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    Home»Jharkhand Top News»झरिया विस में दो क्षत्राणियों का रोमांचक रण
    Jharkhand Top News

    झरिया विस में दो क्षत्राणियों का रोमांचक रण

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 6, 2021No Comments10 Mins Read
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    मुद्दे उठाओ, संघर्ष करो, तभी सत्ता में वापसी संभव- यह बदलते धनबाद की आवाज है। धनबाद के जनमानस की अब यही वाक्य शैली बन गयी है। बदलते धनबाद की दास्तान और मंजर की तटस्थ रिपोर्ट से आजाद सिपाही आपको लगातार अपडेट कर रहा है। इसी कड़ी में हमने आपको बताया है कि कैसे कभी लालखंड रहे धनबाद ने दशकों बाद भगवा रंग छोड़कर हरा रंग की तरफ बढ़ रहा है, दो दशक बाद बाघमारा विधानसभा क्षेत्र में बदलाव की बयार बह रही, टाइगर ढ़ुल्लू महतो का अभेद्य किला ढह रहा है। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है विश्व भर में सर्वश्रेष्ठ कोयला और भूमिगत आग के लिए प्रसिद्ध झरिया विधानसभा क्षेत्र की दास्तान और यहां के सियासी रण में दो क्षत्राणियों की बेहद रोमांचक कहानी आजाद सिपाही के धनबाद ब्यूरो हेड मनोज मिश्र की कलम से।

    प्रतिबद्ध हूं, जी हां, प्रतिबद्ध हूं-
    बहुजन समाज की अनुपल प्रगति के निमित्त-
    संकुचित ‘स्व’ की आपाधापी के निषेधार्थ
    अविवेकी भीड़ की भेड़िया-धसान के खिलाफ
    अंध-बधिर व्यक्तियों को सही राह बतलाने के लिए
    अपने आप को भी व्यामोह से बारंबार उबारने की खातिर
    प्रतिबद्ध हूं, जी हां, शतधा प्रतिबद्ध हूं!
    बाबा नागार्जुन की ये पंक्तियां झरिया विधानसभा क्षेत्र की दो क्षत्राणियों पर सटीक बैठती हैं। झरिया की भूमिगत आग के बीच सियासी मुकाबला कोरोना काल के दस महीनों में बेहद दिलचस्प हो गया है। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा जा सकता है। बात स्थानीय मुद्दों की हो या फिर साधारण जन के शोषण की, रिश्ते में जेठानी-देवरानी कांग्रेस-भाजपा की नेत्री धनबाद संसदीय क्षेत्र समेत पूरे झारखंड की सियासत में रुचि रखने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं। इनके नक्शे-कदम पर चलकर कई महिलाएं सियासत में अपना भाग्य सुरक्षित करने में कामयाब हो सकती हैं। बारूद और बंदूक के गलियारे के बीच कांग्रेस और भाजपा की पूर्णिमा तथा रागिनी के सियासी दांव-पेंच, मुद्दों को लेकर गंभीरता और साधारण जन के दिल में जगह बनाने की जोर-आजमाइश काबिले तारीफ है।
    दोनों हैं सूर्यदेव सिंह कुनबे की बहू
    किसी भी देश का शीर्ष नेतृत्व इस बात से इंकार नहीं कर सकता है कि सत्ता सिर्फ पक्ष से नहीं, विपक्ष से भी चलती है। विगत कुछ वर्षों में जिस तेजी से विपक्ष राज्य और केंद्र में कमजोर हुआ है, कहीं न कहीं, जनता का हित भी उतना ही प्रभावित हुआ है और हम ऐसी राह पर बढ़ते चले जा रहे हैं जहां शायद विरोध के लिए कोई जगह नहीं है। इसके विपरीत धनबाद जिले का झरिया विधानसभा क्षेत्र पक्ष और विपक्ष की भूमिकाओं को लेकर नयी रेखाएं खींच रहा है। यहां दो क्षत्राणियों का सियासी रण बेहद रोमांचक तो है ही, धनबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आनेवाली सभी विधानसभा सीटों के विधायकों के लिए चुनौती से कम नहीं है।
    ये दोनों इलाके के चर्चित सूर्यदेव सिंह कुनबे की दो बहुएं रिश्ते में जेठानी-देवरानी हैं। कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह एवं पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह का सियासी संघर्ष बेहद दिलचस्प मुकाम पर है। साल 2020 में जिस तरह से इन दोनों ने क्षेत्र में भूमिका निभायी है, उसकी सराहना हर तरफ हो रही है। दशकों तक जहां बारूद की गंध और बंदूक की आवाज आम थी, वहां अब इन दोनों की हुंकार सुनाई देती है।
    दोनों बनीं मिसाल
    झरिया विधायक सह झारखंड विधानसभा की सचेतक पूर्णिमा नीरज सिंह ने जहां जनचेतना को जगाया है, वहीं सिंह मेंशन की खिसकती जमीन को संभालने की जद्दोजहद भाजपा नेत्री रागिनी सिंह कर रही हैं। पूर्णिमा को इसका प्रतिफल मिला और वह भाजपा को उखाड़ फेंकने मेंं सफल रहीं। वहीं रागिनी सिंह बिखरते सिंह मेंशन के समर्थकों को संभालने में कामयाब रहीं। इन दोनों ने कोयला खदानों में मजदूरों से संपर्क बनाने और उनकी समस्याओं का निदान करने में कोताही नहीं बरती। झरिया कोयलांचल में यह पहला मौका है, जब दो महिलाओं को निर्भीक, ताबड़तोड़ फैसला लेते देखा जा रहा है। जहां बंदूक बात बात पर गरजा करती थी, वहां इन दो महिलाओं ने ममता का आंचल इस कदर फैलाया है कि इसके तले अपने-पराये सब आ रहे हैं। जेल में पति के होने का गम भूलकर भाजपा नेत्री सियासी के दांव-पेंच में माहिर होती जा रही हैं, वहीं पति नीरज सिंह को खोने का दर्द लेकर पूर्णिमा नीरज सिंह नयी गाथाएं लिख रही हैं। कोरोना काल के पिछले दस महीनों में विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने अपनी कार्य प्रणाली और जनमानस तक तेजी से पहुंचने की तकनीक से आम जनता को यह महसूस कराया है कि सरकार उनके हित के लिए कार्य कर रही है। इधर, भाजपा नेत्री रागिनी सिंह मजदूरों एवं उनके परिवारों के दुख-सुख बांट कर उन्हें यह एहसास दिलाने की कोशिश कर रही हैं कि सिंह मेंशन ही उनके लिए सही और सुरक्षित है।
    समस्याओं को लेकर दोनों सचेत
    स्थानीय लोगों ने बताया कि झरिया क्षेत्र में पेयजल की गंभीर समस्या है। कोयला परियोजना में आये दिन होने वाली ब्लास्टिंग से लोग परेशान हैं। भारी वाहनों के आवागमन से प्रदूषण फैल रहा है। हेवी ब्लास्टिंग से जानमाल का खतरा बना हुआ है। विरोध करने पर आउटसोर्सिंग के गुंडे मारपीट करते हैं। बीसीसीएल प्रबंधन बिना सुविधा दिये लोगों को विस्थापित करने में लगा है। लेकिन विधायक इन समस्याओं को लेकर गतिशील दिखाई देती हैं। लोगों के अनुसार विधायक पूर्णिमा में प्रतिगामी मूल्यों के प्रति तिरस्कार भाव है। उनमें स्वभावत: शोषण के विरुद्ध आक्रोश, घृणा, मोहभंग तो है ही, साथ ही जीवट और जुझारूपन से उपजा आशावादी स्वर भी है।
    उधर जिस सूर्यदेव सिंह के अनेकों निर्णयों से झरिया में कई क्रांतियों का आरंभ हुआ, आज वही घराना इतना कमजोर है कि अपने वजूद को बचाने का संघर्ष कर रहा है। इसमें जितनी खुद की कमियां जिम्मेदार हैं, उससे कहीं अधिक भाजपा का भी योगदान है। स्थानीय लोगों ने कहा कि विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया में ड्रेनेज सिस्टम की बदहाली पर उतनी ही गंभीर हैं, जितनी कि क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर। विधायक ने इन समस्याओं को लेकर ठोस पहल की है। वहीं लोगों ने यह भी माना कि रागिनी सिंह ने झरिया की हर समस्या को लेकर जुझारू नीति के साथ विधायक पूर्णिमा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बता दें कि सिंह मेंशन का करीब पांच दशक तक झरिया में राज रहा है। बीच के कुछ चुनाव को छोड़ दिया जाये, तो परिवार का ही कोई सदस्य यहां का विधायक रहा है। झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 में पूर्णिमा ने सिंह मेंशन की उम्मीदवार रागिनी सिंह को हरा दिया। झरिया बाजार, भौंरा, महुलबनी, सुदामडीह, जयरामपुर, पाथरडीह लोको बाजार, नुनुडीह, जोरापोखर, जामाडोबा आदि इलाके के मतदाताओं ने पूर्णिमा नीरज सिंह को अपार जनादेश दिया। इन सभी इलाकों के मतदाता दशकों तक सिंह मेंशन के साथ रहे, लेकिन अब हालात बदल गये हैं। यहां के लोगों को अब रघुकुल से अगाध प्रेम है। वे पूर्णिमा नीरज सिंह पर भरोसा जता रहे हैं।
    अंधेर नगरी चौपट राजा का खेल अब खत्म : पूर्णिमा नीरज
    अंधेर नगरी चौपट राजा का खेल खत्म हो गया है। यहां की जनता ही राजा है। विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह का कहना है कि झरिया की जनता आश्वस्त है। अब यहां तानाशाही नहीं चलने दी जायेगी। प्रदूषणमुक्त और रोजगार के साथ झरिया को सुंदर, शिक्षित और आधारभूत सुविधाओं से सुशोभित करेंगे। विस्थापन को लेकर उनका कहना है कि उनके रहते झरिया से किसी का भी विस्थापन नहीं हो सकता है। विधायक ने कहा कि झरिया का विकास मेरा कर्तव्य है। इसके लिए मैं जी-जान से जुट गयी हूं। यहां के लोगों ने बरसों का शोषण देखा है।
    बता दें कि देवरानी को हरा पूर्णिमा नीरज सिंह ने 52 साल बाद झरिया में कांग्रेस की वापसी करायी। 2014 के चुनाव में संजीव सिंह ने चचेरे भाई नीरज सिंह 33 हजार 692 मतों से हराया था। 2019 में रागिनी सिंह को पूर्णिमा सिंह ने 12 हजार 54 मतों से हराया। 1967 में झरिया के राजा शिव प्रसाद सिंह ने अंतिम बार कांग्रेस के टिकट पर झरिया सीट जीती थी। उसके बाद कांग्रेस यहां जीत के लिए तरस रही थी।
    हर मोर्चे पर पूर्णिमा सफल
    झरिया में जल संकट का मुद्दा विधायक ने विधानसभा में उठाया। विधायक की कोरोना पॉलिटिक्स से टेंडर कमेटी को जवाब नहीं सूझा। दरअसल, कोरोना पर विजय के लिए स्वास्थ्य महकमे ने मास्क की खरीदारी की। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की देखरेख में टेंडर हुआ। 56 हजार मास्क खरीदे गये। जरूरतमंद लोगों के बीच वितरण के लिए विधायक को मास्क दिये गये। उनका वितरण भी हुआ, लेकिन तत्काल ही मास्क की शिकायत आनी शुरू गयी। विधायक ने पूछताछ शुरू की, तो मालूम चला कि आधे मास्क ठीक-ठाक थे, तो आधे गड़बड़। विधायक ने तुरंत उपायुक्त से शिकायत की। छानबीन शुरू हुई तो आपूर्तिकर्ता स्टील गेट का रहने वाला मिला। केस हो गया। सवाल उठा कि आखिर उसके मास्क की गुणवत्ता को देखा किसने था। स्वास्थ्य अफसरों का जवाब था, टेंडर के वक्त बढ़िया मास्क दिखाया था, आपूर्ति में निकला कुछ और, आपदा में भी गोलमाल।
    पूर्णिमा झरिया के लोगों के प्रति संजीदा
    झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह किन्नर समाज के लोगों से उतनी ही संजीदगी से मिलती हैं, जितना कि आम लोगों से। सिंह मेंशन के मुकाबले रघुकुल का दरवाजा सभी के लिए खुला रहता है। खुद फैसला लेती हैं और जिम्मेदारी का सौ फीसदी निर्वहन करती हैं। उन्होंने कहा कि झरिया की समस्याओं को विधानसभा में शिद्दत से उठाने और मुख्यमंत्री को अवगत कराने के कारण ही सरकार के निर्देश पर विधायकों की टीम जांच करने झरिया आयी। पूर्णिमा ने कहा कि आउटसोर्सिंग के गुंडों की गुंडागर्दी का जमाना अब खत्म होनेवाला है।
    हाल में जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची से दुमका जाने के क्रम में कुछ देर के लिए बरवाअड्डा में रुके, तो वहां विधायक पूर्णिमा के साथ उन्होंने बैठक की। विधायक ने सीएम से धनबाद की विधि-व्यवस्था पर बात की। इस पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध किया। विधायक की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने धनबाद के एसएसपी को विधि- व्यवस्था सुधारने के लिए कहा। विधायक ने झरिया और धनबाद की अन्य समस्याओं से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
    पूर्णिमा ने सहिया का मुद्दा उठाया
    विधानसभा सत्र में विधायक ने ध्यानकर्षण प्रस्ताव में धनबाद जिला की सहियाओं और सहिया साथियों के मुद्दे को रखा। उन्होंने कहा कि धनबाद जिला के शहरी क्षेत्र में कार्यरत सहियाओं और सहिया साथियों को 2018 के जून महीने में शहरी क्षेत्र का हवाला देते हुए कार्य से हटा दिया गया था। अभियान निदेशक के आदेश पर 10 जून 2018 को प्रभावित 29 में से 16 सहियाओं को पूर्व की भांति कार्य पर रख लिया गया। बीसीएलएल सीएमडी गोपाल सिंह से मिल कर उन्होंने झरिया में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, श्रमिक अधिकार तथा प्रदूषण पर 12 सूत्री मांग पत्र सौंपा।
    रागिनी ने खोल रखा है मोर्चा
    तुम से क्या झगड़ा है, हमने तो रगड़ा है, इनको भी, उनको भी ! ये बातें रागिनी पर सटीक बैठती हैं। झरिया में जनता मजदूर संघ (कुंती सिंह गुट), जिसमें पूर्व विधायक संजीव सिंह के लोग हैं और जनता मजदूर संघ (बच्चा सिंह गुट) में पूर्णिमा सिंह गुट के लोग हैं। झरिया से पूर्णिमा नीरज सिंह की जीत के बाद कोलियरियों में वर्चस्व स्थापित करने के लिए बच्चा सिंह गुट लगातार मजदूरों से संपर्क कर उसे अपने पक्ष में करने की कोशिश में है। वहीं रागिनी ने पूर्णिमा सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। झरिया में जनाधार जुटाने के लिए वह कड़ी मेहनत कर रहीं। रागिनी सिंह ने पूर्णिमा के बहाने रघुकुल घराना, पूर्व मंत्री बच्चा सिंह, अभिषेक सिंह, एकलव्य सिंह एवं हर्ष सिंह पर भी लगातार हमला बोला है।

    Thriller fight of two warriors in Jharia Vis
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