साठ के दशक के उत्तरार्द्ध में एक फिल्म आयी थी, तीसरी कसम। उसका नायक हीरामन पूरी फिल्म में तीन कसमें खाता है और तीसरी कसम के साथ ही फिल्म खत्म होती है। महान साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की कालजयी रचना ‘मारे गये गुलफाम’ पर आधारित यह फिल्म हालांकि उतनी सफल नहीं हुई, लेकिन बेहद चर्चित हुई। झारखंड में यदि आज इसकी तर्ज पर फिल्म बनायी जाये, तो उसका टाइटिल होगा तीसरी परीक्षा। आज झारखंड के नायक, यानी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो परीक्षाएं दे चुके हैं और अब तीसरी परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह उनके नायक बनने की अंतिम परीक्षा होगी, जिसकी तैयारी वह कर चुके हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से हेमंत ने अपनी पहली दो परीक्षाएं अव्वल नंबर से पास की हैं और तीसरी में भी उनके सफल होने में किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन उत्सुकता सिर्फ इस बात को लेकर है कि इस परीक्षा में वह कितना नंबर लाते हैं। आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल कर हेमंत सोरेन खनिज संपदा से संपन्न झारखंड के नायक बन चुके हैं। उनकी इस कामयाबी को लेकर भले ही तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं, लेकिन इतना तय है कि हेमंत ने झारखंड की राजनीति में जो नयी लकीर खींची है, वह आनेवाले वर्षों में लगातार बड़ी होती जायेगी।
यह चुनाव हेमंत के राजनीतिक कैरियर की सबसे कठिन परीक्षा थी और हेमंत सोरेन ने इसे अव्वल नंबरों से पास कर लिया। वैसे हेमंत को नजदीक से जाननेवाले लोग कहते हैं कि वह कोई भी काम आधे-अधूरे ढंग से नहीं करते, यानी वह राजनीति के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ हैं। अब मुख्यमंत्री का पद संभालने और झारखंड की सवा तीन करोड़ आबादी की नुमाइंंदगी की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा चुके हेमंत सोरेन के लिए तीसरी सबसे बड़ी परीक्षा होनेवाली है। यह परीक्षा न केवल उनके राजनीतिक कौशल की होगी, बल्कि उनकी सरकार के कामकाज के तरीके भी तय करेगी। हेमंत की यह परीक्षा कैबिनेट के विस्तार की होगी, जिसके लिए वह पूरी तरह तैयार हैं।
हेमंत ने विधानसभा का चुनाव कांग्रेस और राजद के साथ मिल कर लड़ा और भाजपा को पटखनी दी। उनकी पार्टी झामुमो ने 30 सीटें हासिल की हैं, जबकि कांग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट पर जीत हासिल की है।
29 दिसंबर को हेमंत के साथ तीन मंत्रियों ने शपथ ले ली है और अभी आठ और मंत्रियों की नियुक्ति की जानी है। राजनीतिक रूप से यह बेहद संवेदनशील मामला है, क्योंकि अब झामुमो और कांग्रेस के बीच दोस्ती कसौटी पर होगी। झामुमो जहां अपने लिए बेहतर विभागों की मांग करेगा, वहीं कांग्रेस को झारखंड चुनाव में जो संजीवनी मिली है, उसे वह अच्छे विभागों के साथ दीर्घकालिक बनाना चाहेगी।
प्रावधानों के अनुसार झारखंड की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष का पद झामुमो के पास है, इसलिए कांग्रेस कैबिनेट में कम से कम तीन और स्थान की मांग कर रही है। अपने पांच मंत्रियों के लिए उसे ऐसे विभाग भी चाहिए, ताकि वह पार्टी को दोबारा आम लोगों से जोड़ सके। इधर झामुमो के लोग भी झारखंड की जनता के ऐतिहासिक समर्थन के बदले उसके साथ मजबूती से जुड़ना चाहते हैं और जनता से सीधे जुड़े विभागों पर अपना स्वाभाविक दावा मानते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राजनीतिक कौशल की असली परीक्षा यहीं होगी कि वह अपनी कैबिनेट का गठन कैसे करते हैं और विभागों का बंटवारा कैसे होता है। यह सर्वविदित है कि बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, कृषि और ग्रामीण तथा शहरी विकास ऐसे आठ विभाग हैं, जिनसे आम लोगों का सबसे अधिक वास्ता रहता है। इसलिए दोनों दल इनमें से अधिक से अधिक विभाग अपने हिस्से में लेना चाहेंगे। इनके अलावा भू राजस्व, खान, परिवहन और अन्य विभाग हैं, जिनसे राज्य का खर्चा चलता है।
झारखंड की वर्तमान आर्थिक हालत को देख कर यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्राथमिकताएं क्या होंगी।
हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन में दो परीक्षाएं दी हैं। पहली परीक्षा झामुमो के नेतृत्व के हस्तांतरण का रहा, जिसमें उन्होंने अव्वल नंबर हासिल किया है। बिना किसी तामझाम और समर्थन-विरोध के हेमंत को झामुमो ने जिस तरह स्वीकार किया, वह भारत के राजनीतिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि किसी पार्टी के नेतृत्व का हस्तांतरण इतनी आसानी से हुआ हो। पार्टी की कमान हेमंत सोरेन ने जिस कुशलता से संभाली, उससे उनके व्यक्तित्व को नया आयाम मिला और झामुमो को मजबूती हासिल हुई। इसी तरह हेमंत की दूसरी परीक्षा झारखंड के चुनाव में जीत हासिल करने की थी, जिसमें उन्हें ऐतिहासिक सफलता मिली। इन दोनों परीक्षाओं में फर्स्ट डिवीजन में पास करने के बाद हेमंत तीसरी परीक्षा के लिए तैयार हैं। इसके लिए वह शपथ लेने से पहले से ही तैयारी कर रहे हैं।
उनकी तैयारी अगले दो-तीन दिनों में और जोर पकड़ेगी और 15 जनवरी के बाद वह कैबिनेट विस्तार की परीक्षा भी अव्वल नंबरों से पास कर जायेंगे। यह ‘हीरामन’ हेमंत की तीसरी परीक्षा होगी, तीसरी कसम नहीं।

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