रांची। लगभग ढाई साल बाद झारखंड विधानसभा में जनता से जुड़े सवाल उठे। जिस जनता के लिए यह सदन है, उसमें उसकी समस्याएं माननीयों ने सुनायी और माननीयों ने सुनीं। सदन पूरे दिन शांतिपूर्ण ढंग से चला। कहीं कोई शोरगुल या हंगामा नहीं। 2016 के बाद शुक्रवार को पहली बार झारखंड विधानसभा में बजट सत्र का दूसरा दिन सुचारु रूप से चला।
पूरे आठ सत्र के बाद प्रश्नकाल हुआ। तारांकित प्रश्न भी हुए, अल्पसूचित प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण भी हुआ। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया जरूर गया, परंतु स्पीकर ने इसे अमान्य कर दिया। स्पीकर ने कहा कि सिर्फ हंगामा के उद्देश्य से ऐसा न करें। सदन के खुशनुमा माहौल में पक्ष और विपक्ष सभी शांत और प्रसन्नचित दिखे। राज्य की जनता भी सदन की कार्यवाही से निश्चित ही संतुष्ट होगी और इसके लिए माननीयों को धन्यवाद भी देगी, जिन्होंने संजीदगी से उसकी समस्याओं को पटल पर रखा और सुना। दरअसल होना भी यही चाहिए था।
पिछले ढाई साल से सदन बाधित था। माननीय आते थे। सदन में बैठते थे। एक-दूसरे से मिलते भी थे। हाथ मिलाते थे, ठहाके भी लगाते थे, पर जैसे ही स्पीकर बैठते थे और कार्यवाही शुरू होती थी, हंगामा शुरू हो जाता था। फिर जनता के मुद्दे गौण हो जाते थे। हो-हंगामे के बीच स्पीकर बार-बार शांति की कोशिश में जुटे रहते थे। अंतत: सदन स्थगित हो जाता था। सदन के बाहर भी धरना-प्रदर्शन होता रहता था।
शुक्रवार को भी सभी ऐसा ही कुछ मानकर चल रहे थे। पर बाहर ही माहौल बदला-बदला सा दिखा। कोई धरना-प्रदर्शन नहीं दिखा। सिर्फ सुखदेव भगत जेपीएससी के विरुद्ध बैनर लिये नजर आये। अंदर सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कोई खड़ा नहीं हुआ, कार्य स्थगन प्रस्ताव पर भी किसी ने आवाज नहीं उठायी, तब ही लग गया कि आज सदन शांतिपूर्ण ढंग से चलेगा और चला भी। स्पीकर डॉ दिनेश उरांव ने भी सदन की गरिमा बनाये रखने के लिए सभी का आभार जताया।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई, कहा, उत्साह का हुआ संचार
सदन शांतिपूर्ण ढंग से चलने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी पक्ष-विपक्ष के विधायकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सदन में जनता के सवाल आने से उनमें भी उत्साह का संचार होता है। भाजपा हमेशा लोकतांत्रिक व्यवस्था को अक्षुण्ण बनाये रखने की पक्षधर है। जिस माहौल में शुक्रवार की कार्यवाही चली, वैसे ही पूरे बजट सत्र में सबों का सहयोग मिलने की अपेक्षा है।