जमशेदपुर। जमशेदपुर में कुछ लोगों ने स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट नामक संस्था के मिलते-जुलते नाम से दूसरा ट्रस्ट बनाकर फर्जी तरीके से केंद्र सरकार से 42 लाख का अनुदान ले लिया। गबन का यह मामला 20 साल पुराना है, जिसकी जांच अब सीबीआई की एसीबी रांची ब्रांच करेगी। इस मामले में सीबीआई ने कांड संख्या आरसी 0242024र0002 दर्ज की है। सीबीआई स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट जमशेदपुर, सरोज दास, रंजीत चौधरी, नकुल चंद्रा, कमल कांति, कमल दास, प्रकाश चंद्रा, असीम बॉस और अन्य लोगों की इस गबन में भूमिका की जांच करेगी। इंस्पेक्टर मुकुंद कुमार करण को इस केस का आईओ बनाया गया है। बीते बीस सितंबर 2023 को झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
जानें क्या है मामला
जमशेदपुर में स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट आदिवासी बालिकाओं के लिए हॉस्टल चला रहा था। इसके संचालन के लिए केंद्रीय जनजाति विकास विभाग (मंत्रालय) ट्रस्ट को पैसे देता था। साल 2002-03 में विभाग ने ट्रस्ट को 42 लाख आवंटित किये थे। लेकिन ट्रस्ट के सचिव रहे सरोज दास ने साजिश रचकर मिलता-जुलता नाम सिर्फ सेवा हटाकर स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट का गठन किया। पूर्व परिचित होने के कारण दिल्ली जाकर मिलीभगत कर विभाग से आवंटित 42 लाख अपने ट्रस्ट के खाते में डलवा लिया। जब मामला प्रकाश में आया तो जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना में केस दर्ज किया गया। लेकिन पुलिस की जांच में मामले को रफा-दफा कर दिया गया। इसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार को जांच के लिए लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद पुरानी वास्तविक ट्रस्ट स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट ने मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच करने का आदेश दिया।