Author: azad sipahi desk

नई दिल्ली: पति द्वारा पत्नी के कत्ल की एक वारदात ने राजधानीवासियों को दहला दिया है। इसमें पति को पत्नी के चरित्र पर शक था। इसे लेकर शनिवार रात को उसकी पत्नी से बहस हुई। फिर पति ने गला घोंटकर महिला की हत्या कर दी। फिर चापड़ से शव के 10-12 टुकड़े कर उन्हें सेप्टिक टैंक में डाल दिया और रविवार सुबह खुद थाने पहुंचकर गुनाह को कबूल किया। थाने में पहले तो पुलिस ने समझा कि कोई नशेड़ी है, लेकिन जब युवक अपनी बात पर अड़ा रहा तो सिपाही को उसके घर भेजा गया। शव के टुकड़ों को बरामद…

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लोहरदगा। हेमंत सोरेन की बदलाव यात्रा रविवार को लोहरदगा पहुंची। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में जंगल, जमीन और खनिज संपदाओं पर बाहरी लोगों का कब्जा है। सरकार बाहरी लोगों के लिए चारागाह बनाना चाहती है। वह लोहरदगा जिला मुख्यालय के समाहरणालय मैदान में झामुमो की बदलाव यात्रा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। हेमंत सोरेन ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में जेएमएम की सरकार बनती है, तो किसान कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य किये जायेंगे। प्राथमिकता पर गांव-गांव किसान बैंक की स्थापना की जायेगी। महिलाओं को राज्य में 50 प्रतिशत आरक्षण…

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न दिन को सुकुन है और न रात को सुकुन। गीत का यह मुखड़ा झारखंड के नेताओं की वर्तमान चुनावी हालत बखूबी बयां कर रहा है। हाल यह है कि चाहे वह मुख्यमंत्री रघुवर दास हों या झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन या फिर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो या झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी सबके सब चुनाव की तैयारियों में खुद को इतना झोंक चुके हैं कि उनका दिन और रात क्षेत्र या फिर कार्यकर्ताओं से संवाद करने में ही बीत रहा है। कमोबेश यही हालत कांग्रेस और राजद की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव पार्टी को मुकाबले में खड़ा करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं पर अपनी ही पार्टी के साथियों का हमलावर होना उनके लिए मुश्किल खड़ा कर रहा है। झारखंड में राजद दो फाड़ हो चुकी है और इसके सामने चुनौतियां नहीं चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। कुल मिलाकर चुनावों से पहले नेताओं के लिए यह समय बेहद विकट साबित हो रहा है। विधानसभा चुनावोें से पहले पक्ष और विपक्ष के नेताओं की चुनौतियों और चुनावी समर में उनकी हालत को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

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आजाद सिपाही संवाददाता रांची। झारखंड में पिछड़ों की लड़ाई लड़ने में कोई पार्टी अगुवा रही है तो वह आजसू रही है। पार्टी ने राज्य में पिछड़ा आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किये जाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। रविवार को पार्टी प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने बताया कि पार्टी ने इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया है और विभिन्न मंचों से आवाज उठाकर इसे बहस का विषय बनाया है। आजसू पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण बढ़ाने की भी हिमायती रही है। उन्होंने बताया कि आजसू ने तर्क और तथ्य के साथ इस मुद्दे…

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