कोलकाता। कोलकाता पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों ने पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट तैयार करने वाले रैकेट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इन रैकेटों ने फर्जी पासपोर्ट के आवेदन शुल्क चुकाने के लिए किराए के बैंक खातों का उपयोग किया।
सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में एक ही बैंक खाता एक से अधिक फर्जी पासपोर्ट के आवेदन शुल्क के भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया। यह बैंक खाते मुख्यतः सीमावर्ती गांवों में रहने वाले एजेंटों के नाम पर थे। इन एजेंटों का काम बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचानना और उन्हें रैकेट के सरगनाओं तक पहुंचाना था।
इन एजेंटों को ग्राहकों की पहचान कराने और उनके खातों का उपयोग करने के बदले कमीशन दिया जाता था। प्रक्रिया के तहत पहले आवेदन शुल्क इन खातों में ऑनलाइन स्थानांतरित किया जाता, और तुरंत बाद उसी राशि का उपयोग पासपोर्ट आवेदन शुल्क चुकाने के लिए किया जाता। भुगतान प्रक्रिया पूरी होने के बाद खाता धारक को पांच से 10 प्रतिशत तक कमीशन नकद में दिया जाता था।
जांच में यह भी सामने आया है कि कई बार फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खोले जाते थे। इन रैकेटों के ऑपरेशन का पैटर्न स्पष्ट हो गया है।
घुसपैठिए सबसे पहले भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर स्थानीय एजेंटों से संपर्क करते हैं। एजेंट उन्हें सीमावर्ती गांवों में सुरक्षित आश्रय देते हैं और उनके लिए फर्जी राशन कार्ड बनवाते हैं। फर्जी राशन कार्ड के आधार पर मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार कार्ड जैसे अन्य दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। अंतिम चरण में इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया जाता है।