देहरादून। राज्य और केन्द्र सरकार जोशीमठ भू धंसाव से आई आपदा के हर संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहां पर पानी के डिस्चार्ज में 50 प्रतिशत से भी अधिक की कमी राहत देने वाली खबर है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के टुकड़ियों के साथ हेलीकाॅप्टर भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही विभिन्न संस्थाओं के कार्यों की निगरानी के लिए कमेटी गठित की गई है।
गुरुवार को यह जानकारी सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में आपदा प्रबन्धन के सचिव डा.रंजीत कुमार सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत में दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो 06 जनवरी को 540 एलपीएम था, वर्तमान में घट कर 240 एलपीएम हो गया है।
एनजीआरआई हैदराबाद की टीम कल जोशीमठ पहुंच रही है, जो भूमिगत जल चैनल का अध्ययन करेगी। जोखिम मूल्यांकन के लिए सीबीआरआई, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस और एनजीआरआई की समिति गठित की गई है। सचिव आपदा ने बताया कि सीबीआरआई की ओर से धवस्तीरण से नुकसान का आकलन, जिन आवासों/भवनों काे ध्वस्त किया जाना है, की निगरानी और अस्थायी पुनर्वास के लिए प्री फेब हट की डिजाइन तैयार की जा रही है। सीबीआरआई की टीम आज जोशीमठ पहुंच गई है और क्षतिग्रस्त भवन का सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जोशीमठ में एनडीआरएफ की 02 टुकड़ियां तैनात है और जोशीमठ क्षेत्र के लिए एक टुकड़ी और रवाना की जा रही है। जोशीमठ में एसडीआरएफ की 08 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। इसके साथ ही आकस्मिक स्थिति के लिए सेना, आईटीबीपी के हेलीकाॅप्टर तैनात किए गए हैं। आईआईटी रुड़की द्वारा भू-तकनीकी अध्ययन किया जा रहा है। आई.आई.आर.एस की ओर से लैण्ड मूवमेन्ट का सेटेलाइट फोटोग्राफ्स उपलब्ध कराये जायेंगे। जीएसआई द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन किया जा रहा है। वाडिया संस्थान की ओर से क्षेत्र के भूकम्प के दृष्टि से अध्ययन किया जा रहा है। 03 भूकम्पीय स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भूमिगत उप-सतही सर्वेक्षण के भू-भौतिकीय अन्वेशण शुरू किया गया है। राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान की ओर से प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है, जिसका हाइड्रोलाॅजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जायेगा।
जोशीमठ में ड्रेनेज सम्बन्धित कार्यों और टो-इरोजन की रोकथाम को तत्काल कार्य प्रारम्भ किये जाने के उद्देश्य से ईपीसी मोड में कार्य करवाने के लिये सिंचाई विभाग से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। उक्त प्रस्ताव में प्रस्तावित एकल स्रोत की संस्था को नामित के लिए पत्रावली वित्त विभाग के अनुमोदन के लिए भेजी गई है। जोशीमठ में आपदा प्रभावित एचटी/एलटी लाइनों और परिर्वतकों को स्थानान्तरित के लिए ऊर्जा विभाग को धनराशि 214.43 लाख अवमुक्त की जा रही है। उन्होंने बताया कि केन्द्र की आई टीम का अध्ययन रिपोर्ट अभी नहीं मिला है। पत्रकार वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।