Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, October 5
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»राज्य»अब अंग्रेजी नहीं, सनातनी घड़ी में देखिए समय
    राज्य

    अब अंग्रेजी नहीं, सनातनी घड़ी में देखिए समय

    shivam kumarBy shivam kumarJanuary 20, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    महाकुम्भ नगर। संगम की धरती पर विश्व का सबसे बड़ा मेला महाकुम्भ चल रहा है। गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम के अलावा ज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति का भी मिलन हो रहा है। इन मिलन के अलावा संगम की धरती पर वैदिक और आधुनिक गणित की दो धाराओं का संगम एक घड़ी में माध्यम से हो रहा है। यह घड़ी एक पौराणिक मापक इकाई है, जो पहर, मुहूर्त और घटी के साथ ही सेकेंड, मिनट और घंटा में भी समय बता रही है। इस घड़ी से यह भी पता चलेगा कि किस काल में किस देव का अंश प्रधान रहेगा, अर्थात शुभ मुहूर्त क्या होगा?

    –प्रमुद घटिका प्राचीन भारतीय काल गणनाप्राचीन भारतीय काल गणना को आधुनिक समय से जोड़ने के लिए, एक अनोखी घड़ी प्रमुद घटिका का निर्माण किया गया है, जो प्राचीन भारतीय काल गणना को आधुनिक समय से जोड़ती है। प्रयागराज निवासी पवन श्रीवास्तव ने कई वर्षों के शोध, अध्ययन और परिश्रम से ’प्रमुद घटिका’ नाम से घड़ी बनाई। यह घड़ी मेले में त्रिवेणी बाजार में श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रही है। यहां ‘प’ को पहर, ‘मु’ को मुहूर्त और ‘द’ को दंड या घटी के लिए प्रयुक्त किया है। पवन कहते हैं कि, ‘पौराणिक काल में घड़े में एक दंडनुमा रेखा खींचते थे, जिस पर जलबिंदु गिरता था।

    पवन श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमें अपनी प्राचीन धरोहर को आधुनिक समय के साथ जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। यह घड़ी एक छोटा सा प्रयास है इस दिशा में हमें उम्मीद है कि यह घड़ी लोगों को प्राचीन भारतीय काल गणना के बारे में जानने और समझने में मदद करेगी।’

    पवन श्रीवास्तव ने बताया कि, ‘प्रमुद घटिका एक अहोरात्र यानि एक दिन के 24 घंटे में 60 घटी, 30 मुहूर्त और आठ पहर को दर्शाती है, इस घड़ी का उद्देश्य प्राचीन भारतीय काल गणना को आधुनिक समय के साथ जोड़ना और युवाओं और आम जनमानस को इसके बारे में जागरूक करना है। यह घड़ी न केवल समय को दर्शाती है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय ज्ञान और संस्कृति को भी प्रदर्शित करती है।’

    –सनातन संस्कृति के प्रति आकर्षण ने प्रेरित कियाएमबीए और कानून की पढ़ाई कर चुके पवन श्रीवास्तव पैकर्स मूवर्स का व्यवसाय करते हैं। व्यस्तता से समय निकाल कर उन्होंने अपने ग्राहकों को हिंदी मास में लिखा कैलेंडर दिया तो उन्हें प्रशंसा मिली। प्रोत्साहित होकर उन्होंने अगली बार कैलेंडर में और पौराणिक तथ्यों को लिखना शुरू किया। फिर उन्हें वैदिक घड़ी बनाने की प्रेरणा मिली। पवन ने बताया कि, ‘ बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष आचार्य डॉ. गिरजा शंकर शास्त्री के मार्गदर्शन में ऐसी घड़ी निर्मित की, जिसकी सुइयां वैदिक कालगणना से लेकर आधुनिक समय मापक इकाई सेकंड, मिनट और घंटा बताती हैं।’

    –तीन साइज में है घड़ीघड़ी की कीमत के बारे में पवन ने कहा कि, ‘इस घड़ी की तकनीक आम घड़ियों से अलग है। ऐसे में इसकी मशीनरी थोड़ी मंहगी है। हमारे यहां 12, 16 और 20 इंच साइज की घड़िया उपलब्ध हैं। घड़ियों का निर्माण गुजरात की एक कम्पनी से करवाया जा रहा है। घड़ियों की कीमत डिस्काउंट के बाद 600 से लेकर 1500 के बीच है।’

    घड़ी के बारे आचार्य डॉ. गिरजा शंकर शास्त्री का कहना है कि, ‘पवन का प्रयास बहुत शुभ, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय मानदंडों पर केंद्रित है। स्थूलकाल बंध गए और अब सूक्ष्म काल को भी विवेचित कर लिया है। स्थूलकाल से पहर, मुहूर्त और घटी और सूक्ष्म काल से आशय अणु, परमाणु आदि है।’

    लोक गायक मुनाल विक्रम बिष्ट के अनुसार, ‘संगीत के विद्यार्थियों के लिए भी यह घड़ी अत्यंत उपयोगी है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में अलग अलग प्रहर के अनुसार अलग अलग रागों का गायन किया जाता है अतः उनका गायन समय इस घड़ी में साफ देखा जा सकता है। जैसे रात के पहले प्रहर में गाए जाने वाले राग हमीर, खमाज, यमन, बिलाबल, भूपाली आदि। रात के पहले प्रहर को प्रदोष काल भी कहा जाता है, इसी प्रकार अनेकानेक रागों का गायन समय इस घड़ी में देख सकते हैं।’

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमहाकुम्भ में श्रद्धालुओं की पहली पसंद बने ओडीओपी के उत्पाद
    Next Article मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना अनाथ बच्चों के लिए बनी सहारा
    shivam kumar

      Related Posts

      चुनाव आयुक्त के साथ बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दो चरणों में मतदान कराने का दिया सुझाव

      October 4, 2025

      गुजरात भाजपा के नए अध्यक्ष बने जगदीश विश्वकर्मा

      October 4, 2025

      जम्मू-कश्मीर के सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दिखा पाकिस्तानी ड्रोन, तलाशी अभियान शुरू

      October 4, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • बिहार में अब नहीं होगा पलायन, एनडीए सरकार युवाओं को राज्य में दे रही रोजगार के अवसर : प्रधानमंत्री
      • चुनाव आयुक्त के साथ बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दो चरणों में मतदान कराने का दिया सुझाव
      • देश की छवि को धूमिल करने वाला है राहुल का बयानः भाजपा
      • कांग्रेस ने 26/11 के हमले पर अमेरिकी निर्देशों पर किया कामः गौरव भाटिया
      • गुजरात भाजपा के नए अध्यक्ष बने जगदीश विश्वकर्मा
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version