रांची। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और राज्य सरकार के बीच केंद्रीय विद्युत प्रदत्ता लोक उपक्रमों के बकाये भुगतान के लिए त्रिपक्षीय समझौता से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि यह निर्णय लोकहित में जनता के हित को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और 15वें वित्त आयोग और संविधान के तहत मिलने वाली राशि में कटौती होती है, बिजली मद की राशि की कटौती होती है, उसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। पहले के समझौता प्रावधान के तहत यदि राज्य केंद्रीय विद्युत प्रदत्ता लोक उपक्रमों से बिजली खरीदता है तो उसे नियत समय में एक राशि भुगतान करना होता है। एक नियत अवधि के बाद ऊर्जा मंत्रालय को एग्रीमेंट के तहत शक्ति मिली है कि वह आरबीआइ को पत्र देकर सूचित कर सकता है कि बकाया की कटौती किस्तों में कर सके। इसके लिए वह आरबीआइ के पास जो राज्य सरकार का फंड है, उससे किस्तों में कटौती करता है। और बकाया भुगतान सुनिश्चित करता है। झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेस एक्जॉम रूल 2021 की स्वीकृति तथा जेपीएससी द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी। कैबिनेट सचिव ने बताया कि पहले जो रूल बना था वह वर्ष 1951 का था, जिसके आधार पर जेपीएससी परीक्षा कराता था। समय- समय पर राज्य सरकार संकल्प के माध्यम से नियम में संशोधन करती थी। कई विवाद हुए, न्यायालय में भी मामला पहुंचा। इसके बाद विकास आयुक्त की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय कमेटी ने नयी नियमावली तैयार की है। कमेटी की अनुशंसा पर नयी नियमावली बनायी गयी है। कैबिनेट सचिव ने बताया कि जेपीएससी के पीटी की परीक्षा में 15 गुना अधिक अभ्यर्थी पास होंगे।
ऊर्जा विभाग के गलत निर्णय को निरस्त कर दिया गया : हेमंत सोरेन
रांची। सीएम हेमंत सोरेन ने बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कैबिनेट में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। 51 साल बाद जेपीएससी को अपनी नियमावली मिल गयी है। यहां के नौजवानों को लेकर जेपीएससी पर पहले सवाल उठ रहे थे। नियमावली के बाद अब यह सवाल नहीं उठेगा। सीएम ने कहा कि अंदाज लगा सकते हैं कि किसी ने इसे जानने-समझने का प्रयास नहीं किया। सीएम ने कहा कि पूर्व में लिये गये एक निर्णय को निरस्त कर दिया गया है। राज्य में डीवीसी बिजली की कटौती शुरू कर चुकी है। राज्यवासियों के साथ कहीं न कहीं धोखा हो रहा है। दूसरी तरफ आरबीआइ में जो सभी राज्यों के खाते होते हैं, उसमें पैसे काटे जा रहे हैं। इसमें वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति, 14वें वित्त आयोग का पैसा और आदिवासी कल्याण का पैसा आता है, इस पर सीधा राज्य का अधिकार है। उन पैसे में कटौती की जा रही है। ऐसी स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि जो दस्तावेज पूर्व में बने, उसे निरस्त किया जाये।
त्रिपक्षीय ऊर्जा समझौता से बाहर हुई सरकार
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