गठबंधन सरकार के लिए चुनौती होेगा इनका गठन
राज्य में महागठबंधन सरकार को बने 19 महीने हो चुके हैं। इसके बाद भी राज्य में बोर्ड और निगमों का गठन नहीं होने से सरकार में शामिल घटक दलों के विधायकों और नेताओं की बेचैनी बढ़ती जा रही है। सरकार भी जल्द से जल्द इन्हें भरना चाहती है और इसे लेकर जनवरी के अंतिम सप्ताह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी विभागों से संबंधित बोर्ड-निगमों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी। उनके निर्देश पर मुख्य सचिव ने सभी विभागों को पत्र लिखकर जवाब मांगा था। लेकिन इसके बाद से हालात बदलते गए। पहले बजट और उसके बाद राज्य में कोरोना पर नियंत्रण हासिल करने में प्रशासनिक मशीनरी जुटी रही है और सरकार का ध्यान इससे हटा रहा लेकिन अब स्थिति सुधरने पर संभावना जतायी जा रही है कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी।
20 सूत्री और निगरानी समितियों के बाद बोर्ड-निगम का नंबर
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने बताया कि बोर्ड-निगम और 20 सूत्री तथा निगरानी समितियों को लेकर सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है। 20 सूत्री और निगरानी समितियों के गठन पर काम चल रहा है। एक सप्ताह में इसे लेकर तस्वीर साफ हो जायेगी। इसके बाद बोर्ड और निगम का नंबर आयेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण इनके गठन में विलंब हुआ लेकिन अब जल्द ही इनका गठन कर लिया जायेगा।
आसान नहीं होगा सरकार के लिए बोर्ड और निगम का गठन
गठबंधन सरकार के लिए बोर्ड और निगमों का गठन कोई आसान टास्क नहीं है। इनका गठन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम के लिए भी चुनौती है। सरकार में शामिल घटक दलों के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को इन बोर्ड और निगमों के गठन में जगह दी जानी है। सत्ताधारी कांग्रेस के अलावा राजद भी बोर्ड और निगमों में उचित हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। बोर्ड और निगमों के गठन में पहला पेंच तो यहीं फंसेगा कि किस दल की हिस्सेदारी कितनी होगी। फिर दूसरी समस्या यह होगी कि महत्वपूर्ण बोर्ड-निगमों जैसे झारखंड राज्य खनिज विकास निगम, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद, झारखंड राज्य वन विकास निगम लिमिटेड, झारखंड पर्यटन विकास निगम, खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार धनबाद जिसमें सत्ताधारी घटक दल के हर बड़े नेता और विधायक काबिज होना चाहता है उन्हें कैसे संतुष्ट किया जायेगा। गौरतलब है कि सरकार के अधीन करीब 34 बोर्ड, निगम और निकाय हैं। सभी में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति या मनोनयन सरकार के स्तर से किया जाता है। इनमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह के व्यक्ति शामिल होते हैं। इन बोर्ड, निगमों या निकायों में सत्ताधारी दल के विधायक के साथ-साथ दल के महत्वपूर्ण लोगों की नियुक्ति या मनोनयन की प्रक्रिया रही है।