रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने राजधानी रांची की ट्रैफिक कंट्रोल व्यवस्था पर कड़ी मौखिक टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति राजेश कुमार की कोर्ट ने मौखिक कहा कि रांची में ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था बहाल तो की गयी है, लेकिन प्रतीत होता है कि यह बिना किसी अध्ययन के ही शुरू की गयी है। रांची की ट्रैफिक कंट्रोल व्यवस्था भगवान भरोसे है। ट्रैफिक सिग्नल यातायात के फ्लो को देखते हुए सेट किया जाना चाहिए। चौक- चौराहों पर आधे-आधे घंटे पर यातायात का दबाव किस दिशा से कितना है, इसका पूरा अध्ययन होना चाहिए। इसके बाद ही लाल एवं हरी लाइट की टाइमिंग सेट की जानी चाहिए।
इंटरनेशनल आधार पर ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग को रांची के लिए भी फिक्स नहीं किया जा सकता है। गांव के लोग आज टेक्नोलॉजी में खुद को अपडेट कर रहे हैं। वहीं सरकार के अधिकारी ट्रैफिक टेक्नोलॉजी में आगे नहीं होना चाहते हैं। किस प्रकार नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ट्रैफिक व्यवस्था को स्मूथ किया जाये, इस पर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। प्रथम पाली में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर शाम चार बजे ट्रैफिक एसपी को तलब किया। इसके बाद शाम चार बजे टैफिक एसपी कोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने उनसे जानना चाहा कि रांची शहर के चौक- चौराहों पर किस क्षेत्र से आने वाले वाहनों का दबाव किस समय क्या होगा, इसका सटीक आकलन हुआ है या नहीं।