विशेष
-2024 के महाभारत से पहले कांग्रेस के युवराज ने उठाया आखिरी हथियार
-‘भारत जोड़ो यात्रा’ का हश्र देख कर बहुत अधिक उम्मीद नहीं कर रहा विपक्ष
-बड़ा सवाल : कांग्रेस को कितना लाभ दे सकेगा राहुल की यात्रा का दूसरा चरण

पिछले करीब एक साल से भारत की राजनीति में उठे तमाम बड़े विवादों के केंद्र में रहनेवाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बहुप्रचारित ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद एक और अभियान शुरू करने का एलान किया है, जिसका नाम उन्होंने ‘भारत न्याय यात्रा’ दिया है। उनका यह अभियान 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होगा और देश के 14 राज्यों के 85 जिलों से गुजर कर मार्च में मुंबई में पूरा होगा। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद ‘भारत न्याय यात्रा’ 2024 के चुनाव से ठीक पहले देश के उस हिस्से में होगी, जहां से कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो चुका है। जिन करीब एक सौ संसदीय सीटों से होकर यह यात्रा गुजरेगी, उनमें से महज 14 पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि केवल झारखंड की सत्ता में कांग्रेस की भागीदारी है। इसलिए सियासी जानकारों को इस बात में संदेह है कि इस यात्रा से खुद राहुल, उनकी पार्टी कांग्रेस और पूरे विपक्षी गठबंधन को शायद ही कोई लाभ मिल सकेगा। इसके बावजूद अपने वक्तव्यों, बिना सोचे-समझे बयान देने और हाल के दिनों में ट्रक से यात्रा करने से लेकर अखाड़े में कुश्ती लड़ने और घर की रसोई में जैम बनाने जैसी हरकतों के कारण पूरी दुनिया में चर्चित होने और इन बालसुलभ हरकतों की मदद से देश की सत्ता हासिल करने का सपना देखनेवाले कांग्रेस के युवराज की इस नयी यात्रा पर देश भर की निगाहें तो हैं, लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि अपने 138 साल के इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए यह अभियान कितना कारगर होगा। राहुल गांधी की इस यात्रा के दूसरे चरण और इसके कारण राजनीति और 2024 के चुनाव पर पड़नेवाले इसके संभावित असर का आकलन कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

करीब एक साल पहले 30 जनवरी को कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने श्रीनगर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन के बाद जो उम्मीद की थी, उसके पूरे नहीं होने के कारण राजनीतिक रूप से हाशिये पर पहुंच चुके इस विवादास्पद नेता के अगले कदम का इंतजार हो रहा था। अब राहुल ने 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू करने की घोषणा की है, जो मणिपुर से शुरू होकर मुंबई में खत्म होगी। 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले होनेवाली इस यात्रा का राजनीतिक असर तो होगा ही, लेकिन कितना होगा, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। कांग्रेस द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इंफाल में हरी झंडी दिखा कर यात्रा को रवाना करायेंगे। 14 जनवरी से शुरू होनेवाली यह यात्रा 20 मार्च तक चलेगी।
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ठीक एक साल पहले खत्म हुई थी। इसके तहत उन्होंने तमिलनाडु में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की यात्रा की थी। ‘भारत न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी 14 राज्यों के 85 जिलों से गुजरेंगे। यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात से गुजर कर महाराष्ट्र की मुंबई में समाप्त होगी। इस दौरान वह साढ़े छह हजार किलोमीटर की दूरी तय करेंगे, जबकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने चार हजार किलोमीटर की यात्रा की थी।

क्या है ‘भारत न्याय यात्रा’
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने लोगों को आर्थिक असमानता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही के प्रति जागरूक किया है। वहीं ‘भारत न्याय यात्रा’ में जोर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय पर होगा। देश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जायेगा। ऐसा माना जाता है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने राहुल गांधी की राजनीतिक छवि निखारने में अहम भूमिका निभायी थी। कई लोग मानते हैं कि शुरू में इस यात्रा को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। राहुल गांधी ने इस यात्रा में बेरोजगारी, किसानों की दिक्कत, अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार, भ्रष्टाचार और गवर्नेंस का मुद्दा उठाया था।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ से राहुल और कांग्रेस को क्या मिला
राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कर्नाटक और तेलंगाना में खासा समय बिताया था। तेलंगाना में यह यात्रा 15 दिन चली थी। कर्नाटक में राहुल ने 22 दिन बिताये थे। राजस्थान के छह जिलों में राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 16 दिनों तक चली थी। मध्यप्रदेश में 12 दिनों तक यह यात्रा चली थी। लेकिन राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस को इस यात्रा का चुनावी फायदा नहीं मिला। हालांकि कई लोग मानते हैं कि इस यात्रा से कांग्रेस के समर्थकों का उत्साह जरूर बढ़ा। इस बात में कोई संदेह नहीं कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से कांग्रेस से ज्यादा राहुल को फायदा हुआ। इस यात्रा ने राहुल की छवि बदल दी थी और लोग उन्हें गंभीरता से सुनने लगे थे। लेकिन पिछले एक साल के दौरान यदि इस छवि को किसी ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया, तो वह खुद राहुल गांधी हैं। वह यह नहीं समझ पाये कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश की सियासत में धान रोपने, ट्रैक्टर चलाने और ट्रक ड्राइवरों, मैकेनिक और पहलवानों के साथ बालसुलभ हरकतें करने से लोकप्रियता तो मिलती है, लेकिन गंभीरता खत्म हो जाती है। राहुल ने पिछले एक साल में यही सब किया और इसका परिणाम यह हुआ कि हिंदी पट्टी से कांग्रेस के पांव पूरी तरह उखड़ गये।

भारत न्याय यात्रा से क्या मिलेगा
राहुल गांधी की ‘भारत न्याय यात्रा’ कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे दलों के लिए भी बेहतर नतीजे दे सकती है, क्योंकि राहुल गांधी अलग तरह के राजनीतिक नेता हैं। वह एक स्टेट्समैन राजनीतिज्ञ की तरह दिखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनमें गंभीरता की कमी है। उन्होंने पार्टी पद छोड़ दिया है और वह प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, यह भी पता नहीं। ऐसे में उनकी यात्रा से विपक्षी दलों को कितना लाभ होगा, इस पर विवाद हो सकता है। पिछले कुछ दिनों से राहुल जनहित के मामलों के मुद्दे उठाते हैं और काफी मुखर होकर बोलते हैं। लेकिन उनकी बालसुलभ हरकतों ने उनकी राजनीतिक जमीन को कमजोर ही किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल की ‘भारत न्याय यात्रा’ के दौरान कौन से मुद्दे उठते हैं, क्योंकि इस यात्रा की चुनावी सफलता इस दौरान उठाये गये मुद्दों पर निर्भर करेगी।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यात्रा शुरू करने का मतलब
‘भारत न्याय यात्रा’ की अवधि को लेकर भी सियासी हलकों में चर्चा है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भी कई राज्यों में चुनाव हुए, लेकिन राहुल ने प्रचार अभियान में हिस्सा नहीं लिया। अब यह यात्रा भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हो रही है, तो इसका कांग्रेस की संभावनाओं पर क्या असर होगा, यह बड़ा सवाल है। लेकिन ‘भारत न्याय यात्रा’ आम चुनाव से पहले खत्म हो जायेगी और राहुल को प्रचार का पर्याप्त समय मिलेगा, लेकिन इस यात्रा का चुनावी फायदा इस बात पर निर्भर करेगा कि मुद्दे कितने स्पष्ट तरीके से उठाये जाते हैं, क्योंकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उठाये गये मुद्दों में स्पष्टता नहीं थी। इतना ही नहीं, यात्रा के दौरान ऐसे-ऐसे विवादास्पद चेहरे राहुल गांधी के साथ सेल्फी लेते देखे गये, जिसका जनता के मनो मस्तिष्क पर प्रतिकूल असर पड़ा।
इसलिए यह बात साफ नजर आ रही है कि राहुल और कांग्रेस के लिए यह ‘भारत न्याय यात्रा’ आखिरी हथियार है। 2024 में यह कितना कारगर होता है, यह तो समय के गर्भ में है, लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने अगर गंभीरता नहीं दिखायी, बालसुलभ हरकतों से बाज नहीं आये, तो का असर दमदार नहीं होगा।

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