रांची: नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर कुंदन पाहन के भाई और कुख्यात नक्सली डिंबा पाहन ने शनिवार को डीआइजी के सामने सरेंडर कर दिया। इस नक्सली पर 15 लाख रुपये का इनाम था। नक्सली डिंबा पाहन पर नक्सली हिंसा के एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस को इसकी तलाश लंबे समय से थी। डिंबा पाहन पर तमाड़ के तत्कालीन विधायक सह मंत्री रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार और इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या करने के आरोप हैं। हालांकि सरेंडर करने के बाद इस नक्सली ने इन मामलों में शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में यह बेहद कुख्यात और कई मामलों में वांटेड है।
कुंदन पाहन को सरेंडर कराने की करेगा कोशिश : सरेंडर के बाद नक्सली डिंबा पाहन ने कहा कि वह पिछले दो साल से अपने भाई और कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के संपर्क में नहीं है। लेकिन वह कुंदन को सरेंडर कराने का प्रयास करेगा। खूंटी के एसपी अश्विनी सिन्हा ने बताया कि डिंबा पाहन खूंटी जिले के अड़की स्थित बारीगढ़ा गांव का रहनेवाला है। खूंटी के अलावा चाईबासा, रांची और सरायकेला में भी डिंबा पाहन के खिलाफ मामले दर्ज हैं।
1998 में बना था नक्सली : डिंबा पाहन 1998 में पहली बार भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। 1999 में वह पहली बार जेल गया। फिर 2000 में बेल मिलने पर बाहर आ गया। डिंबा ने कहा कि वह जल्द ही अपने फरार भाई को मेन स्ट्रीम में लाने की कोशिश करेगा। सरेंडर के मौके पर सीआरपीएफ के डीआइजी राजीव राय, कमांडेंट राज कुमार, एएसपी अनुराग राज और एसडीपीओ रणवीर सिंह समेत बड़ी संख्या में पुलिस आॅफिसर्स मौजूद थे। समर्पण से खूंटी पुलिस गदगद है।

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