कांग्रेस, झाविमो को संदेश: आना है तो आ जाओ, वरना हम तो निकल पड़े
सोमवार पांच अगस्त का दिन झारखंड की राजनीति में झामुमो के युवाओं के लिए कुछ खास है। राज्य की पांचवीं विधानसभा के गठन के लिए होनेवाले चुनाव के लिए झामुमो की तरफ से राजधानी से राजनीतिक बिगुल फूंका जायेगा। इस कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। हाल के दिनों में रांची में झामुमो का कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ है। इतना ही नहीं, बंद और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों को छोड़ कर हेमंत सोरेन ने कभी राजधानी की सड़कों को नहीं नापा है। यह पहला मौका होगा, जब झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष राजधानी की सड़कों पर रैली का नेतृत्व करेंगे।
युवा आक्रोश मार्च का है आयोजन
झामुमो ने पांच अगस्त को युवा आक्रोश मार्च का आयोजन किया है। यह मार्च मोरहाबादी मैदान से निकल कर परमवीर अलबर्ट एक्का चौक तक आयेगा। झामुमो का दावा है कि यह राजधानी में अब तक का सबसे बड़ा मार्च होगा। हेमंत सोरेन इसका नेतृत्व करेंगे। दिन में 11 बजे निकलनेवाले इस मार्च को सफल बनाने के लिए झामुमो ने पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य भर से युवाओं को इसमें शामिल होने के लिए बुलाया गया है। इस मार्च के जरिये झामुमो युवाओं से जुड़े मुद्दों को उठायेगा। इनमें बेरोजगारी, शिक्षा की समस्या और अन्य मुद्दे शामिल हैं।
मार्च का राजनीतिक उद्देश्य
झामुमो के युवा आक्रोश मार्च का घोषित उद्देश्य भले ही गैर-राजनीतिक हो, लेकिन झारखंड के सत्ता शीर्ष तक पहुंचने की कोशिश में जुटे झामुमो और खास कर हेमंत सोरेन इस मौके का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश जरूर कर रहे हैं। हेमंत सोरेन को त्वरित फैसलों के लिए जाना जाता है। वह राजनीति में बड़ा रिस्क लेने में भी पीछे नहीं हटते। झामुमो में अपने पिता शिबू सोरेन के युग की समाप्ति से पहले भी विधानसभा के पिछले चुनाव से ठीक पहले हेमंत ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जो बाद में सही साबित हुआ। इसलिए यह कहना कि यह मार्च पूरी तरह गैर-राजनीतिक है, सही नहीं होगा। हेमंत की राजनीति को नजदीक से जाननेवाले लोगों का कहना है कि हेमंत का कोई भी फैसला गैर-राजनीतिक नहीं होता है। युवा आक्रोश मार्च के जरिये वह विपक्षी दलों यानी कांग्रेस, झाविमो और राजद को झामुमो के साथ आने का आमंत्रण ही नहीं देंगे, बल्कि उन्हें यह संदेश भी देंगे कि अब झामुमो की गाड़ी रुकनेवाली नहीं है। गाड़ी चल पड़ी है। जिसे इस पर सवार होना है, हो ले, वरना गाड़ी अपने लक्ष्य तक पहुंचेगी।
क्या है हेमंत की रणनीति
हेमंत सोरेन इस विधानसभा चुनाव को अपने राजनीतिक कैरियर का सबसे कठिन चुनाव मानते हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार, खास कर दुमका में शिबू सोरेन की पराजय ने झामुमो के आत्मविश्वास को डिगा दिया था। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद करीब दो महीने की चुप्पी के बाद झामुमो का यह पहला कार्यक्रम है। इन दो महीनों में विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों में बहुत कुछ हुआ है। केवल झामुमो ही ऐसी पार्टी है, जिसमें बहुत अधिक उथल-पुथल नहीं हुई। यह हेमंत सोरेन की रणनीति का ही कमाल रहा कि चुनावी हार के बावजूद झामुमो के कुनबे में बड़ा बिखराव नहीं हुआ। अब हेमंत की रणनीति यह है कि गैर-भाजपा दलों के भीतर की कमजोरी का लाभ उठाया जाये। झारखंड में कांग्रेस की हालत से सभी वाकिफ हैं।
हेमंत सोरेन ही मुख्य चेहरा होंगे
बाबूलाल मरांडी हर दिन कमजोर हो रहे हैं, क्योंकि उनके करीबी लोग उन्हें छोड़ रहे हैं। राजद की हालत भी बेहद खराब है। ऐसे में विपक्षी महागठबंधन का सबसे मजबूत घटक झामुमो ही है। झामुमो ने इसे विधानसभा सत्र के दौरान साबित भी किया, जब वह अकेले दम पर सत्ता पक्ष को चुनौती देता रहा और कई मुद्दों पर उसने बढ़त भी बनायी। वैसे भी लोकसभा चुनाव से पहले ही यह तय हो चुका है कि विधानसभा का चुनाव झामुमो के नेतृत्व में ही लड़ा जायेगा और हेमंत सोरेन ही मुख्य चेहरा होंगे। लोकसभा चुनाव के बाद हेमंत को अपनी ताकत का अंदाजा हो गया है। दूसरे दल जहां लगातार बिखर रहे हैं, हेमंत अपनी पार्टी को अब तक एकजुट रखने में कामयाब रहे हैं। उनकी रणनीति विधानसभा चुनाव से पहले तक पार्टी को पूरी तरह मजबूत करने की है, ताकि 81 सीटों में से 41 पर लड़ने के उनके दावे को मजबूत आधार मिल सके। महागठबंधन का कोई घटक उन्हें चुनौती देने की स्थिति में नहीं रहे।
झामुमो के भीतर नयी ऊर्जा भरने की कोशिश
रांची के युवा आक्रोश मार्च के जरिये हेमंत सोरेन के शक्ति प्रदर्शन का अंतिम परिणाम क्या होगा, यह तो भविष्य ही बतायेगा, लेकिन इतना तय है कि इस आयोजन से झामुमो के भीतर नयी ऊर्जा का संचार होगा और इसकी चुनावी मशीनरी को नया जीवन मिलेगा। वैसे भी विधानसभा का चुनाव बहुत दूर नहीं है और भाजपा की तैयारी को देखते हुए हेमंत के लिए जल्द से जल्द कुछ करना मजबूरी हो गयी थी। ऐसे में युवा आक्रोश मार्च उनके और झामुमो के लिए बड़ा राजनीतिक अवसर बनेगा, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
झामुमो की चुनावी एक्सप्रेस के साथ शंखनाद करेंगे हेमंत सोरेन
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