– वोट बैंक के लिए राम भक्तों पर कहर बरपाया गया, आज ना राम के हुए ना ही उनका वोट रहा
बलरामपुर। अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी को आयोजित प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर हर और उत्सव मनाया जा रहा है। सभी रामभक्त इस दिन को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हैं। सबसे ज्यादा उत्साह उन राम भक्तों में है जो मंदिर आंदोलन के दिनों में जेल गए, वे आज इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने जा रहे हैं।
श्रीराम काज के लिए समर्पित बरेली सेंट्रल जेल में बिताये जनपद के तुलसीपुर निवासी विष्णु देव गुप्ता ने उन दिनों की घटनाओं को याद करते हुये 1990 राम जन्मभूमि मुक्त यात्रा गुजरात के सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में निकाली गई थी। जो बिहार में रोक देने के बावजूद भी पूरे देश में चलती रही। उन दिनों राम भक्तों का उत्साह पूरे चरम पर था। उत्तर प्रदेश में तत्कालीन प्रदेश सरकार के द्वारा आंदोलन की अगुवाई कर रहे क्षेत्र के प्रमुखों को ढूंढ-ढूंढ कर जेल भेजा जा रहा था। स्थानीय पुलिस के द्वारा हमारी गिरफ्तारी को लेकर घर में कई बार दबिश दी गई। पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर अपने साथियों के साथ नगर तुलसीपुर के मिल चौराहे से रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा लगाते हुए जुलूस निकालकर थाना मोड़ पर गिरफ्तारी दी। मौके पर 200 से अधिक लोग जुलूस में शामिल हुए और सभी अपनी-अपनी गिरफ्तारी दी।
हम सभी को 27 अक्टूबर 1990 को गोंडा जेल भेजा गया, जहां पर जगह न होने से बाराबंकी से लखनऊ से बरेली सेंट्रल जेल भेजा गया। जहां तकरीबन 15 दिनों के उपरांत रिहा किया गया। उन दिनों दीपावली का पर्व था। दीपावली परिवार के साथ ना मनाने का मलाल था, वही रामकाज के लिए जेल में बंद होने का गुमान भी रहा। साथियों के साथ जेल में दीपावली मनाई गई।
विष्णु देव गुप्ता ने बताया कि जब विवादित ढांचा गिरा तो सरकार राम भक्तों के उत्पीड़न पर उतर आई। उन दिनों सरकार का रवैया ब्रिटिश हुकूमत की तरह था। सरकार जितना राम भक्तों का उत्पीड़न कर रही थी, उतना ही सरकार के प्रति लोगों आक्रोश बढ़ रहा था। वही रामकाज को लेकर लोग उतावली हो रहे थे।
उन्होंने कहा कि जो जनमानस की कल्पना थी वह आज प्रभु श्री राम के आशीर्वाद से साकार हो रहा है। जो लोग वोट बैंक की राजनीति में प्रभु को नकार रहे थे, आज ना प्रभु राम के हुए और ना ही उनका वोट बैंक रहा। यह सिर्फ प्रधानमंत्री के संकल्पना व श्रीराम के आशीर्वाद से पूरा हो रहा है। 500 वर्षों में पूर्वजों ने जो त्याग किया उसका प्रतिफल आज हम सभी को मिल रहा है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं जो 22 जनवरी को इस पल के साक्षी होने जा रहे हैं।