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हाथरस कांड में योगी सरकार के खिलाफ खतरनाक साजिश के अहम सुराग जांच एजेंसियों के हाथ लगने शुरू हो गये हैं। अब…

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की आज होने वाली 42वीं बैठक को…

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर पांच दिवसीय वैश्विक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। सरकार द्वारा…

लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में अकेले अपनी किस्मत आजमायेगी। कई दिन तक चली रस्साकशी के बाद आखिरकार लोजपा ने रविवार को बिहार में एनडीए से अलग होने का एलान कर दिया। हालांकि पार्टी केंद्र में एनडीए का हिस्सा रहेगी। इसके साथ ही पार्टी ने साफ किया है कि चुनाव के बाद लोजपा के सभी विधायक भाजपा का समर्थन करेंगे

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में 85 हजार कर्मियों की जरूरत है। इनमें डॉक्टर और पारा मेडिकल कर्मी शामिल हैं। सरकार इन सभी पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी। मंत्री ने कहा कि एमसीआइ की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 85 हजार चिकित्सक-कर्मियों की जरूरत है, जिसकी नियुक्ति के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। आवश्यकतानुसार नियुक्ति की जायेगी। स्थानीय सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम और बचाव को लेकर संकल्पित है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार और जिला

झामुमो के कद्दावर नेता और चार बार राज्य के मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी को रविवार को अंतिम विदाई दी गयी। उनके पार्थिव शरीर को मधुपुर के पिपरा स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया। मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्य के कई मंत्री और नेता भी उपस्थित थे। अंसारी का शनिवार को निधन हो गया था।

इस बार विधानसभा के उपचुनाव में दुमका की सीट हॉट केक बनी हुई है। सत्ताधारी महागठबंधन ने इस सीट पर झामुमो के बसंत सोरेन को उतारा है। बसंत युवा चेहरा हैं। दुमका इलाके से इनका पूरा परिवार पहले से वाकिफ रहा है। उनके पिता और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने इसी इलाके से कई आंदोलनों की अगुवाई की है। बसंत के भाई हेमंत सोरेन सीएम हैं। उनके द्वारा ही दुमका सीट छोड़ी गयी थी। बसंत सोरेन अभी से ही वहां पसीना बहा रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। विकास का वादा कर रहे हैं। उन्हें इस बा

बिहार में होने वाले विधानसभा के चुनाव में हवा का रुख अपनी ओर मोड़ने के लिए प्रत्याशी बड़े पैमाने पर काले धन का उपयोग कर सकते हैं। यह पैसा मुंबई और अन्य शहरों से बिहार आ सकता है। यह जानकारी रेल सुरक्षा बल की खुफिया शाखा को लगी है। इसके साथ ही बिहार की ओर जाने वाली ट्रेनों की निगहबानी तेज कर दी गयी है। अब एसएलआर कोचों की भी जांच की जायेगी। बिहार की राजनी

राजनीति सचमुच ऐसा विषय है, जिसे न तो इतिहास से कोई मतलब रहता है और न ही भविष्य से। यह केवल वर्तमान पर जीता है और वर्तमान के बारे में ही सोचता है। इसलिए कहा जाता है कि राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है और न कोई स्थायी दुश्मन। बिहार में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान यह बात पूरी तरह सही साबित हो रही है। कल तक जो दल एक सा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों को लुभाने वाली घोषणा करने के बदले कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने…