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झारखंड के आदिवासियों के हित में बड़े फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को एक और बड़ा फैसला लिया। उन्होंने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि राज्य सरकार सरना कोड को लागू करने की सिफारिश केंद्र सरकार से करेगी। इसके लिए राज्य स्थापना दिवस के पहले विशेष सत्र बुलाकर इसे विधानसभा में पारित करेगी और केंद्र को अपनी अनुशंसा भेज देगी।

झारखंड की उप राजधानी दुमका और कोयला क्षेत्र की प्रमुख सीट बेरमो में हो रहे उप चुनाव में अब चार दिन बाकी रह गये हैं। इसलिए इन दोनों क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अभियान चरम पर पहुंच गया है। इन दोनों सीटों पर प्रचार का शोर एक नवंबर की शाम को थमेगा, लेकिन अभी चल रहे प्रचार ने साबित कर दिया है कि झारखंड की राजनीति के लिए इन दोनों सीटों की क्या अहमियत है। सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से दुमका में झामुमो के बसंत सोरेन और बेरमो में कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिं

दुमका उपचुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान चरम पर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक-दूसरे पर जम कर आरोप लगा रहे हैं। दोनों आम लोगों को भरोसा दे रहे हैं कि अगर उनका उम्मीदवार जीता, तो इलाके का कायाकल्प हो जायेगा। गुरुवार को दुमका से 25 किलोमीटर दूर भुरकुंडा पंचायत के गुढ़ियारी गांव के फुटबॉल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार और राज्य में पूर्व की सरकार पर जम कर बरसे। हेमंत ने कहा कि अलग राज्य

विधानसभा के उपचुनाव में नेताओं का मेला लगा है। सत्ता और विपक्ष के उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं और दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। फैसला तो 10 नवंबर को आयेगा, लेकिन उसके पहले सभी दांव पेंच अपनाये जा रहे हैं। जनता कह रही है कि इवीएम सब कुछ बतायेगी। यहां झामुमो से दिशोम गुरु के छोटे पुत्र बसंत सोरेन उम्मीदवार हैं। वहीं भाज

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका उप चुनाव के प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। मंगलवार को उन्होंने ताबड़तोड़ सभाएं कर एक तरफ जहां अपनी सरकार द्वारा किये गये कार्यों को गिनाया, वहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर झारखंड के विकास के रास्ते में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य की सरकार विकास को गति दे रही है, लेकिन केंद्र सरकार बैंक खातों से सीधे पैसा निकाल कर अपने खाते में जमा कर रही है। केंद्र सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

झारखंड प्रदेश प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन ने सत्ता संभाली है, तो पिछली सरकार से खजाना खाली मिला। इसके बाद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों के माध्यम से विकास के काम शुरू किये, लेकिन अचानक 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आये और बिना सोचे-समझे लॉकडाउन की घोषणा कर दी।

साम्य ढूंढे जाने से मिलते हैं और यदि बेरमो तथा दुमका सीट में महागठबंधन और भाजपा के उम्मीदवारों में साम्य ढूंढे जायें, तो कई समानताएं निकलकर सामने आने लगती हैं। दुमका में झामुमो उम्मीदवार बसंत सोरेन और अनुप सिंह में साम्य ये है कि ये दोनों युवा हैं और पहली बार जनता की अदालत में हैं। वहीं भाजपा उम्मीदवार लुइस मरांडी तथा योगेश्वर महतो बाटुल में साम्य यह है कि ये दोनों अपनी सीटों पर एक या अधिक बार जीत का स्वाद चख चुके हैं। दुमका में लुइस एक बार जीत हासिल कर चुकी हैं

तीन नवंबर को होने वाले मतदान से पहले भाजपा ने दुमका विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बुधवार को भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सदर प्रखंड दुमका के मकरो में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए झारखंड सरकार को किसान विरोधी बताया। कहा कि सरकार विधानसभा के पटल पर झूठ बोलती है। किसानों की कर्ज माफी को लेकर सरकार ने सदन में घोषणा की थी, लेकिन अब तक किसानों की कर्ज माफी नहीं हुई है।

का उपचुनाव किसी पार्टी के लिए आसान नहीं दिख रहा। चेहरा बदलने वाली जनता का भरोसा जितना शायद ही किसी दल के लिए आसान हो। यहां अभी दो पार्टियां ज्यादा सुर्ख हैं, एक झामुमो और दूसरी भाजपा। कोई इस उपचुनाव को टास्क समझकर लड़ रहा, तो कोई जनता जनार्दन का भरोसा जीतने में लगा है। झामुमो के लिए ये सीट पूरी तरह टास्क की तरह है। स्टीफन और हेमंत के

दुमका ने होनेवाले उपचुनाव को लेकर राजनीति परवान पर है। यहां की जनता ने पार्टी कम और अपने नेता के चेहरे को ज्यादा तवज्जो दी है। यहां की जनता के सबसे फेवरेट नेता स्टीफन मरांडी हुआ करते थे। वे जिस पार्टी से चुनाव लड़ते थे जनता उन्हें ही वोट देती थी। एक बार स्टीफन निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जनता ने भारी मतों से उन्हें विजयी बनाया था। य

019 में झारखंड विधानसभा का चुनाव होने के बाद दुमका से जीते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सीट छोड़ने के कारण उपचुनाव तीन नवंबर को होगा। इस उपचुनाव में कई दिलचस्प बातें सामने आ रही हैं, क्योंकि कई मायने में यह उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। एक बार झामुमो का किला भेदनेवाली भाजपा दोबारा इस किले पर राज करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। दुमका से सांसद रह चुके और प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस किले को हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्टÑीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने यहां का मोर्चा संभाला था। क्योंकि दशकों