पिछले साल मई में 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में झारखंड की जिस एक सीट की चर्चा देश भर में हुई, वह थी दुमका। यहां से भाजपा के युवा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झारखंड के सबसे वरिष्ठ और प्रतिष्ठित नेता शिबू सोरेन को हरा कर पहली बार लोकसभा में प्रवेश की पात्रता हासिल की थी। उन्हें ‘जाइंट किलर’ और ‘झारखंड का भावी नेता’ बताया गया था, लेकिन पिछले 17 महीने में सुनील सोरेन का एक सांसद के रूप में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक ही कहा जा सकता है। लोकसभा में उनकी आवाज महज दो बार सुनाई दी है और वह भी शून्यकाल में। इसके अलावा उन्होंने अब तक न कोई सवाल पूछा है और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया है।