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कोरोना महामारी के कारण पिछले साढ़े पांच महीने से जारी लॉकडाउन के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां सियासी महकमों में पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। अक्टूबर-नवंबर में होनेवाले चुनाव में राज्य विधानसभा की 243 सीटों पर सत्ताधारी एनडीए का मुकाबला राजद के नेतृत्व में आकार ले रहे महागठबंधन से होना लगभग तय है। इस सीधे मुकाबले में किसका पलड़ा भारी रहेगा, इ

तमाम ऊहापोह, राजनीतिक दांव-पेंच, मान-मनुहार के बावजूद देश के आठ लाख से अधिक बच्चों को हमारे सिस्टम ने स्वास्थ्य संबंधी उस खतरे में झोंक दिया है, जिसे लेकर पिछले कुछ दिन से चिंता व्यक्त की जा रही थी। ये बच्चे एक सितंबर को इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होंगे। अपने घर से, अभिभावकों से मीलों दूर अंजान शहर में कोरोना महामारी के खतरे के बीच इन बच्चों के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर हमारे भविष्य के साथ यह खि

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा है कि राजनैतिक और मानसिक रूप से परास्त भाजपा अब राज्य में अराजकता…

साढ़े पांच महीने के लॉकडाउन के बाद अब देश चौथे चरण के अनलॉक के दरवाजे पर पहुंच गया है। सरकार की ओर से लगभग सभी गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति दे दी गयी है। केवल शिक्षण संस्थान, स्वीमिंग पूल और इसी तरह की कुछ गतिविधियों पर पाबंदी जारी रहेगी। इस रियायत का यह मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि कोरोना संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है या कम हो गया है। आज भी यह खतरा हमारे सामने पहले से कहीं अधिक विकराल रूप

झारखंड में कोरोना संक्रमण का पहला मामला मिलने के पांच महीने बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर बड़ा कदम उठाया है और निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की अधिकतम दर तय कर दी गयी है। सरकार ने सख्त ताकीद की है कि यदि निर्धारित दर से अधिक

कोरोना संकट के दौर में पूरे देश और राज्यों में सबसे अधिक दबाव स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक मोर्चे पर है। हालांकि मार्च से लेकर अब तक की पांच महीने की अवधि में राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं ने उल्लेखनीय काम किया है। राष्ट्रीय स्तर पर भी हम पश्चिमी देशों से बहुत पीछे नहीं हैं। लेकिन इस उपलब्धि का एक और पहलू यह भी है कि हिंदी पट्टी के प्रदेशों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यह दीगर है कि संक्रमण से मुक्त होने की दर संतोषजनक है।