विशेष
दिल्ली चुनाव में इस बार मुद्दों की है भरमार, लेकिन फ्री बीज के किंग का मुकाबला बड़ी चुनौती
भाजपा और कांग्रेस ने कस ली है कमर, आपदा और आप.. दा.. को लेकर भी चल रहा घमासान
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राहुल सिंह।
देश के दिल, यानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। पांच फरवरी को मतदान होगा और आठ फरवरी को नतीजे आयेंगे। लेकिन दिल्ली चुनाव के बारे में कुछ भी कहने से पहले थोड़ा पीछे लौटना होगा। वह साल 2013 था, जब नयी नवेली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा के लिए अपने पहले चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीत कर सबको चौंका दिया था। उस समय भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से मिल कर सरकार बनायी। अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह सरकार सिर्फ 149 दिनों तक चल पायी थी। अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2014 में यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि दिल्ली विधानसभा में संख्या बल की कमी की वजह से वह जन लोकपाल बिल पास कराने में नाकाम रहे हैं, इसलिए फिर से चुनाव बाद पूर्ण जनादेश के साथ लौटेंगे। 2015 में जब चुनाव हुआ, तो दिल्ली की राजनीति में इतिहास रचते हुए आप, यानी आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत लीं। इस बात को एक दशक बीत चुके हैं। यमुना में बहुत पानी बह चुका है और वह कुछ और मैली हो गयी है। सत्ता भी बदल चुकी है। अब एक बार फिर केजरीवाल की आप समेत तमाम दल दिल्ली की जनता के बीच हैं। दिल्ली में इस बार का चुनाव काफी रोचक होने वाला है। जिस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना आंदोलन के बीच से आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ, इसी मुद्दे पर भाजपा केजरीवाल को घेरने की पुरजोर कोशिश कर रही है। उधर केजरीवाल घोषणाओं का पिटारा खोल कर बैठ गये हैं, तो कांग्रेस मुकाबले का तीसरा मजबूत कोण बनाती दिख रही है। यह चुनाव इसलिए भी रोचक होने जा रहा है, क्योंकि इसके नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेंगे और सबसे ज्यादा आम आदमी पार्टी के भविष्य को तय करेंगे। क्या है दिल्ली विधानसभा का पूरा परिदृश्य और मुद्दे, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राहुल सिंह।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। इस बार यह मुकाबला तीन बड़े दलों- सत्तासीन आम आदमी पार्टी, विपक्षी भाजपा और पिछले चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने वाली कांग्रेस के बीच हो रहा है। तीनों ही दल अपने पिछले प्रदर्शन से कहीं बेहतर सीटें लाने का दावा कर रहे हैं। दिल्ली में बीते 12 वर्षों से आम आदमी पार्टी की सरकार है। इस सरकार ने 2013, 2015 और फिर 2020 के चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की, लेकिन इस बार का चुनाव दिलचस्प होने की एक बड़ी वजह है आप पर लगे आरोप। दरअसल, पहले तीन चुनावों में आप ने दिल्ली का कार्यभार बेदाग छवि के साथ संभाला। हालांकि इस बार पहले शराब घोटाला और उसके बाद मुख्यमंत्री बंगले के पुनर्निर्माण से जुड़े आरोप सामने आने के चलते केजरीवाल और उनकी पार्टी की राह उतनी आसान नजर नहीं आ रही। इतना ही नहीं, भाजपा और कांग्रेस ने भी अपनी उम्मीदवारों की लिस्ट में कद्दावर नेताओं का नाम देकर यह साबित कर दिया है कि वे इस चुनाव में किसी के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहतीं। इस बीच यह जानना अहम है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन से मुद्दों का असर सबसे ज्यादा रहेगा।
चुनावी मुद्दा-1: मनी लांड्रिंग-शराब घोटाला केस
दिल्ली में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी उसके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, जिसके चलते बीते तीन से चार वर्षों में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन जैसे शीर्ष नेताओं को जेल तक जाना पड़ा है। इनमें सबसे बड़े आरोप रहे हैं मनी लांड्रिंग और शराब घोटाला केस, जिन्हें लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आप पर हमलावर रहे हैं।
चुनावी मुद्दा-2: यमुना की सफाई
दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरा बड़ा मुद्दा यमुना नदी की सफाई से जुड़ा है। दरअसल, आप ने ही वादा किया था कि उसके सरकार में आने के बाद यमुना नदी को इतना साफ कर दिया जायेगा कि लोग उसमें डुबकी लगा सकेंगे। हालांकि 12 वर्ष बाद भी इस पवित्र नदी में प्रदूषण पहले से बदतर स्थिति में है। बताया जाता है कि आप ने इसे लेकर बड़ी धनराशि भी खर्च की है। लेकिन उसकी इन कोशिशों का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है। इसके उलट दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और दिल्ली हाइकोर्ट तक ने आप सरकार की खिंचाई की है और उससे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा है। इस पर विपक्ष ने आप को घेरते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को यमुना की सफाई के लिए हजारों करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है, लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने यह पैसा अपने झूठे प्रचार पर खर्च किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्ट शासन के कारण दिल्ली से पैदा होने वाले गंदे जल को एसटीपी में साफ नहीं किया जा रहा है और इसकी कीमत यमुना और दिल्ली वालों को चुकानी पड़ रही है।
चुनावी मुद्दा-3: शीशमहल मुद्दा
दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले जो एक और मुद्दा आप के लिए सिरदर्द बनकर उभरा है, वह है अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास में रहने के दौरान इसका पुनर्निर्माण कराने का मुद्दा। हाल ही में सीएजी रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया है कि शुरू में सीएम के आवास के पुनर्निर्माण की लागत 7.91 करोड़ रुपये बतायी गयी थी, लेकिन बाद में 2020 में करीब 8.62 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। 2022 में जब इसे पूरा किया गया, तो इसकी कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी। पिछले एक साल से इस मुद्दे को उठा रही भाजपा को इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद आप पर वार करने का और मौका मिल गया। भाजपा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बंगले पर 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किये थे। विपक्ष का कहना है कि 2020 में जब दिल्ली की जनता अपने लोगों को खो रही थी, उस समय अरविंद केजरीवाल अपना शीश महल बनवा रहे थे। किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गयी। इसके निर्माण में अनियमितताएं बरती गयीं। पीडब्ल्यूडी विभाग ने 2024 में जो इन्वेंटरी घोषित की है और जो समान दिखाया है कि यह पीडब्ल्यूडी ने नहीं लगाया है, वह समान कहां से आया। वह किसका पैसा है? इसका जवाब अरविंद केजरीवाल को देना होगा।
चुनावी मुद्दा-4: वोटर लिस्ट में घोटाले के आरोप
दिल्ली में एक और मुद्दा, जिस पर बीते कई महीनों से राजनीति हो रही है, वह है वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और काटने को लेकर। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी लगातार चुनाव आयोग से सवाल पूछ रही है और भाजपा पर नयी दिल्ली सीट में बड़ा खेल करने का आरोप लगा रही है। इस मुद्दे पर दिल्ली की मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है। आप का आरोप है कि नयी दिल्ली में 10 फीसदी वोटरों को जोड़ा गया है, जबकि पांच फीसदी वोटर काटे गये हैं। यह एक साजिश है। इससे पहले केजरीवाल ने भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाते हुए भाजपा को घेरा था और कहा था कि वह दिल्ली विधानसभा में वोट कटवाने के साथ फर्जी नाम जुड़वाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बाहर से लोगों को लाकर उनके फर्जी वोटर कार्ड बनवा रही है और आप समर्थकों का वोट कटवाने, फर्जी वोटर बनवाने के साथ वोट के लिए पैसे दे रही है। आप के इन आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज किया है और वोटर लिस्ट के सत्यापन तक की बात कही है। हालांकि, आप ने चुनाव में इसे मुद्दा बना दिया है।
चुनावी मुद्दा-5: महिलाओं के लिए सम्मान राशि
देश में पिछले विधानसभा चुनाव झारखंड और महाराष्ट्र में हुए थे। इन दोनों ही राज्यों में राजनीतिक दलों के चुनाव जीतने की एक बड़ी वजह महिलाओं पर केंद्रित आर्थिक मदद की योजनाओं को माना गया था। आम आदमी पार्टी ने इसी फॉर्मूले को अपनाते हुए हाल ही में एलान किया था कि उनकी पार्टी महिलाओं के लिए महिला सम्मान योजना लागू कर रही है और इसके तहत वह 18 साल से ऊपर की महिलाओं के खाते में एक हजार रुपये डालेगी। केजरीवाल ने वादा किया था कि चुनाव जीतने के बाद इस राशि को बढ़ाकर 21 सौ रुपये कर दिया जायेगा। हालांकि, आप इस योजना को लेकर पहले ही विवाद हो चुका है। दरअसल इस एलान के बाद दिल्ली के महिला एवं बाल विकास विभाग ने कहा था कि एक राजनीतिक दल दिल्ली में महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत 21 सौ रुपये देने का दावा कर रहा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि दिल्ली सरकार की तरफ से ऐसी किसी योजना की अधिसूचना जारी नहीं की गयी है। ऐसे में ऐसी गैर-मौजूद योजनाओं पर विश्वास न करें। आप ने इस नोटिस को भाजपा की साजिश करार दिया था। उधर दिल्ली के उपराज्यपाल ने भी इस योजना को लेकर आप को निशाने पर लिया है। वीके सक्सेना ने आप की महिला सम्मान योजना की जांच के निर्देश दिए हैं। एलजी के प्रधान सचिव ने दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को चिट्ठी लिखी। इसमें कहा गया था कि गैर-सरकारी लोगों द्वारा दिल्ली की जनता की निजी जानकारी जुटायी जा रही है। इसकी जांच करायें और कानून के अनुसार कार्रवाई करें। आप की इस योजना के जवाब में कांग्रेस ने भी महिलाओं को लुभाने के लिए चुनाव जीतने के बाद प्यारी दीदी योजना लाने का एलान किया है। इसके तहत कांग्रेस ने दिल्ली में सत्ता में आने पर महिलाओं को 25 सौ रुपये प्रति माह देने का वादा किया है। यानी दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं की आर्थिक मदद का मुद्दा लगातार गर्म रहने वाला है।
पोस्टर वॉर जारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच पोस्टर वॉर तेज हो गया है। बुधवार को भाजपा ने केजरीवाल से जुड़े चार पोस्टर शेयर किये। इसमें उन्होंने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को गोविंदा की फिल्म राजा बाबू के रूप में दिखाया।
वहीं दूसरे पोस्टर में केजरीवाल की तस्वीर के साथ टॉयलेट शीट की फोटो शेयर की और लिखा टॉयलेट चोर। वहीं अन्य पोस्ट में भाजपा ने आप संयोजक को दुलकर सलमान की फिल्म लकी भास्कर के पोस्टर के रूप में दिखाया। दोनों पार्टियों के बीच पोस्टर वॉर की शुरूआत 31 दिसंबर को हुई थी। पिछले 9 दिनों में भाजपा ने 20 तो आम आदमी पार्टी ने 8 पोस्टर और एडिटेड वीडियो शेयर किये हैं। दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी, नतीजे 8 फरवरी को आयेंगे। विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है।