नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। बजट से भारतीय विमानन उद्योग कई उम्मीदें लगाए बैठा है। दरअसल, कोरोनावायरस महामारी के दौरान होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से मुकाबले के लिए उद्योग टैक्स में कई तरह की छूट चाहता है।
हालांकि, घरेलू उड़ानों को फिर से शुरू किया गया है, लेकिन अभी विमानन उद्योग को कोई खास राहत नहीं मिली है, कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से पूरा क्षेत्र वित्तीय तौर पर मुश्किल में है। विमानन उद्योग के विशेषज्ञ हवाई अड्डे के शुल्क में कमी, ओवरनाईट फीस, करों को वापस लेने के लिए कम दरों के विस्तार, ईंधन पर उत्पाद शुल्क और जीएसटी (माल और सेवा कर) के तहत विमानन ईंधन लाने की मांग कर रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बजट में करों को कम करने पर कम दर के विस्तार पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, इसे एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जाना चाहिए जब तक कि बाजार पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है, क्योंकि इससे नकदी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, निजी या व्यावसायिक उड़ानों के माध्यम से यात्रा उद्योग के लिए जीएसटी के संबंध में भी मांग 5 प्रतिशत तक सीमित है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से उन लोगों के लिए यात्रा की लागत में कमी आएगी जिन्हें जीएसटी का लाभ नहीं मिलता है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA Ltd ने पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि विमानन उद्योग को अपनी क्रेडिट रेटिंग और नुकसान और कर्ज से खुद को ठीक करने के लिए वित्त वर्ष 2021 से 2022 के दौरान 37,000 करोड़ के अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी। विमानन उद्योग से जुड़े लोगों की मांग है कि सरकार कोई ऐसा कदम उठाए जिससे तुरंत राहत मिल सके।