Author: azad sipahi desk

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को केंद्रीय अनुबंध से बाहर कर दिया है। क्रिकेट बोर्ड द्वारा आज घोषित अनुंबध सूची से धोनी को बाहर रखा गया है। बता दें कि विश्वकप से बाहर होने के बाद से धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं। वह टेस्ट मैच से पहले ही संन्यास ले चुके हैं।

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मुंबई : BCCI ने खिलाड़ियों के केंद्रीय अनुबंध की घोषित कर दी है। खास बात यह है कि अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 तक के लिए घोषित इस अनुबंध में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जगह नहीं दी गई है। कैप्टन विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह को ग्रेड A+ में रखा गया है। रविंद्र जडेजा, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल, अंजिक्य रहाणे, शिखर धवन, ईशांत शर्मा, कुलदीप यादव और ऋषभ पंत को ग्रेड A में रखा गया है। BCCI ने रिद्धमान साहा, उमेश यादव, युजवेंद्र चहल, हार्दिक पांड्या, मयंक अग्रवाल को ग्रेड B में रखा…

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रांची। वेतनमान में 15 फीसदी से अधिक वृद्धि की मांग को लेकर देश भर के बैंककर्मियों ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी वेतन वृद्धि की मांग नहीं मानी गयी, तो वे 31 जनवरी और एक फरवरी को हड़ताल पर रहेंगे। बैंककर्मियों के मुताबिक दो दिवसीय हड़ताल के बाद भी उनकी मांगें नहीं माने जाने पर 11,12 और 13 मार्च तक फिर तीन दिवसीय हड़ताल होगी। उसके बाद भी अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं, तो एक अप्रैल से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे। बता दें कि मुंबई में इंडियन बैंक एसोसिएशन और…

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धारा के साथ बहकर किसी मुकाम पर पहुंचने वाले तो बहुतेरे होते हैं, लेकिन ऐसे लोग विरले होते हैं जो धारा के प्रतिकूल चलने का हौसला रख पाते हैं। अगर ऐसा हौसला हो भी तो लक्ष्य को वेध पाना आसान नहीं होता। प्रतिकूल धाराओं में कश्तियों के डूब जाने और खुद के मिट जाने का खतरा कदम-कदम पर होता है। लेकिन, जो लोग आंधियों के बीच से कश्तियां निकाल लेते हैं, इतिहास खुद उनके नाम अपने पन्नों पर सहेज लेता है। झारखंड की सियासत में सरयू राय का नाम ऐसे ही वीर पुरुष के रूप में दर्ज हो गया है, जिन्होंने सत्ता की धारा का रुख पलट दिया। हाल में संपन्न हुए झारखंड विधानसभा के चुनाव में सत्ता के शीर्ष पुरुष को उनके ही किले में घेरकर पराजित करने का जो पराक्रम उन्होंने दिखाया है, उससे उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छा गया। सरयू राय दशकों से भाजपा में थे, सत्ता के साथ थे, अब निर्दलीय हैं। यानी आज वह एक तरह से अकेले हैं, लेकिन हकीकत में भाजपा के साथ और सत्ता के साथ रहते हुए भी वह अकेले ऐसे शख्स थे, जिन्होंने सत्ता के गलत फैसलों को गलत कहने का साहस दिखाया। वह अकेले मंत्री थे, जिन्होंने सरकार के भीतर रहकर भी सरकारी तंत्र की गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठायी। उन्होंने बीते पांच साल में जो सवाल उठाये, उसका जायजा लेती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की यह विशेष रिपोर्ट।

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