नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने आगामी शनिवार को मनाये जाने वाले पोंगल से पहले सांड को काबू में करने के खेल जल्लीकट्टू पर फैसला सुनाने की मांग को लेकर दायर याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानूमति की पीठ ने फैसला सुनाने का आग्रह करने वाले वकीलों के एक समूह से कहा कि पीठ को फैसला पारित करने के लिए कहना अनुचित है। उच्चतम न्यायालय ने हालांकि यह कहा कि फैसले का मसौदा तैयार कर लिया गया है लेकिन शनिवार से पहले फैसला सुनाना मुमकिन नहीं है, जिस दिन जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाना है।

इस खेल को अनुमति देने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले न्यायालय ने जनवरी, 2016 की अधिसूचना पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसमें जल्लीकट्टू के लिए सांड के इस्तेमाल को हरी झंडी दी गयी थी। न्यायालय ने कहा था कि जानवरों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने संबंधी वर्ष 2014 के उसके फैसले को नकारा नहीं जा सकता है।

परंपरा का समर्थन करते हुए केंद्र ने कहा कि वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि खेल के दौरान सांड को चोट ना पहुंचे और उससे पहले उसे शराब ना पिलायी जाए। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2014 के अपने फैसले में कहा था कि सांड का इस्तेमाल करतब दिखाने वाले जानवरों की तरह नहीं किया जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने वर्ष 2014 के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की आठ जनवरी की अधिसूचना पर भी रोक लगा दी थी।

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