सीआरपीएफ आइजी कमांडेंट पर सख्त कानूनी कार्रवाई और एक उच्च स्तरीय जांच की मांग की
रांची। झामुमो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इडी की पूछताछ के दौरान उतारे गये सीआरपीएफ के जवानों को लेकर हमला बोला है। झामुमो ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने साजिश रची थी। अगर झामुमो कार्यकर्ता संयम न बरते तो विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती थी। इसके बाद राज्य में विधि-व्यवस्था का हवाला देकर राष्ट्रपति शासन के हालात पैदा किया जा सके। झामुमो ने राज्य सरकार से सीआरपीएफ आइजी की भूमिका की जांच की मांग की है, नहीं तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है। उक्त बातें झामुमो केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद कुमार पांडेय ने कही। इन्होंने कहा कि इडी के अनुरोध पर ही राज्य सरकार द्वारा विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रांची जिला प्रशासन ने इडी के अधिकारियों की सुरक्षा, उनके कार्यालय की सुरक्षा, उनके परिवार की सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था संभालने के लिए करीब 2000 पुलिस एवं वरीय दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की थी। इस दौरान आम जनता एवं झामुमो कार्यकर्ताओं के द्वारा केंद्र की जांच एजेंसियों की पक्षपात पूर्ण कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इसे देखते हुए पुन: जिला प्रशासन ने त्वरित कदम उठाते हुए सीएम हाउस के 500 मीटर की दूरी पर धारा-144 लगा दी। मगर इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के सैकड़ों जवानों को बस में भरकर बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कराने का प्रयास किया गया। झामुमो नेताओं ने कहा कि एक तो बिना अनुमति या सूचना के सीआरपीएफ के जवानों को उतारा गया। बिना अनुमति या सूचना के सीएम हाउस में प्रवेश करने की कोशिश की गयी। इतना ही नहीं सीआरपीएफ जवानों ने झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने का भी प्रयास किया, ताकि माहौल को बिगाड़ा जा सके। झामुमो नेताओं ने कहा कि विधि-व्यवस्था के इतने संवेदनशील समय एवं स्थान पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना और बिना सूचना दिये इतनी बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के बल का निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश करना एक भड़काऊ एवं गैर-कानूनी कार्य है। झामुमो कार्यकर्ताओं ने यदि संयम का परिचय नहीं दिया होता तो हिंसक परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी। कहा कि मिली जानकारी के अनुसार, सीआरपीएफ का यह कृत्य एक सोची समझी साजिश के तहत थी, जिसमें सीआरपीएफ के आइजी भी शामिल थे। वे चाहते थे कि सीआरपीएफ एवं प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाये और प्रदर्शनकारी उग्र होकर यदि सीआरपीएफ पर हमला कर दें तो राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाया जा सके और राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके। सीआरपीएफ कभी भी जिला प्रशासन के अनुरोध अथवा अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की विधि-व्यवस्था का कार्य नहीं कर सकती है। इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह कार्रवाई साजिशन केंद्र सरकार के इशारे पर किया, जो राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है और संघीय ढांचे पर एक कायराना हमला है। कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बल देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं। इनका इस प्रकार से राजनैतिक दुरूपयोग अत्यंत ही गंभीर चिंता का विषय है। ऐसी घटनाओं से ही आम जनता का विश्वास केंद्रीय एजेंसियों के प्रति कम होता जा रहा है एवं यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्प्रभावित कर सकता है। यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्प्रभावित कर सकता है। झामुमो ने राज्य सरकार से मांग किया है कि सीआरपीएफ आईजी कमांडेंट एवं उनके अन्य वरीय पदाधिकारियों पर इस असंवैधानिक कार्य के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच करा कर पूरे साजिश का भांडा फोड़ किया जाये, अन्यथा झामुमो आंदोलन के लिए बाध्य होगा।