धनबाद। झारखंड के झरिया में दशकों से जमीन के अंदर धधक रही आग और अनगिनत दरारों से उठते धुएं के बीच लाखों लोगों की जिंदगियां खतरे में हैं। अब केंद्र झरिया एक्शन प्लान को लेकर गंभीर है। इसकी मॉनिटरिंग पीएमओ स्तर पर हो रही है। लगभग 60 हजार लोगों को हटाकर तीन महीनों के भीतर सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जाएगा।
झरिया में कोयला खदानों का संचालन करने वाली कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लि.) ने बीते सितंबर महीने में ही पूरे शहर को असुरक्षित कर इसे खाली करने का नोटिस जारी किया था। केंद्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा और झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने इस इलाके में कोयले का खनन करने वाली कंपनी को निर्देश दिया है।
झरिया में अग्नि प्रभावित कुल 595 साइट है लेकिन इनमें से 70 ऐसी है, जहां आबादी का एक पल भी रहना बेहद जोखिम भरा माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में इन इलाकों में अचानक जमीन फटने से मकान, मंदिर, मस्जिद, दुकान आदि के जमींदोज होने की दो दर्जन से भी ज्यादा घटनाएं हुई। ऐसे इलाकों में बरोरा, कतरास, लोदना, पुटकी बलिहारी, कुसुंडा, सिजुआ और बस्ताकोला के क्षेत्र हैं।
सरकार इस बात को लेकर गंभीर है कि आग से प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों को जल्द से जल्द शिफ्ट किया जाए। इसके लिए 24 हजार के करीब आवास बनने हैं। इनमें से 70 फीसदी के करीब आवास बन चुके हैं। इन आवासों में पांच हजार से अधिक लोगों को शिफ्ट भी किया गया है। इस प्रक्रिया के बाद भी बीसीसीएल की ओर से इस क्षेत्र में सर्वे किया गया है।
इस सर्वे की रिपोर्ट को 27 जनवरी को होने वाले केंद्रीय केबिनेट में रखा जायेगा है। उसी दिन झरिया एक्शन प्लान पर केंद्र सरकार विचार करेगी। इसके लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने निर्देशित किया है। इसमें कोयला सचिव, झारखंड के मुख्य सचिव और कोयला कंपनियों बीसीसीएल और ईसीएल के आला अधिकारी भी भाग लेंगे।