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चीन की एआइ ने सूचना तकनीक की दुनिया में अमेरिका को पछाड़ा
राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही लग गया झटका
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है।
दो दिन पहले दुनिया भर के शेयर बाजार बुरी तरह गिरने लगे। अचानक पैदा हुई इस गिरावट का कारण चीन द्वारा विकसित एआइ टूल डीपसीक को माना गया, जिसने सूचना तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका को पछाड़ दिया है। डीपसीक का असर दुनिया भर में पड़ा, तो भारत भी इससे अछूता नहीं रह सका। चीन आर्थिक, सैन्य और तकनीक के क्षेत्र में बादशाहत हासिल करके दुनिया का बॉस बनना चाहता है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। चीन अपने लक्ष्य तय कर उसे हासिल करने के लिए जिस तरह चुपचाप पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुट जाता है, वह दुनिया के लिए प्रेरक भी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में अमेरिकी दबदबे को चुनौती देते हुए चीनी एआइ चैटबॉट डीपसीक ने जिस तरह वॉल स्ट्रीट, सिलिकॉन वैली और वाशिंगटन तथा दुनिया भर के अमीरों को सदमे में डाल दिया है, उसे देख कर हर कोई आश्चर्यचकित है। चीनी स्टार्टअप द्वारा विकसित यह ऐप इस सप्ताह अमेरिका में एप्पल स्टोर पर डाउनलोड के मामले में शीर्ष पर रहा। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार डीपसीक की सफलता से पता चलता है कि चीनी एआइ डेवलपर महंगे, उच्च-स्तरीय हार्डवेयर तक पहुंच के बिना भी अपने अमेरिकी समकक्षों की बराबरी कर सकते हैं। इस समय इंटरनेट पर मौजूद हर उपयोक्ता डीपसीक के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रहा है। इसलिए इस ऐप की खासियत और इसकी निर्माता कंपनी के बारे में जानना बेहद जरूरी है। क्या है डीपसीक और क्या है इसकी खासियत और दुनिया पर इसका क्या होगा असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राहुल सिंह।
भारत में जहां देखिए सिर्फ महाकुंभ की चर्चा है, लेकिन इंटरनेट सर्च बताता है कि यह बात पूरी तरह सच नहीं है। एक और कीवर्ड खूब खोजा जा रहा है, डीपसीक। यह चीनी एआइ मॉडल दुनियाभर के शेयर बाजारों से अरबों डॉलर साफ कर चुका है। आप गूगल ट्रेंड्स पर डीपसीक खोजिये। अफ्रीका के कुछ देशों और ग्रीनलैंड को छोड़ दुनिया का कोई हिस्सा ऐसा नहीं, जहां लोग बड़ी संख्या में इसके बारे में नहीं खोज रहे। इस चीनी कंपनी ने ऐसा क्या किया कि दुनिया इसकी टेक्नोलॉजी को ऐसे आंखें फाड़ कर देख रही है। ऐसा लग रहा है, जैसे टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ये इंटरनेट और एआइ के बाद का सबसे बड़ा आविष्कार हो।
क्या है एआइ चैटबॉट डीपसीक
पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लेने वाली डीपसीक एक चीनी एआइ कंपनी है। अगर आपने चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया है, तो आप जानते होंगे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली ये टेक्नोलॉजी क्या काम करती है और कैसे करती है। ये आपकी भाषा में आपके सवाल का जवाब देने के लिए तैयार होती है।
अन्य एआइ मॉडल की तरह डीपसीक ऐप को संचालित करने वाले पैटर्न की पहचान करने, भविष्यवाणियां करने और समस्याओं को हल करने के लिए भारी मात्रा में डाटा को संसाधित कर सकता है और उसे छान सकता है। इस एआइ मॉडल को जुलाई तक के डाटा पर प्रशिक्षित किया गया है। इसलिए यह अधिक हालिया घटनाओं के बारे में नहीं जानता है, लेकिन एक खोज विकल्प अधिक नवीनतम जानकारी और सुर्खियों को स्कैन कर सकता है। इसके अलावा अधिकांश ऐप्स की तरह डीपसीक बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत जानकारी एकत्र और संग्रहित कर सकता है, जिसमें आपकी कोई भी बातचीत और आपके डिवाइस और इंटरनेट कनेक्शन जैसी चीजों के बारे में तकनीकी जानकारी शामिल है। हालांकि एक डर यह है कि उस डाटा तक चीनी सरकार पहुंच सकती है। ऐसा भी प्रतीत होता है कि यह ऐप चीन के सख्त इंटरनेट नियंत्रणों के अनुरूप कुछ सूचनाओं को भी सेंसर कर रहा है, जैसे कि 1989 के तियानमेन स्क्वायर विरोध प्रदर्शन का कोई भी उल्लेख। हम आपको यह भी बता दें कि डीपसीक ने दूसरों के उपयोग और संशोधन के लिए अपने एआइ मॉडल का एक संस्करण जारी किया है। बाहरी डेवलपर इसे एक शक्तिशाली डिवाइस पर स्थानीय रूप से चला कर इसे अधिक सुरक्षित और कम प्रतिबंधित दोनों बना सकते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो डीपसीक एक एडवांस एआइ मॉडल है, जिसे हांग्जो में स्थित एक रिसर्च लैब में डेवलप किया गया है। इसे 2023 में लियांग वेनफेंग ने बनाया है। लियांग एआइ और क्वांटिटेटिव फाइनेंस में एक्सपर्ट हैं। डीपसीक वी-3 एक फ्री और ओपन सोर्स एआइ सिस्टम है, जिसमें किफायती एआइ हार्डवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
डीपसीक बनाने वाले लियांग वेनफेंग
लियांग वेनफेंग को चीन का सैम आॅल्टमैन भी कहते हैं। लियांग इंडस्ट्री में एक डार्क हॉर्स के रूप में उभरे हैं। हालांकि, यहां तक पहुंचने के लिए उनका सफर दिलचस्प रहा है। वे 1980 के दशक में चीन के पांचवें दर्जे के शहर ग्वांगडोंग में पले बढ़े। जैसा कि उन्होंने 2024 के एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता एक प्राइमरी स्कूल के टीचर थे।
दूसरे टूल्स से काफी सस्ता
इस एआइ कंपनी डीपसीक ने असल में किया क्या है, कैसे इसके आने से पूरी दुनिया में एआइ को लेकर तहलका मच गया है। चीन की ये कंपनी दावा कर रही है कि इसने मात्र 60 लाख डॉलर में अपना एआइ मॉडल बनाया है। तुलना के लिए जान लीजिए कि आज चैट जीपीटी को मात्र 10 दिन चलाने का खर्च भी इससे ज्यादा है। विशेषज्ञ टेस्ट करके बता चुके हैं कि कई मामलों में यह प्रतिद्वंद्वी एआइ टूल से बेहतर है, जबकि यह उनसे कम जटिल है और अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक इसे चलाने का खर्च 50 से 80 फीसदी कम है।
पूरा आॅपरेशन हो जायेगा सस्ता
एआइ इकोसिस्टम बनाने के लिए हार्डवेयर, डेटा सेंटर और बिजली की जरूरत होती है। यानी एआइ के आने के बाद से इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की अहमियत भी बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी। दुनिया के सारे बड़े शेयर बाजार में एआइ इकोसिस्टम से जुड़ी कंपनियों की वृद्धि इस बात की गवाह है। डीपसीक के बाजार को हिला देने के बाद इन्हीं कंपनियों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी कंपनी एनवीडिया का हाल तो दुनिया ने देखा, लेकिन इंटरनेट संबंधी हार्डवेयर बनाने वाली कंपनी ब्रॉडकॉम, भारत की कंपनियां नेटवेब टेक्नोलॉजी, अनंतराज और इ2इ का हाल इससे भी बुरा है। ये कंपनियां डेटा सेंटर बनाने के बिजनेस में अहम हैं।
अमेरिकी दबदबे को चुनौती
दरअसल दुनिया में अमेरिका के बिना एआइ का कोई भविष्य देखा नहीं जा रहा था। अमेरिका भी इसी मुगालते में था कि उसके बिना एआइ की बड़ी खोज कहीं और नहीं की जा सकती। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पांच सौ अरब डॉलर के बजट वाला स्टारगेट प्रोजेक्ट लांच किया, जो एआइ टेक्नोलॉजी पर केंद्रित है। चीन ने डीपसीक के जरिये इस अवधारणा को गलत साबित कर दिया है कि इस मामले में अमेरिका का कोई विकल्प नहीं। उसने ना सिर्फ विकल्प पेश किया है, बल्कि जो विकल्प पेश किया है, वो कहीं ज्यादा सस्ता और कम जटिल है। कई जानकार कहते हैं कि चीन जिस नये एआइ इकोसिस्टम की तैयारी कर रहा है, डीपसीक उसकी बानगी भर है। दुनिया की कई अहम एआइ कंपनियों में काम करने वाले चीनी वैज्ञानिक और इंजीनियर चीन वापस जाकर अपना एआइ स्टार्टअप शुरू कर चुके हैं।
ज्यादा एडवांस लेकिन डरावना
सबसे मजेदार चीज है, डीपसीक की रीजनिंग, क्रिएटिविटी और मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन। ज्यादातर आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस के मॉडल कयास लगाने पर केंद्रित होते हैं, लेकिन डीपसीक को आप तर्क देते और उसके बाद मंथन करते हुए देख सकते हैं। मशीन को ऐसा करते देखना काफी आकर्षक है, लेकिन डरावना भी। आप इसके डीपथिंक आर1 मॉडल को ऐसा करते देख खुद को मोहित होने से रोक नहीं पायेंगे। इसके बावजूद डीपसीक से जुड़ी चिंताएं भी हैं। भारत और दुनिया भर में कई उपयोक्ता ने इसके चीन से जुड़े राजनीतिक सवालों के जवाब ना देने और विवादित मामलों पर चुप्पी साध जाने की समस्या को उजागर किया है। साथ ही यूजर डेटा के चीन में स्टोर किये जाने और इसके इस्तेमाल के स्पष्ट नियम ना होने का डर भी लोगों को सता रहा है।
अमेरिकी टेक्नोलॉजी अब भी अहम
वैसे डरने की बहुत जरूरत नहीं है। तमाम सूत्र बताते हैं कि डीपसीक की टेक्नोलॉजी के लिए भी एनवीडिया की चिप्स अहम रही हैं। यानी एआइ के लिए अहम हार्डवेयर में इनकी अहमियत अभी खत्म नहीं होने जा रही। इससे भले ही एआइ टेक्नोलॉजी काफी सस्ती हो जाये, लेकिन एनवीडिया जैसी हाइटेक कंपनियों के चिप्स की मांग अभी बढ़ती ही जायेगी। छोटे दौर में एनवीडिया की गिरावट से उसकी लंबे दौर की मजबूती पर असर नहीं पड़ेगा।
वैसे एक नये खिलाड़ी का एआइ सेक्टर में आना उपयोक्ताओं के लिए तो फायदेमंद ही है। उनके लिए ना सिर्फ एआइ की सेवाएं काफी सस्ती हो सकती हैं, बल्कि प्रतिद्वंद्विता के चलते नयी खोजों में भी तेजी आ सकती है। इसलिए डीपसीक और उसका तहलका आखिर में उपयोक्ता और एआइ मार्केट, दोनों के लिए ही अच्छी खबर है। शायद इससे जुड़े बाकी सेक्टरों में भी जटिलताएं घटें और ग्राह्यता बढ़े। कारोबारों का लक्ष्य भले ही ज्यादा से ज्यादा खपत हो, मानवता का लक्ष्य तो टिकाऊ विकास ही है।