ा सा बदलाव करके शर्तों के साथ रथ यात्रा की इजाज़त देनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य और धार्मिक मान्यताओं दोनों को बचाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बरीप्रादा भगवान जगन्नाथ मंदिर के वकील एके श्रीवास्तव ने कहा की हमे दूसरा पुरी माना जाता है, हमने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत रथ यात्रा निकलने की तैयारी शुरू कर दिया है, हमारे सभी वोलेंटियर का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है, एक अन्य याचिकाकर्ता ने नीलगिरी और ससनांग में भी रथ यात्रा निकालने की इजाज़त मांगी।