रांची: मंगलवार को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र का आगाज हुआ। सत्र की शुरुआत के दौरान लगभग 50 मिनट तक चले अभिभाषण में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस दौरान राज्यपाल ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के निर्णय को अभूतपूर्व, ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णयवाला बताया। कहा कि सरकार ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि चाहे राज्य के विकास की बात हो या आदिवासियों-मूलवासियों के हितों की रक्षा का सवाल, सरकार इस बारे में कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं है। इससे न सिर्फ राज्य, बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश का सृजन हुआ है।
अधिकार दिलाने में मददगार होगा संशोधन : राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों को उनका उचित हक दिलाने एवं उनके आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया है। इन अधिनियमों में संशोधन करते हुए आदिवासी जमीन के मुआवजे का भुगतान कर गैर आदिवासी को देने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है, ताकि आदिवासियों की जमीन सुरक्षित रह सके। आदिवासी परिवार की जमीन का कृषि कार्य के अतिरिक्त गैर कृषि कार्य में भी उपयोग करने का नियम बनाया जा रहा है। मालिकाना हक भी उसी आदिवासी परिवार के पास ही रहेगा। अपनी जमीन पर दुकान, होटल, मैरेज हॉल आदि बनवा पायेंगे। साथ ही अगर पहले निर्माण किया गया है, तो उसे नियमिति करा पायेंगे।
पहले से ही मुआवजा देकर भूमि लेने का प्रावधान : वर्तमान में धारा 49 के अंतर्गत उचित मुआवजा देकर उद्योग और खनन कार्य के लिए आदिवासी भूमि लेने का प्रावधान है। उक्त प्रावधानों में संशोधन करते हुए अन्य आधारभूत संरचना यथा-अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क के लिए भी जमीन ली जायेगी। इसके लिए संबंधित परिवार को चार गुणा अधिक मुआवजा मिलेगा। वर्तमान प्रावधानों में दो साल से या उससे अधिक समय में जमीन अधिग्रहण पर मुआवजा मिलता है। अब तीन माह में मुआवजा का प्रावधान किया गया है। नये प्रावधान के अनुसार राज्यहित में जनोपयोगी कार्यों के लिए जमीन लेने के उपरांत यदि पांच साल में परियोजना पूरी नहीं होती है, तो जमीन रैयत को वापस हो जायेगी। मुआवजा भी नहीं लौटाना पड़ेगा। सरकार ने संशोधन के माध्यम से प्रक्रिया का सरलीकरण किया है।

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