नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर गतिरोध आज भी जारी रहा। करदाताओं पर नियंत्रण तथा समुद्री क्षेत्र में व्यापार पर करों को लेकर केंद्र और राज्य अपने-अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि इस गतिरोध की वजह से जीएसटी का क्रियान्वयन सितंबर तक टल सकता है। जीएसटी के मामले में शक्तिशाली जीएसटी परिषद की दो दिन की बैठक में इन मुद्दों पर समाधान निकलता नहीं दिखा। परिषद की यह आठवीं बैठक है जिनमें इन जटिल मुद्दों पर कुछ प्रगति नहीं दिखाई दी।
गैर-भाजपा शासित राज्यों का मानना है कि अब नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था सितंबर तक ही लागू हो पायेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक अब 16 जनवरी को होगी। परिषद में राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इस बैठक में करदाताओं के नियंत्रण के मुद्दे को हल करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही समुद्री क्षेत्र में होने वाले व्यापार पर राज्यों को कर लगाने के अधिकार संबंधी मुद्दे को भी अंतिम रूप देने की कोशिश होगी। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि जीएसटी परिषद के समक्ष अभी राज्यों को जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद मुआवजे के वित्त पोषण तथा राज्यों की एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) में भागीदारी के मुद्दे अटके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘काफी मेहनत करने के बाद इसे सितंबर से अमल में लाना संभव है। मैं जीएसटी को जून-जुलाई में क्रियान्वित करने को लेकर आशान्वित नहीं हूं। यह नया कर है और इसमें काफी जटिलता है। ऐसे में पूरी तैयारी के बाद ही इस पर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे में मेरी समझ के अनुसार जीएसटी को सितंबर से लागू किया जाएगा।’’
केरल के वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ राज्य चाहते हैं कि ऊंचे कर दायरे में जीएसटी से मिलने वाले राजस्व को राज्य-केन्द्र के बीच 60:40 अनुपात में बांटा जाये। वर्तमान में इसके लिए 50:50 का अनुपात तय किया गया है। इसाक ने कहा कि चार अलग-अलग दरें तय की गई हैं। सबसे ऊंची दर 28 प्रतिशत की है। इसमें से कितना केंद्र का और कितना राज्यों का हिस्सा होगा, कानून में इसे परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसा मान लिया गया है कि यह 50:50 के अनुपात में होगा। ‘‘आजादी के बाद ही केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंधों में असंतुलन है और यह लगातार बढ़ रहा है। राज्यों के अधिकारों में कटौती हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि इस चीज को इस तरीके से सुधारा जा सकता है कि राज्यों का जीएसटी में हिस्सा 60 प्रतिशत हो। कई राज्यों ने इसका समर्थन किया है। केंद्र ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस पर बाद में चर्चा करना तय हुआ है। इसाक ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल बढ़ रहा है। ‘‘केंद्र कुछ चीजों पर फिर से विचार करने को तैयार है। कुल मिलाकर केंद्र एक कदम पीछे जाने को तैयार है। यदि वह वास्तव में ऐसा करता है, तो मेरा मानना है कि सहमति बन जाएगी।
आईजीएसटी के बारे में इसाक ने कहा कि संविधान संशोधन की एक व्याख्या के अनुसार आईजीएसटी कर केंद्र द्वारा लगाया, जुटाया और निर्दिष्ट किया जाएगा। बैठक के दौरान राज्यों ने कहा कि आईजीएसटी को राज्यों की भागीदारी तथा दोहरे नियंत्रण के बिना लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य 1.5 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले करदाताओं पर अपने नियंत्रण की मांग पर टिके हुए हैं। कुल राजस्व में ऐसे करदाताओं का हिस्सा 15 प्रतिशत है। जीएसटी परिषद की आज की बैठक में दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर विचार विमर्श नहीं हुआ।
इसाक ने कहा, ‘‘केंद्र इस बारे में राज्यों की स्थिति को समझ रहा है। यदि वे 16 जनवरी को फैसला ले पाते हैं तो हम इसमें आगे बढ़ पाएंगे। कुल मिलाकर केंद्र एक कदम पीछे खींच रहा है। यदि वह वास्तव में एक और कदम पीछे खींचता है, तो सहमति बन सकती है।’’ समुद्र में व्यापार के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी सेज राज्यों के क्षेत्र में आता है, लेकिन इसे स्वतंत्र क्षेत्र माना जाता है। कुछ इसी तरह का बर्ताव जीएसटी कानून में तटवर्ती जलक्षेत्र के मामले में दिया जा सकता है। केंद्र इस स्थिति को स्वीकार करता दिख रह है। हालांकि, अभी उसने इस पर कुछ कहा नहीं है, लेकिन 16 जनवरी को इस पर कुछ कहेगा।