कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित स्कूल भर्ती घोटाले में सीबीआइ को पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की संलिप्तता के प्रमाण के रूप में कॉल रिकॉर्ड्स मिले हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन कॉल रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी और अन्य संबंधित व्यक्तियों के साथ उनकी बातचीत कैसे इस घोटाले की जड़ तक जाती है।
सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि चटर्जी और उनके करीबी लोगों ने अवैध रूप से अर्जित धन को रियल एस्टेट कारोबार के जरिए सफेद धन में बदलने की कोशिश की। इस संदर्भ में, काली कमाई को रियल एस्टेट निवेश के रूप में दिखाया गया।
इस महीने की शुरुआत में, सीबीआइ को राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस के कार्यालय से पार्थ चटर्जी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मिली थी। यह अनुमति इसलिए जरूरी थी क्योंकि किसी भी विधानसभा सदस्य के खिलाफ चार्जशीट अदालत में स्वीकार करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होती है।
सीबीआइ की इस कार्रवाई से पार्थ चटर्जी पर आरोप तय करने का रास्ता साफ हो गया है। उन्हें जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था, जब उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के दो फ्लैटों से भारी मात्रा में नकदी और सोना बरामद हुआ था। तब से पार्थ चटर्जी कोलकाता के प्रेसिडेंसी सेंट्रल जेल में बंद हैं, जबकि अर्पिता मुखर्जी को हाल ही में सशर्त जमानत पर रिहा किया गया है।
सीबीआइ ने हाल ही में पार्थ चटर्जी को स्कूल भर्ती घोटाले के मामले में गिरफ्तार दिखाया है, जिससे उनकी रिहाई और भी मुश्किल हो गई है।
इस घोटाले में अब तक प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुल 239.26 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।