महाकुम्भ नगर। किसी जिले विशेष से सम्बंधित उद्योग वैसे तो सामान्य प्रतीत होते हैं, परंतु उनके उत्पाद उस क्षेत्र की विविधता एवं विलक्षणता को दर्शाते हैं। यही नहीं प्रदेश में जन विविधता, जलवायु विविधता, आस्थाओं और संस्कृतियों की विविधता की तरह ही उत्पादों एवं शिल्प कलाओं में भी एक मोहक विविधता है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना लाकर ऐसे उत्पादों को बढ़ावा दिया जिससे उनकी बाजार में जगह बन सकी। इन दिनों महाकुम्भ में भी ओडीओपी के तहत हींग, देशी घी, कांच के आकर्षक उत्पाद, चादरें, गुड़, चमड़े से बनी वस्तुएं श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
प्रयागराज में संगम के सेक्टर -एक में आयोजित इस महाकुम्भ में 6,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ओडीओपी) की शानदार प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। यहां कालीन, जरी-जरदोजी, फिरोजाबाद के कांच के खिलौने, बनारस के लकड़ी के खिलौने और अन्य हस्तशिल्प उत्पाद श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
–क्या है एक जनपद एक उत्पाद
एक जनपद–एक उत्पाद कार्यक्रम का उद्देश्य है कि इन विशिष्ट शिल्प कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए। उत्तर प्रदेश में ऐसे उत्पाद बनते हैं जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर ज़री-जरदोज़ी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य जो हाथी दांत का प्रकृति–अनुकूल विकल्प है। इनमें से बहुत से उत्पाद जी.आई. टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं। ये वे उत्पाद हैं जिनसे स्थान विशिष्ट की पहचान होती है। इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे तथा जिन्हें आधुनिकता तथा प्रसार रूपी संजीवनी द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है।