Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, September 21
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा: राहुल
    देश

    कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा: राहुल

    राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का श्रीनगर में हुआ समापन
    adminBy adminJanuary 30, 2023No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    श्रीनगर। भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में खत्म हो गयी। यह 145 दिन पहले 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। राहुल ने क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में 35 मिनट तक लंबी स्पीच दी। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस का जिक्र किया और भाजपा पर हमला बोला।
    राहुल ने कहा कि मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षा बलों से कुछ कहना चाहता हूं। मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जिसने हिंसा नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आयेगी। जैसे मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। डरते हैं। यहां पर हम चार दिन पैदल चले। गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता है। इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए क्योंकि वे डरते हैं। कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा है। मोदी-शाह यह दर्द नहीं समझ सकते।
    भारी बर्फबारी के बीच कार्यकर्ता जमे रहे
    श्रीनगर में सुबह में भारी बर्फबारी हुई। इसके बाद भी कार्यकर्ताओं का उत्साह कम नहीं हुआ। सुबह से कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखी गयी। उधर, राहुल यहां भी अलग रंग में दिखे। उन्होंने बहन प्रियंका के साथ बर्फबारी का लुत्फ उठाया। दोनों एक-दूसरे पर बर्फ उछालते नजर आये।
    आसान लगा, लेकिन था मुश्किल:
    राहुल ने कहा कि मुझे थोड़ा अहंकार था, उतर गया। मैं कन्याकुमारी से चला था। पूरे देश में चले हम लोग। सच बताऊं तो मुझे लगा कन्याकुमारी से कश्मीर चलने में मुश्किल नहीं होगी। फिजिकली ये काम मुश्किल नहीं होगा। ये मैंने सोचा था। शायद मैं काफी वर्जिश करता हूं, इसलिए थोड़ा सा अहंकार आ गया, जैसे आ जाता है। मगर फिर बात बदल गयी। पांच-सात दिन चलने के बाद जबरदस्त प्रॉब्लम हुई थी। थोड़ा अहंकार उतर गया। मैं सोचने लगा कि जो 3500 किलोमीटर हैं, उन्हें चल पाऊंगा कि नहीं। मुझे जो आसान काम लगा, वह काफी मुश्किल हो गया। किसी न किसी तरह से मैंने ये काम पूरा कर लिया।
    इस टी-शर्ट का रंग, लाल कर दो:
    राहुल ने कहा कि मैं जम्मू से कश्मीर जा रहा था, तब मेरी सुरक्षा की बात हो रही थी। मुझसे कहा गया कि पैदल चलने पर आप पर ग्रेनेड फेंका जायेगा। मैंने कहा, चार दिन चलूंगा, बदल दो इस टी-शर्ट का रंग, लाल कर दो। देखी जायेगी। मगर जो मैंने सोचा था, वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, अपना दिल खोल कर प्यार दिया। गले लगे। मुझे खुशी हुई कि उन सबने मुझे अपना माना। प्यार से बच्चों ने, बुजुर्गों ने आंसुओं से मेरा यहां स्वागत किया। मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षा बलों से कुछ कहना चाहता हूं। देखिए मैं हिंसा को समझता हूं।
    मैंने वह जगह देखी, जहां दादी को गोली मारी थी
    राहुल ने कहा कि मैं 14 साल का था। जो मैं अभी कह रहा हूं, ये बात प्रधानमंत्री और अमित शाह जी को नहीं समझ आयेगी। ये बात कश्मीर को समझ आयेगी। सीआरपीएफ और आर्मी के परिवार वालों को समझ आयेगी। उन्होंने मुझे कहा कि दादी को गोली लग गयी। फिर मुझे गाड़ी में वापस ले गये, मुझे स्कूल से उठाया। फिर मैंने वह जगह देखी, जहां मेरी दादी का खून था। पापा आये, मां आयीं। मां हिल गयी थीं, बोल नहीं पा रही थीं। जो हिंसा करवाता है, मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, अजित डोभाल जी हैं… वे दर्द को समझ नहीं सकते। हम दर्द को समझ सकते हैं। अपनों को खोने वालों के दिल में क्या होता है, जब फोन आता है तो कैसा लगता है, वह मैं समझता हूं, मेरी बहन समझती है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपाकिस्तान की मस्जिद में फिदायीन हमला, 32 पुलिसकर्मियों की मौत
    Next Article नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार बनने से चिंतित अमेरिका, उप विदेश मंत्री ने अमेरिका को प्राथमिकता में रखने के लिए दिया दबाव
    admin

      Related Posts

      विश्व की शांति और स्थिरता के लिए भारत का आत्मनिर्भर होना जरूरी : प्रधानमंत्री

      September 20, 2025

      खरगे ने ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस वृद्धि को बताया भारत के लिए झटका

      September 20, 2025

      राहुल गांधी ने वायनाड में दोहराया वोट चोरी का आरोप, जल्द खुलासे का दावा

      September 20, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • विश्व की शांति और स्थिरता के लिए भारत का आत्मनिर्भर होना जरूरी : प्रधानमंत्री
      • खरगे ने ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस वृद्धि को बताया भारत के लिए झटका
      • ट्रंप की द न्यूयॉर्क टाइम्स के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत खारिज
      • नेपाल में भारी बारिश और भूस्खलन से सात राजमार्ग अवरुद्ध
      • इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डोगर के खिलाफ पांच जजों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version