झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए गतिविधियां तेज होने लगी हैं। अब तक सत्तारूढ़ भाजपा अकेले ही चुनावी मैदान में चहलकदमी कर रही थी। वहीं विपक्ष में कांग्रेस, झाविमो और राजद अपने ही कार्यकर्ताओं के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। ऐसे में अब भाजपा को चुनौती देने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अभी अकेले ही कमर कस ली है। झामुमो की चुनावी तैयारी का पहला मुजाहिरा सोमवार को राजधानी में होगा, जब हेमंत सोरेन युवा आक्रोश मार्च का नेतृत्व करेंगे। रांची की सड़कों पर लंबे समय के बाद झामुमो का यह पहला राजनीतिक मार्च होगा, जिसमें हेमंत सोरेन शामिल होंगे। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि यह युवा आक्रोश मार्च दरअसल चुनावी एक्सप्रेस है। इसके माध्यम से हेमंत सोरेन विपक्षी दलों को यह संदेश देंगे कि वह चुनावी यात्रा पर निकल चुके हैं। इसमें जिसे सहभागी बनना है, आ जाये। वह किसी का इंतजार नहीं करेंगे। इसके साथ ही हेमंत ने अपनी राजनीतिक सफलता के लिए युवाओं के मुद्दों को पहला हथियार बनाया है। इस मार्च से यह संदेश भी हेमंत देना चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में करारी पराजय को भूल कर वह नये जोश के साथ विधानसभा चुनाव के मैदान में उतर रहे हैं। इसके साथ ही इस कार्यक्रम के लिए रांची को चुनने के पीछे भी उनकी खास मंशा यह है कि वह हर जगह अपनी ताकत का संदेश देना चाहते हैं। हेमंत सोरेन की इस राजनीतिक पहल का विश्लेषण करती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास पेशकश।