रांची: नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने रिम्स परिसर में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार के भ्रष्ट तंत्र पर जोरदार हमला बोला है। उच्च न्यायालय के आदेश पर अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई को न्यायोचित बताते हुए भी, मरांडी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केवल निर्माण तोड़ने से बात खत्म नहीं होगी, बल्कि इस पूरे प्रकरण के लिए जिम्मेवार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

मरांडी ने मांग की है कि इस पूरे खेल में शामिल रजिस्ट्रार (Registrar), अंचल अधिकारी (CO), रांची नगर निगम के अधिकारी और रेरा (RERA) के जिम्मेवार अफसरों को अविलंब निलंबित किया जाना चाहिए।

भ्रष्टाचार और रिश्वत के बिना संभव नहीं

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि जब कोई आम नागरिक फ्लैट या जमीन खरीदता है, तो वह सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों पर भरोसा करता है। अगर यह जमीन रिम्स की थी, तो फिर रजिस्ट्रार ने इन फ्लैटों की रजिस्ट्री कैसे कर दी? उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री से पहले जमीन की वैधता सुनिश्चित करना रजिस्ट्रार का प्राथमिक काम होता है। इस प्रकार नियमों की अनदेखी किए जाने से स्पष्ट है कि इसमें बड़े भ्रष्टाचार और रिश्वत के लेनदेन से इनकार नहीं किया जा सकता।

मरांडी ने साफ कहा कि भ्रष्टाचार के तार नीचे से ऊपर तक जुड़े हुए हैं। उन्होंने म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम आदमी को म्यूटेशन के लिए वर्षों तक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन रिम्स के अवैध निर्माण की रजिस्ट्री का म्यूटेशन बड़ी आसानी से हो गया।

नगर निगम और रेरा की भूमिका पर गंभीर सवाल

बाबूलाल मरांडी ने रांची नगर निगम को भी इस मामले में पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने कहा, “आखिर रिम्स की जमीन पर फ्लैटों का नक्शा कैसे स्वीकृत हुआ और पास हुआ?” उन्होंने याद दिलाया कि हाई कोर्ट के आदेश के कारण वर्षों तक नगर निगम में नक्शा पास करने का काम स्थगित रहा था, फिर अवैध निर्माण का नक्शा किसके आदेश से और कैसे पारित हुआ?

उन्होंने रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी, झारखंड) पर भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाने और आम जनता को परेशानी में डालने का आरोप लगाया। मरांडी ने कहा कि यह पूरा मामला सिर्फ अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि राज्य के सरकारी तंत्र में जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार का परिणाम है।

निर्दोष खरीदारों को मिले वैकल्पिक आवास

नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार से दो प्रमुख मानवीय मांगें भी रखी हैं। उन्होंने मांग की है कि:

  1. जिन निर्दोष लोगों ने फ्लैट खरीदे हैं, राज्य सरकार उन्हें तत्काल वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए।

  2. फ्लैट खरीदारों के बैंक लोन की पूरी जिम्मेदारी भी राज्य सरकार वहन करे।

उन्होंने मांग की कि भ्रष्ट अधिकारियों से इन सारे खर्चों की वसूली की जाए। मरांडी ने जोर देकर कहा कि सख्त कानूनी कार्रवाई और निलंबन के साथ ही निर्दोष खरीदारों को न्याय मिलना चाहिए।

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