रांची। विधायक प्रदीप यादव द्वारा शौचालय में कमीशनखोरी और गुणवत्ता के सवाल पर हो रही बहस के दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अध्यक्ष से सदन में अपनी बात रखने की इच्छा जतायी। सीएम ने कहा कि 70 सालों से सुदूर गांव के लोग खुले में शौच कर रहे थे। गांव की गरीब मां और बहन शाम होने का और अंधेरा होने का इंतजार करती थीं। लेकिन मोदी सरकार ने एक नयी शुरुआत की। सरकार ने यह प्रयास किया कि शौचालय के लिए अब किसी को बाहर नहीं जाना पड़े। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि कमियां होंगी, त्रुटि होगी, लेकिन गरीब मां बहन अब शौच के लिए शाम ढलने का इंतजार नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि झारखंड में रानी मिस्त्री का काम सीख कर महिलाओं ने शौचालय का निर्माण किया। जल सहिया का भी सहयोग शौचालय बनाने में मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 99.95 फीसदी टारगेट पूरा कर लिया है, आनेवाले दिनों में हम शत-प्रतिशत टारगेट पूरा कर लेंगे। उन्होंने विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आप लोग झारखंड का मजाक बनाना बंद करें।

राज सिन्हा के सवाल का नहीं मिला सही जवाब
विधायक राज सिन्हा ने धनबाद के मटकुरिया से बैंक मोड़ से पूजा टाकीज तक बनने वाले फ्लाइओवर का मामला ध्यानाकर्षण में उठाया, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला। विधायक ने यह भी कहा कि उन्हें जो जवाब दिया गया है, उससे जुड़ा प्रश्न ही नहीं है। विभाग गुमराह कर रहा है। इस पर स्पीकर ने इस प्रश्न को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
राज्य सरकार माइका उद्योग के लाइसेंस नवीकरण की प्रक्रिया के सरलीकरण पर विचार करेगी। मंत्री सीपी सिंह ने बुधवार को सदन में यह भरोसा दिलाया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एनजीटी एवं सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मापदंड बनाये हैं, लेकिन फिर भी सरकार इसका कितना सरलीकरण किया जा सकता है, इस पर गंभीरता से विचार करेगी। ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक निर्भय शाहाबादी ने यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा कि माइका की लाइसेंस फीस को 25 हजार करने के साथ ही विभिन्न स्तर पर एनओसी के कड़े प्रावधान किये गये हैं, जिससे इस उद्योग से जुड़े छोटे-छोटे लोगों को काफी दिक्कत पेश आ रही है।

अधिकारी कर रहे ठेकेदारी: शिवशंकर उरांव
गुमला के योजना पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह के भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों की जांच अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह करेंगे। मंत्री अमर बाउरी ने विधायक शिवशंकर उरांव द्वारा उठाये गये मामले के जवाब में सदन को यह भरोसा दिलाया। स्पीकर दिनेश उरांव ने भी कहा कि चलते सत्र में जांच करा कर निष्कर्ष से अवगत कराया जाये।
लंबित ध्यानाकर्षण सूचना और उस पर सरकार के वक्तव्य के दौरान विधायक शिव शंकर उरांव ने कहा कि गुमला में अधिकारी ही ठेकेदारी कर रहे हैं। योजनाओं की मॉनिटरिंग भी अधिकारी ही कर रहे हैं। इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है। इसकी जांच सरकार करे। उन्होंने जिला योजना पदाधिकारी अरूण कुमार सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच कराये जाने की मांग भी की। इस पर जवाब देते हुए मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि सरकार ने 15 फरवरी तक ऐसे अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार संकल्पित है। गुमला के जिला योजना पदाधिकारी अरुण कुमार सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से कराये जाने की घोषणा भी की। मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि इस मामले में पूरे राज्य में योजना अधिकारी की कमी है। ऐसे में कनीय अधिकारी से काम लिया जा रहा है। सीधी नियुक्ति के माध्यम से सहायक कनीय पदाधिकारी से काम लिया जा रहा है। ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक राज सिन्हा ने धनबाद में सड़क जाम से निजात पाने को लेकर फ्लाई ओवर निर्माण का मुद्दा उठाया। मामले में सरकार की ओर से जवाब आया कि इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।

पलिवार बोले- नहीं चलेगी माफियागीरी
रांची। विधानसभा में बुधवार को धनबाद कोयलांचल क्षेत्र के मजदूरों और व्यवसायियों से संबंधित सवाल पर श्रम नियोजन मंत्री राज पलिवार ने भरोसा दिलाया कि झारखंड में न्यूनतम मजदूरी का उल्लंघन कहीं भी नहीं होने दिया जायेगा। मासस विधायक अरूप चटर्जी के ध्यानाकर्षण के उत्तर में श्रम नियोजन मंत्री राज पलिवार ने बताया कि राज्य में माफियागीरी कहीं नहीं चलने दी जायेगी। उन्होंने बताया कि इस मामले में उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर मजदूरों और व्यवसायियों के हित में कदम उठाया जायेगा। इसके बाद असंगठित क्षेत्र के कोयला मजदूरों की मजदूरी एवं उनके हितों से जुड़े अन्य मसलों का हल निकालने का मामला ध्यानाकर्षण समिति को सौंपा गया है। स्पीकर दिनेश उरांव ने यह मामला ध्यानाकर्षण समिति को इस निर्देश के साथ सौंपा कि वह एक माह में अपना प्रतिवेदन सौंपे।

ध्यानाकर्षण के दौरान मासस विधायक अरूप चटर्जी ने इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र के असंगठित मजदूरों को कहीं, 200 रुपये दिये जा रहे हैं, तो कहीं, 600 तो कहीं मात्र 150 रुपये। यह मामला राज्य सरकार के अधीन है। मजदूरों को उचित न्याय मिले यह राज्य सरकार तय करे। अरूप का समर्थन राज सिन्हा, ढुल्लू महतो, राजकुमार यादव एवं नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने भी किया।

इस पर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि कोयला का मुद्दा मजदूरों, कानून व्यवस्था और राजस्व से जुड़ा है। वर्तमान में मजदूर और व्यापारियों में हताशा है। राजस्व संग्रह बंद है, इसलिए समस्या का समाधान अविलंब होना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने इस सवाल को ध्यानाकर्षण और प्रश्न समिति को सौंपने की घोषणा की और कहा कि समिति एक माह में अपना प्रतिवेदन देगी। अरूप चटर्जी ने कहा कि धनबाद जिला में 500 कोयला आधारित उद्योग स्थापित हैं, जो बीसीसीएल की कोलियरियों से अपने नाम आवंटित कोयले का रैक और ट्रकों के माध्यम से उठाव करते हैं। रैकों और ट्रकों में विभिन्न कोलियरियों में कार्यरत असंगठित मजदूरों द्वारा ही हैंड लोडिंग का काम किया जाता है। लेकिन इन असंगठित मजदूरों की हैंड लोडिंग दर में काफी विसंगति है। साथ ही इन कोलियरियों के असंगठित मजदूरों के दंगलों पर हमेशा कोल माफियाओं का वर्चस्व रहता है। इनकी मजदूरी का बड़ा हिस्सा माफिया रख लेते हैं।

अध्यक्ष ने ली चुटकी- नहीं, इतना नहीं है
रांची। विधायक प्रदीप यादव ने ओडीएफ पर बोलते हुए कहा कि ओडीएफ का असली सच यह है कि 12000 में से 6000 एक शौचालय के लिए कमीशन देना पड़ता है। कमीशन की बात सुन कर अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने चुटकी ली कि नहीं, इतना नहीं है। ये सुन कर कई विधायक हंस पड़े। प्रदीप यादव ने कहा कि जो शौचालय बने हैं, इंसान क्या जानवर भी उसका इस्तेमाल नहीं करेगा। सरकार कहती है कि शौचालय बनने के 90 दिनों के बाद पहला वेरिफिकेशन होता है। शौचालय अक्टूबर तक बना दिये गये। राज्य को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। अब तो 90 दिन हो गये हैं, तो पहली वेरिफिकेशन रिपोर्ट कहां है। सदन में वह रिपोर्ट क्यों नहीं रखी जा रही है।

वेरिफिकेशन के लिए क्यों नहीं पास के शौचालय में जाकर देखा जाये : सीपी सिंह
सदन में शौचालय को लेकर काफी हंसी-मजाक भी हुआ। दरअसल प्रदीप यादव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि शौचालय इतने घटिया तरीके से बने हैं कि अगर कोई शौच के लिए अंदर गया और अपने दोनों हाथ उठा ले, तो दीवारें गिर जायेंगी। हेमंत सोरेन ने कहा कि शौचालय कम हैं और किसानों के लिए स्टोर रूम ज्यादा? इस पर सीपी सिंह ने कहा कि क्यों नहीं रांची के पास के किसी गांव में जहां शौचालय बना है, वहां जाकर इस बात की पुष्टि करा ली जाये कि हाथ उठाने से शौचालय की दीवार गिरती है या नहीं।

सदन के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व विधायक
रांची। राज्य सरकार द्वारा चार महीने पहले झारखंड विधायक और सांसद गृह निर्माण स्वावलंबन समिति के लिए जमीन निबंधन कराने के बावजूद अभी तक प्लॉटिंग नहीं हुई है और न ही के सदस्यों के बीच प्लॉट का वितरण हो सका है। इससे आहत होकर पूर्व विधायक हेमेंद्र प्रताप देहाती और बेंजामिन मुर्मू सदन के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री उन्हें आश्वस्त नहीं करते, तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी। बुधवार को विधानसभा सत्र शुरू होते ही पूर्व विधायक बेंजामिन मुर्मू और हेमंत प्रताप देहाती सदन के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गये। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा और गृह निर्माण समिति के कार्यपालक पदाधिकारी सह नगर विकास मंत्री सीपी सिंह से भी कई बार इस मामले को लेकर संपर्क किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब तक विधायक और सांसदों की निर्माण समिति को जमीन का वितरण नहीं किया गया है। पूर्व विधायकों ने कहा कि उनकी पत्नी को गंभीर बीमारी है। उन्हें भी विधायकों की तरह चिकित्सा सुविधा दी जाये। साथ ही एक सप्ताह के अंदर जमीन की प्लाटिंग कर वितरण किया जाये।

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