बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले 23 जनवरी को यह घोषणा की। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे। वे पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे।

सीएम रहे: 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979
डिप्टी सीएम रहे: 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968

उनके फैसले देश में मिसाल बने
कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिसाल बने। देश में सबसे पहले उन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया। पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई को भी मुफ्त कर दिया।

उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी दिया। पिछड़े ही नहीं, अगड़ों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। स्वतंत्रता का संघर्ष हो या जेपी का आंदोलन, कर्पूरी ठाकुर की अग्रणी भूमिका रही।

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