नयी दिल्ली: पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर आशीष कपूर को जूनियर सिलेक्शन पैनल से हटाने जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेटर राकेश पारिख को बरकरार रखने पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी पता चला है कि पारिख पहले ही अयोग्य पदाधिकारी हैं क्योंकि वह बडौदा क्रिकेट संघ में कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष जैसे पदों पर 11 साल पूरे कर चुके हैं। लोढ़ा समिति ने अनिवार्य किया है कि सीनियर और जूनियर दोनों चयन समिति में तीन चयनकर्ता होंगे।
टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलने के कारण जतिन परांजपे और गगन खोड़ा को सीनियर सिलेक्शन पैनल से हटाया गया था जबकि जूनियर सिलेक्शन पैनल में चुने जाने का पात्र बनने के लिए 50 प्रथम श्रेणी मैच खेलना योग्यता थी, जिसे पांचों चयनकर्ता पूरा करते थे। हालांकि, पारिख और अमित शर्मा किसी भी प्रारुप में भारत की ओर से नहीं खेले हैं। वेंकटेश प्रसाद ने भारत की ओर से 33 टेस्ट और 100 से अधिक वनडे खेले जबकि कपूर ने चार टेस्ट और 17 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ज्ञानेंद्र पांडे ने दो वनडे भारत की ओर से खेले हैं। हालांकि जब दो चयनकतार्ओं को हटाने का मामला आया तो अमित शर्मा के साथ कपूर को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
इस घटना के बारे में जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बीसीसीआई महाप्रबंधक (खेल विकास) रत्नाकर शेट्टी ने ईमेल भेजा जिसमें कपूर और शर्मा को बताया गया कि जिन्हें बरकरार रखा गया है, वह वे चयनकर्ता हैं जिन्हें 2015 की एजीएम में चयनकर्ता चुना गया था। इस तरह वेंकटेश प्रसाद, पारिख और ज्ञानेंद्र को बरकरार रखा गया।’ हालांकि पारिख को बरकरार रखे जाने पर बीसीसीआई में सवाल उठने लगे हैं।
पारिख ने कहा, ‘हां प्रशासन में मेरा कार्यकाल खत्म हो गया है क्योंकि मैं 11 साल तक पदाधिकारी था। मैंने 2015 में बीसीए से इस्तीफा दिया और चयनकर्ता बना। मुझे क्यों बरकरार रखा गया इस पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता।’ पारिख को बरकरार रखने पर सवाल उठाते हुए एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘अगर हम लोढ़ा समिति के नवीनतम जवाबों पर गौर करें तो कोई भी डिस्क्वालिफाई अधिकारी किसी समिति या परिषद का सदस्य नहीं हो सकता, पारिख को शामिल कैसे किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘साथ ही यह जूनियर चयनकर्ता के रूप में पारिख का दूसरा कार्यकाल है क्योंकि वह 2006 से 2008 तक एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। ऐसे में उन्हें 6 महीने से पद से हटा दिया जाना चाहिए।’
इस तरह की भी खबरें हैं कि कपूर ने शुरूआत में अंडर 19 संभावित खिलाड़ियों की सूची पर हस्ताक्षर करने में हिचक दिखाई थी जो आला अधिकारियों को पसंद नहीं आया। अधिकारी ने बताया, ‘6 जनवरी को चयनकर्ताओं को दोपहर में बताया गया कि लोढ़ा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायणन का ईमेल आया है जिसमें बीसीसीआई को दोनों टीमें चुनने की स्वीकृति दी गई है, जिसके बाद आशीष ने ईमेल की प्रति मांगी थी क्योंकि वे सुनिश्चित होना चाहते थे।
पत्र देखने के बाद उन्होंने तुरंत चयन सूची पर हस्ताक्षर कर दिए। यह शाम को सात बजे के आसपास हुआ। उन्होंने सूची में हस्ताक्षर करने में विलंब किया। अब यह अटकलबाजी का मामला है कि क्या शुरूआत में आशीष की हिचक को अवज्ञा माना गया।’ कपूर से इस मामले में लगातार प्रयास के बावजूद बात नहीं हो सकी।
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