विशेष
दुलारचंद यादव की हत्या से डिफेंसिव हुआ एनडीए अचानक हुआ हमलावर
महागठबंधन के हाथों फिसला मुद्दा, अगड़ा बनाम पिछड़ा निष्क्रिय
फिर से सरकारी नौकरी पर उतरा महागठबंधन, भाजपा दस हजारी योजना पर इतरायी
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले मोकामा समेत पूरे राज्य की राजनीति में जबरदस्त भूचाल आ गया है। मोकामा सीट एक तरफ अब प्रदेश की सबसे चर्चित और निर्णायक सीटों में शुमार हो गयी है, तो दूसरी तरफ चुनावी मुद्दों की भीड़ में अब कानून-व्यवस्था का मुद्दा भी शामिल हो गया है। जदयू प्रत्याशी और बाहुबली छवि वाले नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने न केवल एनडीए और महागठबंधन के चुनावी समीकरणों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में नयी हलचल पैदा कर दी है। जन सुराज समर्थक और राजद के पूर्व नेता दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में हुई अनंत सिंह की गिरफ्तारी ऐसे वक्त पर हुई है, जब चुनावी अभियान अपने शिखर पर है। ऐसे में मोकामा में हुई दुलारचंद यादव की हत्या जहां एनडीए के लिए रणनीतिक झटका और छवि संकट बन कर सामने आयी थी, वहीं अनंत सिंह की हत्या ने उसे बड़ी राहत दी है। दुलार यादव की हत्या के बाद डिफेंसिव मोड में रहे एनडीए अचानक से हमलावर हो गया है। एनडीए अब कानून व्यवस्था और जंगल राज के मुद्दे पर महागठबंधन को बुरी तरह घेर रहा है। वास्तव में अनंत सिंह की गिरफ्तारी से चुनावी माहौल को एनडीए के पक्ष में मोड़ने में बड़ी भूमिका निभायी है और महागठबंधन के हाथ से एक बड़ा मुद्दा अचानक से फिसलता हुआ नजर आने लगा है। मोकामा में दुलार यादव की हत्या की पृष्ठभूमि में क्या है अनंत सिंह की गिरफ्तारी के मायने और कैसे इस एक घटना ने बिहार के चुनावी माहौल को अचानक से बदल दिया है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के संपादक राकेश सिंह।

बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद बिहार सहम सा गया था। लोगों में यह आशंका घर कर गयी थी कि कहीं दुलारचंद यादव हत्याकांड इस चुनावी राज्य में जंगलराज पार्ट-2 की वापसी का कारण न बन जाये। लेकिन अनंत सिंह सहित तीन आरोपियों की गिरफ्तारी और बड़े पुलिस अधिकारियों पर गिरी गाज के कारण अब लोगों की नाराजगी कम होती दिख रही है। बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता दिखायी है और अनावश्यक बयानबाजी से बचते हुए दिखायी दे रहे हैं। इससे बिहार की सियासी हवा जहरीली होने से फिलहाल बचती हुई दिखायी दे रही है।
मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड के आरोपी पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने राजनीतिक दलों के बीच जोरदार बहस छेड़ दी है। जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह को पुलिस ने हिरासत में लिया, जिसके बाद एनडीए ने इसे कानून का राज बताया है, तो महागठबंधन ने दबाव की कार्रवाई करार दिया है।

एनडीए की साख और संतुलन पर चोट
मोकामा टाल क्षेत्र में जनसुराज समर्थक और राजद के पूर्व नेता दुलारचंद यादव की हत्या ने एनडीए की राजनीतिक और नैतिक, दोनों नींव को हिला दिया था। विपक्ष को हमला करने का नया मुद्दा मिल गया था, जिसे वह पूरे राज्य में भुनाने की कोशिश करने लगा था। ऐसी संभावना थी कि यादव बहुल इलाकों में यह हत्याकांड जातीय तनाव को और गहरा सकता है। दुलारचंद यादव की हत्या से पहले ही यादव समुदाय में आक्रोश था और अब यह नाराजगी एनडीए के खिलाफ वोटों में तब्दील हो सकती थी। इसके विपरीत भूमिहार मतदाताओं में अनंत सिंह के प्रति सहानुभूति की लहर देखने को मिल रही है। यह लहर न केवल अनंत सिंह के पक्ष में, बल्कि राज्य के अन्य भूमिहार उम्मीदवारों के लिए भी राजनीतिक लाभ का कारण बन सकती है।

महागठबंधन के लिए अवसर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम महागठबंधन के लिए बड़ा मौका था। यदि राजद इस परिस्थिति में यादव और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने में सफल होता है, तो पहले चरण से ही चुनावी हवा बदल सकती है। हालांकि, यादव बहुल इलाकों में उतरे राजद के भूमिहार उम्मीदवारों के लिए स्थिति असमंजस भरी है, क्योंकि जातीय समीकरण यहां बेहद पेचीदा हैं। कुल मिलाकर मोकामा से शुरू हुई यह सियासी हलचल सिर्फ एक सीट की कहानी नहीं रह गयी है, यह पूरा चुनावी परिदृश्य प्रभावित करने की क्षमता रखती है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद एनडीए और राजद में किसका पलड़ा भारी पड़ता है।

दुलारचंद के पोते की भूमिका पर भी जांच जारी
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में अनंत सिंह के अलावा 80 गिरफ्तारी हो चुकी है। दुलारचंद के पोते की भूमिका की जांच भी जारी है। गिरफ्तारी के बाद अनंत सिंह ने कहा, सत्यमेव जयते! मुझे मोकामा की जनता पर पूर्ण भरोसा है। इसलिए चुनाव अब जनता ही लड़ेगी। उन्होंने न्याय की कठोर मांग की। हत्यारों को गिरफ्तार कर मौत की सजा दो, जब तक सजा न मिले, ब्रह्मभोज नहीं करेंगे। विपक्षी इसे राजनीति क स्टंट बता रहे।

अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने बदला माहौल
दुलार यादव की हत्या ने एनडीए को रक्षात्मक कर दिया था। नीतीश सरकार के साथ चुनाव आयोग भी भयंकर दबाव में था। लेकिन अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने अचानक माहौल को बदल दिया है। इसका साफ असर आरा में रविवार को हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में देखने को मिला। अपने भाषण ने पीएम मोदी ने कानून व्यवस्था के मामले में नीतीश सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड की तारीफ की और कहा कि जंगल राज झेलनेवाला बिहार अब वाकई में सुशासन की ठंडी छांव में है। पीएम मोदी के भाषण के अलावा पहले चरण में होनेवाले चुनाव से ठीक पहले एनडीए के प्रति लोगों का नजरिया भी बदलने लगा है।

कानून का राज लौटा, जंगल राज खत्म : भाजपा
भाजपा ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी को बिहार में कानून-व्यवस्था की मिसाल बताया। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, बिहार में कानून का राज है। पुलिस को न्याय दिलाने का पूरा अधिकार है। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने राजद पर निशाना साधा और कहा कि तेजस्वी यादव और राजद अपराधियों को संरक्षण देते हैं। 1990-2005 के जंगल राज में अपराधी राजद मंत्रियों के घरों में छिपते थे। वहीं, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने नीतीश सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यहां कोई पक्षपात नहीं, न्याय होता है। कानून-व्यवस्था दुरुस्त है।

राजद का काउंटर: दबाव की खानापूर्ति
विपक्षी राजद ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी को सियासी दबाव का नतीजा बताया है। सांसद मीसा भारती ने तंज कसा, यह कार्रवाई सरकार की नहीं, बल्कि जनता के आक्रोश और चुनाव आयोग के दबाव में हुई। अगर कानून का राज होता, तो यह गिरफ्तारी बहुत पहले हो जाती। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसे खानापूर्ति वाली गिरफ्तारी कहा, जो देरी से हुई, ताकि सरकार की नीयत पर सवाल उठे।

चिराग ने कहा: खरमास नहीं देखेंगे, तेजस्वी का अहंकार ठीक नहीं
लोजपा (आर) प्रमुख चिराग पासवान ने गिरफ्तारी का समर्थन किया। चिराग ने कहा, अगर सरकार अपराधियों को बचाती, तो कार्रवाई नहीं होती। नीतीश कुमार न किसी को फंसाते हैं, न बचाते हैं। हम खरमास का इंतजार नहीं करेंगे, तथ्यों पर तुरंत एक्शन लेंगे। उन्होंने तेजस्वी यादव पर सीधा हमला बोला और कहा कि इतना अहंकार ठीक नहीं। जनता जानती है कि अपराध पर कार्रवाई कौन करता है और कौन अपराधियों के साथ खड़ा रहता है। बिहार बदल रहा है, न्याय और विकास पर फोकस है।

इस पूरी घटना का चुनाव पर असर
मोकामा सीट पर असर : अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से हैं। उनका क्षेत्र में और भूमिहार समुदाय में मजबूत पकड़ है और वह एक लाख वोटों से जीत का दावा कर रहे थे। इस गिरफ्तारी से जदयू के लिए थोड़ी मुसीबत जरूर बढ़ सकती है। अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी, जो पहले विधायक भी रह चुकी हैं, अब मुख्य भूमिका निभा सकती हैं। दूसरी तरफ अनत सिंह की गिरफ्तारी भूमिहार वोटों को एकजुट कर सकता है। मोकामा में यह चुनाव भूमिहार बनाम यादव को और गहरा करेगा। एक तरफ भूमिहारों का अनंत सिंह के पक्ष में लामबंद होने का अनुमान है, तो दूसरी तरफ यादवों का पीयूष प्रियदर्शी की तरफ।

पूरे बिहार चुनाव पर असर
यह बिहार का पहला चुनावी हिंसा से जुड़ा हत्याकांड मामला है, जो एनडीए (जेडीयू-भाजपा) पर दबाव बढ़ा सकता है, क्योंकि एनडीए विकास और कानून व्यवस्था को चुनाव में जोर-शोर के साथ भुना रहा है। वहीं, इस घटना के बाद विपक्ष कानून-व्यवस्था को मुद्दा बना सकता है। खासकर तेजस्वी यादव, जो इसे नीतीश सरकार की नाकामी बता रहे हैं। हालांकि, पूरे बिहार में इसका असर सीमित रह सकता है, क्योंकि अनंत सिंह की लोकप्रियता मुख्य रूप से स्थानीय है, इसलिए जदयू को नुकसान कम हो सकता है।
कुल मिलाकर इस पूरी घटना ने मोकामा को हॉट सीट बना दिया है। अब इस सीट पर जीत एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण जरूर होगी। अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद भाजपा जहां लगातार जंगल राज का हवाला देते हुए राजद को घेर रही है, अपने हर चुनावी सभा में जंगल राज की याद जनता को दिला रही है और एनडीए की सरकार में मजबूत कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए जोर-शोर से प्रचार-प्रसार कर रही है, उसका सकारात्मक असर पड़ता नजर आ रहा है।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version