रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सोमवार को कहा कि उसकी अनुबंध या कॉर्पोरेट खेती में प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है लेकिन हम देश के किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आरआईएल ने कहा कि हमने कभी भी कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कृषि भूमि नहीं खरीदी और न ही इसकी कोई योजना थी।
आरआईएल ने कहा कि उसकी सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल सीधे किसानों से अनाज नहीं खरीदती है। रिलायंस ने बयान में कहा कि हम अपने आपूर्तिकर्ताओं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तंत्र, और / या कृषि उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य के लिए किसी भी अन्य तंत्र का सख्ती से पालन करने पर जोर देंगे।
कंपनी ने कहा कि उसने “किसानों पर अनुचित लाभ हासिल करने के लिए दीर्घकालिक खरीद अनुबंधों में कभी प्रवेश नहीं किया या यह नहीं कहा कि इसके आपूर्तिकर्ता किसानों से पारिश्रमिक मूल्य से कम पर खरीदते हैं, और न ही ऐसा कभी करेंगे।
हाल के सप्ताहों में, जियो के लगभग 1,500 मोबाइल टॉवर को निशाना बनाया गया है, साथ ही लाखों लोगों ने जियो से अपने नेटवर्क को दूसरे टेलिकॉम सेक्टर में पोर्ट किया है। इससे कंपनी को नुकसान हुआ है। कंपनी ने कहा कि उसने अपने संचार टावरों की बर्बरता के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। इसने उच्च न्यायालय से अपने कर्मचारियों और संपत्ति को बर्बरता से बचाने में मदद करने के लिए एक उपयुक्त आदेश जारी करने का आग्रह किया है।
उल्लेखनीय है कि गत 26 नवम्बर 2020 के बाद से पंजाब-हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने कृषि बिल को वापस लेने की मांग के मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर बैठकर हड़ताल कर रहे हैं। किसान तीन कृषि कानूनों की पूरी तरह से वापसी करने और इस बात की गारंटी की मांग कर रहे हैं कि एमएसपी प्रणाली को खत्म नहीं किया जाय। केंद्र और किसान संघ के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। किसानों को डर है कि नए कृषि कानून से एमएसपी प्रणाली खत्म हो जायेगी और कॉर्पोरेट खेती को नष्ट कर देंगे। हालांकि, केंद्र ने कहा है कि इन सुधारों से किसानों को लाभ होगा। आज भी किसान यूनियनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का दौर आयोजित होने वाला है। पिछले दौर में केंद्र और किसान यूनियनों ने विद्युत अधिनियम और स्टबल बर्निंग से जुड़े मुद्दों पर सहमति जताई थी, लेकिन दोनों प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं थी। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और तीन कृषि कानूनों को वापस लेना किसनों की प्रमुख मांग है।